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मध्यप्रदेश

शिवराज की चुनौती संतुलन और संतुष्टि

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भोपाल| सियासत में सफलता की कुंजी है अपने ही दल के विरोधियों को संतुष्ट करना और संतुलन बनाए रखना। इस समय यही सबसे बड़ी चुनौती है मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने, क्योंकि वह जल्द ही निगम-मंडलों के अध्यक्षों की नियुक्ति के साथ मंत्रिमंडल का विस्तार करने जा रहे हैं। राज्य में हाल फिलहाल किसी भी तरह का चुनाव नहीं होने वाला है, लिहाजा दावेदारों को ओहदे देने की पृष्ठभूमि तैयार होने लगी है, क्योंकि अब तक सत्ता और संगठन चुनाव की बात कहकर निगम-मंडलों के अध्यक्षों की नियुक्ति के साथ मंत्रिमंडल का विस्तार न कर पाने का बहाना करता रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज स्वयं इस बात का ऐलान कर चुके हैं कि वह जल्द ही निगम-मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति और मंत्रिमंडल का विस्तार करने वाले हैं।

शिवराज ने मुख्यमंत्री के तौर पर दिसंबर, 2013 में तीसरी बार सत्ता संभाली थी, मंत्रिपरिषद का गठन हुआ। उसके बाद से ही लगातार मंत्रिमंडल विस्तार के कयास लगाए जाते रहे हैं। वहीं दावेदार मुख्यमंत्री व संगठन पर दवाब बनाते रहे हैं, जिस पर उन्हें भरोसा दिलाया जाता रहा कि इस चुनाव के बाद होने वाले विस्तार में उन्हें अहम जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। ऐसा करते-करते लगभग दो वर्ष निकल गए हैं, क्योंकि चुनाव-दर-चुनाव का सिलसिला चलता रहा। अभी हाल ही में हुए 10 नगरीय निकाय के चुनाव में भाजपा ने आठ स्थानों पर जीत दर्ज की है।

मुख्यमंत्री शिवराज और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान भी पिछले दिनों में कई बार कह चुके हैं कि निगम-मंडल अध्यक्ष की नियुक्ति के अलावा मंत्रिमंडल का भी जल्दी विस्तार किया जाने वाला है।

सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री की राष्ट्रीय नेताओं से भी इस मसले को लेकर चर्चा हो चुकी है। संभावना भी इस बात की है कि इसी माह के अंत तक नियुक्तियां और मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाएगा।

राजनीति के जानकार कहते हैं कि मुख्यमंत्री शिवराज के लिए नियुक्तियां और मंत्रिमंडल का विस्तार किसी चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि एक तरफ वे लोग हैं जो मौके-बेमौके पर शिवराज के पक्ष में गोलबंदी करते रहते हैं, तो दूसरी तरफ उन नेताओं का जमावड़ा है, जो पर्दे के पीछे रहकर सिर्फ टांग खिंचाई में भरोसा करते हैं।

भाजपा की सियासत में केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज, उमा भारती, नरेंद्र सिंह तोमर, लोकसभाध्यक्ष सुमित्रा महाजन, विक्रम वर्मा, सांसद प्रभात झा के करीबियों की चाहत किसी से छुपी नहीं है। कोई अपने समर्थक को निगम-मंडल का अध्यक्ष बनवाना चाहता है, तो किसी की नजर मंत्री पद पर है।

वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी कहते हैं, “भाजपा नेताओं में पद पाने की जिज्ञासा है, लगभग दो वर्षो से अब और तब चल रहा है, इसीलिए मुख्यमंत्री को सभी को संतुष्ट करने के साथ संतुलन बनाए रखना बड़ी चुनौती बन गया है, दूसरी ओर कई मंत्री ऐसे है जिनके पास एक से ज्यादा विभाग है तो कई ऐसे है जिनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है।”

राज्य में विधानसभा के सदस्यों की संख्या के अनुपात में 11 सदस्यों को मंत्रिपरिषद में और जगह दी जा सकती है, अब देखना होगा कि शिवराज कितनी चतुराई से इस चुनौती का सामना करते हैं।

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कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने संघ की तुलना ‘दीमक’ से की

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इंदौर । मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना दीमक से की है। इंदौर में युवक कांग्रेस के कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने आरएसएस पर हमला करते हुए कहा, “आप ऐसे संगठन से लड़ रहे हैं, जो ऊपर से नहीं दिखता। जैसे घर में दीमक लगती है, यह उसी तरह से काम करता है।”

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा, “मैं समझता हूं कि जब यह कहूंगा, तो सबसे ज्यादा गालियां खाऊंगा, क्योंकि मैंने आरएसएस की तुलना दीमक से की है।”
उन्होंने कहा कि संघ रजिस्टर्ड संस्था नहीं है। इसकी सदस्यता नहीं है, कोई अकाउंट नहीं है। संघ का कोई कार्यकर्ता जब आपराधिक कृत्य में पकड़ा जाता है, तो वे कहते हैं कि हमारा सदस्य ही नहीं है। यह ऐसा संगठन है, जो गुपचुप और छुपकर काम करता है। ये लोग केवल कानाफूसी करते हैं और गलत भावना फैलाते हैं। कभी आंदोलन नहीं करते और न ही किसी की समस्या के लिए लड़ते हैं।
उन्होंने सीधे तौर पर संघ पर हमला करते हुए कहा, “आरएसएस की विचारधारा नफरत की है। हिंदुओं को खतरा दिखाकर डर पैदा करो और डर पैदा करके बताओ कि हम ही तुम्हारी रक्षा कर सकते हैं, बाकी कोई नहीं कर सकता। आज जब राष्ट्रपति से लेकर नीचे तक के पदों पर हिंदू हैं, तो फिर खतरा किससे है?”

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मानहानि मामले में मध्य प्रदेश की अदालत ने सीएम सहित दो अन्य को जारी किया नोटिस

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भोपाल। मध्य प्रदेश की एक जिला अदालत ने हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा द्वारा दायर मानहानि मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने चौहान के अलावा शहरी विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी.डी. शर्मा को भी उसी मामले में नोटिस जारी किया है, जिसमें कांग्रेस नेता ने ओबीसी आरक्षण के संबंध में ‘गलत तथ्यों का प्रचार’ करके उन्हें बदनाम करने का आरोप लगाया है।

कांग्रेस सांसद ने सर्वोच्च न्यायालय में ओबीसी आरक्षण मामले के बारे में कुछ टिप्पणियों को लेकर चौहान और दो अन्य के खिलाफ जबलपुर जिला अदालत में मामला दायर किया था। तन्खा ने कहा कि अदालत ने उनसे जवाब मांगा है और अगली सुनवाई की तारीख 25 फरवरी तय की है।
तन्खा ने कहा कि “मुझे अपने वकील (वाजिद हेडर) से जानकारी मिली है कि 10 करोड़ के मूल्य के नुकसान के हमारे दावे में, जबलपुर कोर्ट ने मुख्यमंत्री और अन्य प्रतिवादी पक्षों को अपना जवाब प्रस्तुत करने के लिए नोटिस जारी किया है। अदालत मामले पर 25 फरवरी को सुनवाई करेगी। तब से, सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) को स्थानीय निकाय में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित सीटों पर मतदान प्रक्रिया पर रोक लगाने और सामान्य वर्ग के लिए उन सीटों को फिर से अधिसूचित करने का निर्देश दिया। सरकार ने पंचायत चुनाव रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में तन्खा पर ओबीसी आरक्षण कोटा का विरोध करने का आरोप लगाया है।
यह तब शुरू हुआ, जब तन्खा स्थानीय कांग्रेस नेताओं द्वारा दायर एक याचिका के वकील के रूप में पेश हुए, जिसमें 2014 के रोटेशन और आरक्षण के आधार पर राज्य में पंचायत चुनाव कराने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के अध्यादेश को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने राज्य में समुदाय (ओबीसी) को आरक्षण प्रदान करने में बाधा उत्पन्न करने के लिए एक-दूसरे पर आरोप लगाए। राज्य विधानसभा के हाल ही में संपन्न शीतकालीन सत्र के दौरान ओबीसी मुद्दे पर घंटों बहस हुई थी।

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देश

सावित्रीबाई फुले को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने याद किया

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भोपाल। छुआछूत मिटाने, विधवा विवाह कराने और महिलाओं को शिक्षित करने का अभियान चलाने वाली सावित्रीबाई फुले कि आज सोमवार को जयंती है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनके छायाचित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया।

मुख्यमंत्री चौहान ने महान समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले की जयंती पर उन्हें नमन किया। मुख्यमंत्री चौहान ने निवास कार्यालय स्थित सभागार में उनके चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की।
सावित्री बाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थी। सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जिया, जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह कराना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना। सावित्रीबाई फुले ने 3 जनवरी 1848 में पुणे में अपने पति के साथ मिलकर विभिन्न जातियों की 9 छात्राओं के साथ महिलाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की । लड़कियों की शिक्षा पर उस समय सामाजिक पाबंदी थी।
सावित्रीबाई फुले उस दौर में न सिर्फ स्वयं पढ़ी अपितु दूसरी लड़कियों के पढ़ने का भी बंदोबस्त किया। दस मार्च 1897 को प्लेग के कारण सावित्रीबाई फुले का निधन हो गया।

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