गाजियाबाद (करंट क्राइम)। शहर की सौ वर्ष से अधिक पुरानी रामलीला की शुरूआत परम्परागत रूप से रावण की मुनादी के साथ हुई। रावण के दूत ने शहर का भ्रमण किया और बाजारों में मुनादी हो गयी। इस मुनादी के साथ रावण का राज शुरू हो गया। श्री सुल्लामुल रामलीला कमेटी की यह एक बहुत पुरानी परम्परा है। इस परम्परा के आगाज के साथ रामलीला की शुरूआत होती है। सोमवार को श्री ठाकुरद्वारा मंदिर से रावण के दूत की सवारी निकली।
इससे पहले मंदिर में पूजा अर्चना हुई और श्री सुल्लामल रामलीला कमेटी के उस्ताद अशोक गोयल, अध्यक्ष वीरो बाबा, उपाध्यक्ष संजीव मित्तल, स्वरूप मंत्री दिनेश कुमार गर्ग, सवारी मंत्री अजय गुप्ता, सुभाष बजरंगी, दिनेश गोयल साबुन वाले, नीरज गोयल मुख्य रूप से मौजूद रहे। ठाकुरद्वारा मंदिर से यह सवारी शुरू हुई और दिल्ली गेट चौपला मंदिर, डासनागेट, नयागंज, रमतेराम रोड व घंटाघर होते हुए बजरिया कीर्तन वाली गली से श्री सुल्लामल रामलीला मैदान पर पहुंची जहा इस यात्रा का समापन हुआ।
हो गयी शहर में रावण के दूत की मुनादी, लिया राम का नाम तो 6 महीने की फांसी
श्री सुल्लामल रामलीला की ये एक बहुत पुरानी परम्परा है और सम्भवत: उत्तरप्रदेश में यह पहली रामलीला है जो रावण के दूत की मुनादी के साथ शुरू होती है। ये पहली रामलीला है जिसमें उस्ताद और खलीफा होते हैं। प्रतिदिन आरती की जिम्मेदारी उस्ताद के पास होती है। सोमवार को जब रावण के दूत ने मुनादी की तो परम्परागत भाषा के साथ शुरूआत हुई। उसने एलान किया कि सुनिये जनाब-ए-आला क्या कहता है मुनादी वाला, मुनादी को सुनना गौर से और फिर बात करना किसी और से। तारीख पे तारीख, सन पे सन , महीना जनवरी का और हुकुम राजा रावण का। आज से इस नगर में कोई भी राम का नाम नही लेगा या फिर हवन यज्ञ करता पाया जायेगा, या ब्रह्मा नंदी तिलक लगायेगा तो उसे 6 महीने की फांसी दे दी जायेगी।
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