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मध्यप्रदेश

मप्र में शिवराज की पर्चियों पर भी हुईं नियुक्तियां!

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भोपाल| मध्य प्रदेश में जब जिसकी सरकार रही है, उसने अपनों को उपकृत कर नौकरियां बांटने में कभी कोताही नहीं की है। बात चाहे दिग्विजय सिंह के कार्यकाल की हो या मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल की, पर्चियों (नोटशीट्स) पर नियुक्ति का फरमान जारी करने में कोई किसी से कम नहीं है।(madhya pradesh hindi news)

दिग्विजय की नियुक्ति संबंधी पर्चियां दिखाए जाने के बाद अब शिवराज सिंह चौहान के निर्देशों वाली पर्चियां भी सामने आई हैं। ताजा मामला भोपाल स्थित माखनलाल चुतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय का है।

विश्वविद्यालय में नियुक्तियों की सिफारिश वाली मुख्यमंत्री शिवराज की लिखी तीन पर्चियां आईएएनएस के हाथ लगी हैं। मुख्यमंत्री की लिखी की पर्चियां जनसंपर्क विभाग के सचिव के जरिए कुलपति (वाइस चांसलर) तक पहुंची और उन्होंने नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए।

शिवराज की लिखी पर्चियों में कहा गया है- “संबंधित व्यक्ति की नियुक्ति तय समय-सीमा के लिए संविदा आधार पर वरिष्ठ प्राध्यापक के पद पर कर दी जाए।”

मुख्यमंत्री के निर्देश का पालन करते हुए कुलपति बी.के. कुठियाला ने संबंधित व्यक्तियों की नियुक्ति के आदेश दे दिए। पर्चियों पर ये नियुक्तियां अक्टूबर, 2010 में की गईं।

सूचनाधिकार कार्यकर्ता पूर्णेदु शुक्ल ने इन आदेशों की प्रतियों के आधार पर आईएएनएस से कहा, “इन आदेशों से पता चलता है कि वरिष्ठ प्राध्यापक के पद पर नियुक्तियों के लिए कौन सा तरीका अपनाया गया।”

शुक्ल ने आगे कहा कि पर्चियों पर नियुक्ति संबंधी जानकारी विभिन्न लोगों ने सूचनाधिकार के तहत आरटीआई दायर कर हासिल की है। उन्होंने नियुक्ति की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये नियुक्तियां कितनी जल्दबाजी में हुई हैं, इसका पता इस बात से ही चल जाता है कि मुख्यमंत्री द्वारा पर्ची लिखे जाने से लेकर नियुक्ति के आदेश जारी होने तक की प्रक्रिया ‘एक ही दिन में’ पूरी कर ली गई।

माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय में नियुक्तियों की पर्चियां सामने आने के मसले की पुष्टि के लिए आईएएनएस ने जब कुलपति कुठियाला से संपर्क किया तो उन्होंने कहा, “मैं इस समय मध्य प्रदेश से बाहर हरियाणा में हूं, नोटशीट जब तक फिर से नहीं देख लेता, तब तक मैं कुछ कह नहीं सकता, हां इतना जरूर है कि इस तरह की नोटशीट्स आई थीं, लेकिन उन पर कोई नियुक्ति नहीं की गई।”

जानकार सूत्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय की महापरिषद (सीनेट) का अध्यक्ष मुख्यमंत्री ही होता है, मगर वह किसी की नियुक्ति नहीं कर सकता। वह सिर्फ महापरिषद की बैठक की अध्यक्षता करता है। विश्वविद्यालयों में नियुक्ति का अधिकार तो कुलाधिपति (चांसलर) यानी राज्यपाल के पास होता है।

अभी हाल ही में दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्रित्वकाल में उपयंत्री (सब इंजीनियर) के पद पर अरुण तिवारी की नियुक्ति को उच्च न्यायालय ने अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया था और तमाम नियुक्तियों की जांच के आदेश दिए थे। इसके बाद भाजपा ने दिग्विजय सिंह के खिलाफ मोर्चा खेालते हुए 16 ऐसी पर्चियों का खुलासा किया था, जिनमें तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने नियुक्ति के आदेश दिए थे।

इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री शिवराज ने एक निजी चैनल के कार्यक्रम में कहा था कि दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में तो सिगरेट की पर्ची तक पर नियुक्ति होती थी। उनके इस आरोप का खंडन करते हुए दिग्विजय ने कहा था कि उनके कार्यकाल में नियुक्तियां नियमों के मुताबिक और मंत्रिपरिषद (कैबिनेट) की सहमति से की गई थी और किसी से पैसा नहीं लिया गया था।

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कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने संघ की तुलना ‘दीमक’ से की

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इंदौर । मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना दीमक से की है। इंदौर में युवक कांग्रेस के कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने आरएसएस पर हमला करते हुए कहा, “आप ऐसे संगठन से लड़ रहे हैं, जो ऊपर से नहीं दिखता। जैसे घर में दीमक लगती है, यह उसी तरह से काम करता है।”

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा, “मैं समझता हूं कि जब यह कहूंगा, तो सबसे ज्यादा गालियां खाऊंगा, क्योंकि मैंने आरएसएस की तुलना दीमक से की है।”
उन्होंने कहा कि संघ रजिस्टर्ड संस्था नहीं है। इसकी सदस्यता नहीं है, कोई अकाउंट नहीं है। संघ का कोई कार्यकर्ता जब आपराधिक कृत्य में पकड़ा जाता है, तो वे कहते हैं कि हमारा सदस्य ही नहीं है। यह ऐसा संगठन है, जो गुपचुप और छुपकर काम करता है। ये लोग केवल कानाफूसी करते हैं और गलत भावना फैलाते हैं। कभी आंदोलन नहीं करते और न ही किसी की समस्या के लिए लड़ते हैं।
उन्होंने सीधे तौर पर संघ पर हमला करते हुए कहा, “आरएसएस की विचारधारा नफरत की है। हिंदुओं को खतरा दिखाकर डर पैदा करो और डर पैदा करके बताओ कि हम ही तुम्हारी रक्षा कर सकते हैं, बाकी कोई नहीं कर सकता। आज जब राष्ट्रपति से लेकर नीचे तक के पदों पर हिंदू हैं, तो फिर खतरा किससे है?”

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मानहानि मामले में मध्य प्रदेश की अदालत ने सीएम सहित दो अन्य को जारी किया नोटिस

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भोपाल। मध्य प्रदेश की एक जिला अदालत ने हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा द्वारा दायर मानहानि मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने चौहान के अलावा शहरी विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी.डी. शर्मा को भी उसी मामले में नोटिस जारी किया है, जिसमें कांग्रेस नेता ने ओबीसी आरक्षण के संबंध में ‘गलत तथ्यों का प्रचार’ करके उन्हें बदनाम करने का आरोप लगाया है।

कांग्रेस सांसद ने सर्वोच्च न्यायालय में ओबीसी आरक्षण मामले के बारे में कुछ टिप्पणियों को लेकर चौहान और दो अन्य के खिलाफ जबलपुर जिला अदालत में मामला दायर किया था। तन्खा ने कहा कि अदालत ने उनसे जवाब मांगा है और अगली सुनवाई की तारीख 25 फरवरी तय की है।
तन्खा ने कहा कि “मुझे अपने वकील (वाजिद हेडर) से जानकारी मिली है कि 10 करोड़ के मूल्य के नुकसान के हमारे दावे में, जबलपुर कोर्ट ने मुख्यमंत्री और अन्य प्रतिवादी पक्षों को अपना जवाब प्रस्तुत करने के लिए नोटिस जारी किया है। अदालत मामले पर 25 फरवरी को सुनवाई करेगी। तब से, सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) को स्थानीय निकाय में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित सीटों पर मतदान प्रक्रिया पर रोक लगाने और सामान्य वर्ग के लिए उन सीटों को फिर से अधिसूचित करने का निर्देश दिया। सरकार ने पंचायत चुनाव रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में तन्खा पर ओबीसी आरक्षण कोटा का विरोध करने का आरोप लगाया है।
यह तब शुरू हुआ, जब तन्खा स्थानीय कांग्रेस नेताओं द्वारा दायर एक याचिका के वकील के रूप में पेश हुए, जिसमें 2014 के रोटेशन और आरक्षण के आधार पर राज्य में पंचायत चुनाव कराने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के अध्यादेश को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने राज्य में समुदाय (ओबीसी) को आरक्षण प्रदान करने में बाधा उत्पन्न करने के लिए एक-दूसरे पर आरोप लगाए। राज्य विधानसभा के हाल ही में संपन्न शीतकालीन सत्र के दौरान ओबीसी मुद्दे पर घंटों बहस हुई थी।

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सावित्रीबाई फुले को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने याद किया

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भोपाल। छुआछूत मिटाने, विधवा विवाह कराने और महिलाओं को शिक्षित करने का अभियान चलाने वाली सावित्रीबाई फुले कि आज सोमवार को जयंती है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनके छायाचित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया।

मुख्यमंत्री चौहान ने महान समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले की जयंती पर उन्हें नमन किया। मुख्यमंत्री चौहान ने निवास कार्यालय स्थित सभागार में उनके चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की।
सावित्री बाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थी। सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जिया, जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह कराना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना। सावित्रीबाई फुले ने 3 जनवरी 1848 में पुणे में अपने पति के साथ मिलकर विभिन्न जातियों की 9 छात्राओं के साथ महिलाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की । लड़कियों की शिक्षा पर उस समय सामाजिक पाबंदी थी।
सावित्रीबाई फुले उस दौर में न सिर्फ स्वयं पढ़ी अपितु दूसरी लड़कियों के पढ़ने का भी बंदोबस्त किया। दस मार्च 1897 को प्लेग के कारण सावित्रीबाई फुले का निधन हो गया।

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