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मध्यप्रदेश

कांग्रेस विधायकों को पैसों का ऑफर दे रही है भाजपा : कमल नाथ

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भोपाल| मध्य प्रदेश की कांग्रेस इकाई के प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वो कांग्रेस विधायकों को पैसों का ऑफर दे रहे हैं। कमल नाथ ने चुनाव आयोग से भी सरकारी तंत्र के दुरुपयोग की शिकायत की है। कमल नाथ ने सोमवार को संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा कि भाजपा को 10 नवंबर को आने वाले परिणाम का अभी से अंदेशा हो गया है, इसलिए तो भाजपा परिणाम का इंतजार नहीं कर रही है, सौदेबाजी का खेल अभी से ही शुरू कर दिया है, अब उनके पास सिर्फ सौदेबाजी का ही उपाय बचा है।

उन्होंने भाजपा की तरफ इशारा करते हुए कहा कि वह जान लें कि मध्य प्रदेश की जनता सरल है, सीधी सादी है लेकिन बेहद जागरूक है। आज का मतदाता बहुत समझदार है। चुनाव तो प्रजातंत्र का उत्सव होता है लेकिन यह तो सौदेबाजी का उत्सव हो गया है, बिकाऊ का उत्सव हो गया है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा पर खरीद फरोख्त का आरेाप लगाते हुए कहा कि, कई विधायकों ने फोन करके बताया है कि भाजपा उन्हें प्रलोभन दे रही है, पैसे का ऑफर दे रही है, एडवांस देने की बात कर रही है। मेरा सौदेबाजी की राजनीति में विश्वास नहीं है, मैं चाहता तो मैं भी ऐसी राजनीति कर सकता था लेकिन मै मध्य प्रदेश को कभी कलंकित नहीं होने दूंगा, मैं कभी भी सौदेबाजी की राजनीति नहीं करूंगा। कांग्रेस मध्य प्रदेश में सौदेबाजी की राजनीति नहीं कर एक उदाहरण प्रस्तुत करेगी।

कांग्रेस के कई विधायकों के भाजपा के संपर्क में होने के सवाल पर कमल नाथ ने कहा, भाजपा तो खुद ही कह रही है कि अभी दो-तीन विधायक और आ रहे हैं तो क्या बगैर सौदेबाजी के आ रहे हैं? सात महीने से तो हमारी सरकार भी नहीं है, जनता खुली आंखों से इनकी सच्चाई देख रही है। बीजेपी को जितनी सौदेबाजी की राजनीति करना हो करे, जितना प्रलोभन देना हो दे, हम सौदेबाजी से दूर रहेंगे।

भाजपा पर सौदेबाजी की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कमल नाथ ने कहा आज मध्यप्रदेश देश भर में कलंकित हो रहा है। जब एक गांव का साधारण व्यक्ति समझ रहा है कि किस कारण से हमारे प्रदेश में उपचुनाव हो रहे हैं तो क्या देश की जनता इस सच्चाई को नहीं समझती है? तीन नवंबर को प्रदेश की जनता तय करेगी कि वह प्रदेश का कैसा भविष्य चाहती है।

चुानाव आयोग को लिखे गए पत्र का हवाला देते हुए कमल नाथ ने बताया कि, इस चुनाव में हमारा मुकाबला भाजपा से ही नहीं बल्कि प्रशासनिक तंत्र से भी है। इसको लेकर मैंने आज ही चुनाव आयोग को पत्र लिखा है। छोटे-छोटे शासकीय कर्मचारियों पर भाजपा के पक्ष में काम करने के लिए दबाव डाला जा रहा है।

कमल नाथ ने अधिकारियों को चेताया कि भाजपा के पक्ष में काम करने वाले अधिकारी यह जान ले कि 10 के बाद 11 तारीख भी आएगी।

देश

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने संघ की तुलना ‘दीमक’ से की

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इंदौर । मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना दीमक से की है। इंदौर में युवक कांग्रेस के कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने आरएसएस पर हमला करते हुए कहा, “आप ऐसे संगठन से लड़ रहे हैं, जो ऊपर से नहीं दिखता। जैसे घर में दीमक लगती है, यह उसी तरह से काम करता है।”

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा, “मैं समझता हूं कि जब यह कहूंगा, तो सबसे ज्यादा गालियां खाऊंगा, क्योंकि मैंने आरएसएस की तुलना दीमक से की है।”
उन्होंने कहा कि संघ रजिस्टर्ड संस्था नहीं है। इसकी सदस्यता नहीं है, कोई अकाउंट नहीं है। संघ का कोई कार्यकर्ता जब आपराधिक कृत्य में पकड़ा जाता है, तो वे कहते हैं कि हमारा सदस्य ही नहीं है। यह ऐसा संगठन है, जो गुपचुप और छुपकर काम करता है। ये लोग केवल कानाफूसी करते हैं और गलत भावना फैलाते हैं। कभी आंदोलन नहीं करते और न ही किसी की समस्या के लिए लड़ते हैं।
उन्होंने सीधे तौर पर संघ पर हमला करते हुए कहा, “आरएसएस की विचारधारा नफरत की है। हिंदुओं को खतरा दिखाकर डर पैदा करो और डर पैदा करके बताओ कि हम ही तुम्हारी रक्षा कर सकते हैं, बाकी कोई नहीं कर सकता। आज जब राष्ट्रपति से लेकर नीचे तक के पदों पर हिंदू हैं, तो फिर खतरा किससे है?”

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देश

मानहानि मामले में मध्य प्रदेश की अदालत ने सीएम सहित दो अन्य को जारी किया नोटिस

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भोपाल। मध्य प्रदेश की एक जिला अदालत ने हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा द्वारा दायर मानहानि मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने चौहान के अलावा शहरी विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी.डी. शर्मा को भी उसी मामले में नोटिस जारी किया है, जिसमें कांग्रेस नेता ने ओबीसी आरक्षण के संबंध में ‘गलत तथ्यों का प्रचार’ करके उन्हें बदनाम करने का आरोप लगाया है।

कांग्रेस सांसद ने सर्वोच्च न्यायालय में ओबीसी आरक्षण मामले के बारे में कुछ टिप्पणियों को लेकर चौहान और दो अन्य के खिलाफ जबलपुर जिला अदालत में मामला दायर किया था। तन्खा ने कहा कि अदालत ने उनसे जवाब मांगा है और अगली सुनवाई की तारीख 25 फरवरी तय की है।
तन्खा ने कहा कि “मुझे अपने वकील (वाजिद हेडर) से जानकारी मिली है कि 10 करोड़ के मूल्य के नुकसान के हमारे दावे में, जबलपुर कोर्ट ने मुख्यमंत्री और अन्य प्रतिवादी पक्षों को अपना जवाब प्रस्तुत करने के लिए नोटिस जारी किया है। अदालत मामले पर 25 फरवरी को सुनवाई करेगी। तब से, सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) को स्थानीय निकाय में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित सीटों पर मतदान प्रक्रिया पर रोक लगाने और सामान्य वर्ग के लिए उन सीटों को फिर से अधिसूचित करने का निर्देश दिया। सरकार ने पंचायत चुनाव रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में तन्खा पर ओबीसी आरक्षण कोटा का विरोध करने का आरोप लगाया है।
यह तब शुरू हुआ, जब तन्खा स्थानीय कांग्रेस नेताओं द्वारा दायर एक याचिका के वकील के रूप में पेश हुए, जिसमें 2014 के रोटेशन और आरक्षण के आधार पर राज्य में पंचायत चुनाव कराने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के अध्यादेश को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने राज्य में समुदाय (ओबीसी) को आरक्षण प्रदान करने में बाधा उत्पन्न करने के लिए एक-दूसरे पर आरोप लगाए। राज्य विधानसभा के हाल ही में संपन्न शीतकालीन सत्र के दौरान ओबीसी मुद्दे पर घंटों बहस हुई थी।

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देश

सावित्रीबाई फुले को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने याद किया

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भोपाल। छुआछूत मिटाने, विधवा विवाह कराने और महिलाओं को शिक्षित करने का अभियान चलाने वाली सावित्रीबाई फुले कि आज सोमवार को जयंती है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनके छायाचित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया।

मुख्यमंत्री चौहान ने महान समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले की जयंती पर उन्हें नमन किया। मुख्यमंत्री चौहान ने निवास कार्यालय स्थित सभागार में उनके चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की।
सावित्री बाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थी। सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जिया, जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह कराना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना। सावित्रीबाई फुले ने 3 जनवरी 1848 में पुणे में अपने पति के साथ मिलकर विभिन्न जातियों की 9 छात्राओं के साथ महिलाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की । लड़कियों की शिक्षा पर उस समय सामाजिक पाबंदी थी।
सावित्रीबाई फुले उस दौर में न सिर्फ स्वयं पढ़ी अपितु दूसरी लड़कियों के पढ़ने का भी बंदोबस्त किया। दस मार्च 1897 को प्लेग के कारण सावित्रीबाई फुले का निधन हो गया।

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