Connect with us

मध्यप्रदेश

शिवराज के साले ने अवैध तरीके से जमीन खरीदी : कांग्रेस

Published

on

भोपाल| मध्य प्रदेश में विपक्षी दल कांग्रेस ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साले संजय सिंह भसीन ने बालाघाट जिले में एक आवासीय कॉलोनी में बगीचे (गार्डन) के लिए आरक्षित जमीन खरीदी और कम दर दर्शाकर स्टाम्प ड्यूटी में चोरी की। (madhya pradesh latest news in hindi) कांग्रेस का कहना है कि बालाघाट की कॉलोनी संजय के मित्र मनोज नेमा ने बसाई है, जो एक सेक्स कांड का आरोपी था। अब उसे सरकारी गवाह बना दिया गया है।

कांग्रेस कार्यालय में संवाददाता के दौरान प्रदेश इकाई के मुख्य प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने कहा कि मनोज नेमा ने बालाघाट में गोविंद मंगलम् कॉलोनी बसाई है। इस कॉलोनी में बगीचे के लिए 3510 वर्ग फुट जमीन छोड़ी गई थी, जिसका बाजार मूल्य 80 लाख रुपये है। यह जमीन मुख्यमंत्री शिवराज के साले संजय सिंह ने अवैध तरीके से खरीदी है।

कांग्रेस नेता मिश्रा का आरोप है कि इस जमीन की रजिस्ट्री में शासन को राजस्व का नुकसान पहुंचाया गया। जमीन की कीमत मात्र चार लाख 20 हजार रुपये दर्शाकर रजिस्टी में मात्र 42 हजार रुपये के स्टाम्प लगाए गए। इसलिए उनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाना चाहिए।

कांग्रेस ने संजय सिंह के आवास के पते को लेकर भी सवाल उठाया है। पार्टी का कहना है कि संजय सिंह गोंदिया (महाराष्ट्र) में रहते हैं, मगर जमीन खरीदार के तौर पर उनका पता बालाघाट का दिया गया है। यह भी जांच का विषय है।

मिश्रा का आरोप है कि मनोज नेमा मई, 2012 के चंदौरी सेक्सकांड का आरोपी था। वारासिवनी थाने मे सेक्सकांड में मामला दर्ज हुआ था। पुलिस ने इस मामले में नेमा को कई बार तलब किया, मगर वह पुलिस के सामने नहीं आया। इतना ही नहीं, उसने अपनी राजनीतिक पहुंच का लाभ उठाते हुए खुद को सरकारी गवाह बनवा लिया।

कांग्रेस की मांग है कि सेक्सकांड के साथ संजय और मनोज के संबंधों की जांच भी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराई जाए। साथ ही बालाघाट में हो रहे मैगनीज के वैध-अवैध खनन की जांच हो, ताकि खनन के क्षेत्र में हो रहे घपलों का खुलासा हो सके।

कांग्रेस के आरोपों पर सरकार व मुख्यमंत्री शिवराज की प्रतिक्रिया के लिए आईएएनएस ने संपर्क किया, मगर कोई भी उपलब्ध नहीं हुआ।

देश

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने संघ की तुलना ‘दीमक’ से की

Published

on

इंदौर । मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना दीमक से की है। इंदौर में युवक कांग्रेस के कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने आरएसएस पर हमला करते हुए कहा, “आप ऐसे संगठन से लड़ रहे हैं, जो ऊपर से नहीं दिखता। जैसे घर में दीमक लगती है, यह उसी तरह से काम करता है।”

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा, “मैं समझता हूं कि जब यह कहूंगा, तो सबसे ज्यादा गालियां खाऊंगा, क्योंकि मैंने आरएसएस की तुलना दीमक से की है।”
उन्होंने कहा कि संघ रजिस्टर्ड संस्था नहीं है। इसकी सदस्यता नहीं है, कोई अकाउंट नहीं है। संघ का कोई कार्यकर्ता जब आपराधिक कृत्य में पकड़ा जाता है, तो वे कहते हैं कि हमारा सदस्य ही नहीं है। यह ऐसा संगठन है, जो गुपचुप और छुपकर काम करता है। ये लोग केवल कानाफूसी करते हैं और गलत भावना फैलाते हैं। कभी आंदोलन नहीं करते और न ही किसी की समस्या के लिए लड़ते हैं।
उन्होंने सीधे तौर पर संघ पर हमला करते हुए कहा, “आरएसएस की विचारधारा नफरत की है। हिंदुओं को खतरा दिखाकर डर पैदा करो और डर पैदा करके बताओ कि हम ही तुम्हारी रक्षा कर सकते हैं, बाकी कोई नहीं कर सकता। आज जब राष्ट्रपति से लेकर नीचे तक के पदों पर हिंदू हैं, तो फिर खतरा किससे है?”

Continue Reading

देश

मानहानि मामले में मध्य प्रदेश की अदालत ने सीएम सहित दो अन्य को जारी किया नोटिस

Published

on

भोपाल। मध्य प्रदेश की एक जिला अदालत ने हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा द्वारा दायर मानहानि मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने चौहान के अलावा शहरी विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी.डी. शर्मा को भी उसी मामले में नोटिस जारी किया है, जिसमें कांग्रेस नेता ने ओबीसी आरक्षण के संबंध में ‘गलत तथ्यों का प्रचार’ करके उन्हें बदनाम करने का आरोप लगाया है।

कांग्रेस सांसद ने सर्वोच्च न्यायालय में ओबीसी आरक्षण मामले के बारे में कुछ टिप्पणियों को लेकर चौहान और दो अन्य के खिलाफ जबलपुर जिला अदालत में मामला दायर किया था। तन्खा ने कहा कि अदालत ने उनसे जवाब मांगा है और अगली सुनवाई की तारीख 25 फरवरी तय की है।
तन्खा ने कहा कि “मुझे अपने वकील (वाजिद हेडर) से जानकारी मिली है कि 10 करोड़ के मूल्य के नुकसान के हमारे दावे में, जबलपुर कोर्ट ने मुख्यमंत्री और अन्य प्रतिवादी पक्षों को अपना जवाब प्रस्तुत करने के लिए नोटिस जारी किया है। अदालत मामले पर 25 फरवरी को सुनवाई करेगी। तब से, सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) को स्थानीय निकाय में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित सीटों पर मतदान प्रक्रिया पर रोक लगाने और सामान्य वर्ग के लिए उन सीटों को फिर से अधिसूचित करने का निर्देश दिया। सरकार ने पंचायत चुनाव रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में तन्खा पर ओबीसी आरक्षण कोटा का विरोध करने का आरोप लगाया है।
यह तब शुरू हुआ, जब तन्खा स्थानीय कांग्रेस नेताओं द्वारा दायर एक याचिका के वकील के रूप में पेश हुए, जिसमें 2014 के रोटेशन और आरक्षण के आधार पर राज्य में पंचायत चुनाव कराने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के अध्यादेश को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने राज्य में समुदाय (ओबीसी) को आरक्षण प्रदान करने में बाधा उत्पन्न करने के लिए एक-दूसरे पर आरोप लगाए। राज्य विधानसभा के हाल ही में संपन्न शीतकालीन सत्र के दौरान ओबीसी मुद्दे पर घंटों बहस हुई थी।

Continue Reading

देश

सावित्रीबाई फुले को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने याद किया

Published

on

भोपाल। छुआछूत मिटाने, विधवा विवाह कराने और महिलाओं को शिक्षित करने का अभियान चलाने वाली सावित्रीबाई फुले कि आज सोमवार को जयंती है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनके छायाचित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया।

मुख्यमंत्री चौहान ने महान समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले की जयंती पर उन्हें नमन किया। मुख्यमंत्री चौहान ने निवास कार्यालय स्थित सभागार में उनके चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की।
सावित्री बाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थी। सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जिया, जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह कराना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना। सावित्रीबाई फुले ने 3 जनवरी 1848 में पुणे में अपने पति के साथ मिलकर विभिन्न जातियों की 9 छात्राओं के साथ महिलाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की । लड़कियों की शिक्षा पर उस समय सामाजिक पाबंदी थी।
सावित्रीबाई फुले उस दौर में न सिर्फ स्वयं पढ़ी अपितु दूसरी लड़कियों के पढ़ने का भी बंदोबस्त किया। दस मार्च 1897 को प्लेग के कारण सावित्रीबाई फुले का निधन हो गया।

Continue Reading

Trending

%d bloggers like this: