गाजियाबाद (करंट क्राइम)। भाजपा एक
तरफ चुनावी तैयारियों का शंखनाद कर चुकी
है तो दूसरी तरफ उसके यहां संगठन कप्तानों
की घोषणा होनी है। जिले से लेकर शहर तक
कप्तान घोषित होंगे और उसके बाद पूरी
महानगर की टीम घोषित होगी। रोजाना इसी
बात का इंतजार होता है कि लिस्ट आज घोषित
होगी। कोई फेसबुक पर अपनी तरफ से घोषणा
कर देता है कि थोड़ी देर में लिस्ट आ रही है।
किसी के सूत्र फेल हो जाते हैं और कई के
अरमानों के साथ खेल हो जाते हैं।
कहा गया था कि 30 अगस्त से लेकर 5
सितंबर के बीच अध्यक्षों वाली लिस्ट आ
जायेगी। लेकिन अब पता चला है कि भाजपा
के जातीय गणित संतुलन में भाजपा के अध्यक्षों
की घोषणा उलझ गई है। घोसी उपचुनाव के
बाद लिस्ट आने की उम्मीद जताई जा रही है।
बताया जाता है कि अभी संगठन अध्यक्षों की
सूची को लेकर फाईनल बैठक नहीं हो पा रही
है। भाजपा यहां केवल गाजियाबाद नहीं बल्कि
हर जिले में जातीय संतुलन को साधेगी और
जातीगत फैक्टर पर काम चल रहा है। सूत्र
बताते हैं कि इस बार हर बिरादरी के दो चेहरों
को लेकर काम होगा। पार्टी बिरादरी बैलेंस पर
फोकस कर रही है।
कहीं दो जाट चेहरे तो कहीं दो गुर्जर
चेहरे कंसीडर में है। वेस्ट यूपी से त्यागी फैक्टर
पर भी काम होगा और दो जिलों में त्यागी चेहरो
को अध्यक्ष वाली कमान मिल सकती है। वहीं
सूत्र ये भी बता रहे हैं कि अभी चुनावी तैयारियों
पर भी काम चल रहा है लिहाजा घोसी
उपचुनाव के बाद भी यदि घोषणा टलती है तो
फिर चुनाव पर फोकस होगा और दस अध्यक्षों
को छोड़कर सीन रिपीट वाला हो सकता है।
वहीं दूसरी तरफ भाजपा वोटर लिस्ट से लेकर
माटी अभियान को लेकर चल रही है। लगातार
आयाम आ रहे हैं और संगठन के लिए काम
आ रहे हैं। ऐसे में संगठन की ओवर होलिंग
को टाला भी जा सकता है और चुनाव का पूरा
काम इसी संगठन से निकाला जा सकता है।
गाजियाबाद में पहली
प्राथमिकता पर आयेगा
ब्राह्मण चेहरे का नाम
(करंट क्राइम)। जातीय संतुलन की बात करें
तो इसका असर गाजियाबाद शहर पर भी
आयेगा। भाजपा यहां महानगर अध्यक्ष के नाम
को लेकर ब्राह्मण चेहरे पर फोकस कर रही
है। पहली प्राथमिकता ब्राह्मण चेहरे को है और
दूसरी प्राथमिकता में पंजाबी चेहरे का नाम चल
रहा है। तीसरी पायदान पर वैश्य चेहरे का
जिक्र हो रहा है। यहां पर पंजाबी समाज को
लेकर तर्क ये दिया जा रहा है कि यहां अशोक
मोंगा के रूप में भाजपा के पास संगठन के
अनुभव वाला चेहरा है। वरिष्ठ भाजपाई
हैं और संगठन चलाने का अनुभव है।
अशोक मोंगा के नाम पर हाईकमान से भी
कोई दिक्कत नहीं है और बताया जाता है कि
उनकी सिफारिश और पैरोकारी भी मजबूत
हुई है।
हापुड़ में ठाकुर और
त्यागी और मेरठ में वैश्य
या ठाकुर
(करंट क्राइम)।केवल जातीगत संतुलन
गाजियाबाद में ही नहीं चलेगा बल्कि
जातीय संतुलन वेस्ट यूपी में साधा जायेगा।
भाजपा के अध्यक्षों वाली लिस्ट में ये माना
जा रहा है कि हापुड़ से या तो ठाकुर या
फिर किसी त्यागी चेहरे का नाम आ
सकता है। मेरठ में वैश्य या ठाकुर
समीकरण पर मुहर लगेगी। बागपत में
ब्राह्मण या फिर ओबीसी संतुलन से बात
बनेगी। नोएडा में वैश्य चेहरा तो गौतमबुद्ध
नगर में गुर्जर फैक्टर काम करेगा।
मुजμफरनगर में सैनी और बुलंदशहर में
ठाकुर चेहरे को प्राथमिकता मिलेगी।
अमरोहा में अति पिछड़े फैक्टर पर काम
होगा। भाजपा वेस्ट यूपी के 19 जिलों में
बिरादरी बैलेंस साध रही है।
जिले वाली कमान के लिए
ओबीसी फैक्टर और गुर्जर
चेहरे का नाम
(करंट क्राइम)। संगठन की बात करें तो
गाजियाबाद में भाजपा जिला संगठन की
कमान वैश्य चेहरे के रूप में दिनेश सिंघल
के पास है। सूत्र बताते हैं कि इस बार
भाजपा जिले वाली कमान के लिए ओबीसी
फैक्टर को साधेगी। यहां पर फैक्टर
ओबीसी होगा और गुर्जर चेहरे का नाम
आयेगा। हालांकि यहां लिस्ट में जाट और
अन्य जातियां भी हैं लेकिन टॉप पर गुर्जर
फैक्टर चल रहा है।
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