बक्सर| मुंबई बम विस्फोट के दोषी याकूब मेमन को गुरुवार सुबह महाराष्ट्र के नागपुर केन्द्रीय कारागार में फांसी दे दी गई। जिस रस्सी से मेमन को फांसी दी गई, उसे बिहार की एक जेल में तैयार किया गया था। (1993 mumbai blasts case) यह पहला मौका नहीं है जब बिहार की जेल में निर्मित खास प्रकार की रस्सी यानी ‘मनीला रस्सी’ का उपयोग किसी दोषी को फांसी देने के लिए किया गया हो।
उल्लेखनीय है कि बिहार के बक्सर केन्द्रीय कारागार में ‘मनीला रस्सी’ का निर्माण किया जाता है, जिसका इस्तेमाल फांसी देने में किया जाता है। इसे बनाने के लिए खास तरीके अपनाए जाते हैं।
बक्सर केन्द्रीय कारागार के अधीक्षक एस़ क़े चौधरी ने बताया कि याकूब की फांसी के लिए जिस रस्सी का उपयोग किया गया, वह मनीला रस्सी थी, जो पूरे देश में केवल बक्सर जेल में ही बनाई जाती है।
उन्होंने बताया कि दो वर्ष पूर्व आतंकी अफजल गुरु को भी बक्सर की ही रस्सी से फांसी दी गई थी। इसके अलावा मुंबई में 26 नवंबर, 2008 को हुए आतंकवादी हमले के दोषी मुहम्मद अजमल कसाब को भी बक्सर की जेल में बनी रस्सी से ही फांसी दी गई थी।
चौधरी ने कहा कि बक्सर केन्द्रीय कारागार के कैदी पुनर्वास प्रशिक्षण केन्द्र में फांसी के लिए खास रस्सी बनाई जाती है।
उन्होंने कहा कि पहले कच्चे सूत के एक-एक कर 18 मोटे धागे तैयार किए जाते हैं। इन सभी धागों को बनाने में मोम का उपयोग किया जाता है।
चौधरी ने बताया कि इन सभी धागों को मिलाकर एक मोटी रस्सी बनाई जाती है, जो काफी मजबूत और चिकनाईयुक्त होती है। जेल के एक अधिकारी के अनुसार, फांसी देने वाली रस्सी की लंबाई 18 फुट होती है।
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