गाजियाबाद (करंट क्राइम)। महानगर अध्यक्ष वाली रेस के लिए चार फेस पूरी दावेदारी में थे। बताया जा रहा था कि पंजाबी फैक्टर से लेकर ब्राह्मण फैक्टर तक काम हुआ तो बिरादरी के ये चेहरे आयेंगे। वैश्य समाज के भी नाम चर्चा मेंं थे। ओबीसी फैक्टर पर भी बात चल रही थी। इंतजार की घड़िया समाप्त हुई और भगवा कमांडर का नाम घोषित हो गया। यहां पर उनका नाम तो घोषित हुआ लेकिन उन चेहरों का क्या जो दावेदारी में थे और अब उनका नाम दावेदारी से ही बाहर हो गया। अब उनका पॉलीटिकल कैरियर कहां स्टैण्ड करेगा। इसे लेकर चर्चा है जो चेहरे महानगर अध्यक्ष पद की रेस से बाहर हुए हैं क्या क्षेत्रीय अध्यक्ष सतेन्द्र सिसौदिया उन चेहरों को क्षेत्रीय टीम में कोई प्रभार देंगे। वैसे जो चेहरे महानगर अध्यक्ष वाली रेस में थे उनके पास क्षेत्रीय टीम में प्रभार रहा है और अब सवाल ये है कि क्या महानगर अध्यक्ष वाली रेस से बाहर होने के बाद भी उनका नाम क्षेत्रीय वाली टीम में आयेगा। जब क्षेत्रीय टीम की घोषणा होगी तो क्या कोई चेहरा महामंत्री बन पायेगा। बात अगर महानगर अध्यक्ष पद के दावेदारों की करें तो यहां पूर्व क्षेत्रीय महामंत्री अशोक मोंगा का नाम आता है। अशोक मोंगा महानगर अध्यक्ष भी रहें है और क्षेत्रीय टीम में पदाधिकारी रहे हैं। पंजाबी फैक्टर पर ये नाम चला था और अब क्षेत्रीय अध्यक्ष सतेन्द्र सिसौदिया अशोक मोंगा के कंधो पर कोई जिम्मेदारी देते है, यह देखना होगा। महानगर अध्यक्ष के लिए मयंक गोयल का नाम भी दावेदारी में था। मयंक गोयल क्षेत्रीय उपाध्यक्ष हैं और वो विधानसभा से लेकर मेयर और महानगर अध्यक्ष पद की दावेदारी कर चुके हैं। उनका नाम चर्चाओं में था और अब यही सवाल है कि मौजूदा क्षेत्रीय टीम में उपाध्यक्ष मयंक गोयल का नाम क्या नई टीम में आयेगा। क्या संगठन उनपर भरोसा जतायेगा। क्या उन्हें महामंत्री बनाया जायेगा। महानगर अध्यक्ष की दावेदारी और दावेदारी के बाद मिलने वाली नई जिम्मेदारी को लेकर जो चेहरे चर्चा में है उनमें केके शुक्ला का नाम है। केके शुक्ला भाजपा के पुराने कार्यकर्ता हैं। संघ परिवार से मजबूत संबंध बताये जाते हैं। विधानसभा का टिकट ना मिलने से नाराज होकर वो बसपा के टिकट पर शहर विधानसभा का चुनाव लड़े थे। भाजपा से निष्कासित हो गये थे और वापस होने के बाद वो लगातार प्रयासरत हैं। उनके पास क्षेत्रीय पद रहा है और अब फिर से एन्ट्री लेने के बाद केके शुक्ला को क्षेत्रीय टीम में लिया जाता है या नहीं, यह देखने की बात है। यहां बात मानसिंह गोस्वामी की, मानसिंह गोस्वामी महानगर अध्यक्ष रहे हैं और उन्हें रात में घर से बुलाकर भाजपा कार्यालय का ताला खुलवाकर महानगर अध्यक्ष का पदभार सौंपा गया था। फिलहाल वो प्रभारी हैं और क्षेत्रीय उपाध्यक्ष वाली जिम्मेदारी रही है। नई टीम में क्षेत्रीय महामंत्री के रूप में उनका स्थान कहां आयेगा यह भविष्य बतायेगा। यहां पर अजय शर्मा भी दावेदारों में थे। वो महानगर अध्यक्ष रहे हैं और क्षेत्रीय टीम में मंत्री पद रहा है। इस बार उनका नाम महानगर अध्यक्ष पद की दावेदारी में था और अब चूंकि संजीव शर्मा अध्यक्ष हो गये हैं तो क्या अजय शर्मा का नाम भाजपा की क्षेत्रीय टीम में आयेगा, यह देखने की बात है। क्षेत्रीय अध्यक्ष सतेन्द्र सिसौदिया की टीम में क्या अध्यक्ष पद की रेस से बाहर हुआ कोई चेहरा अपना स्थान बना पायेगा। क्या क्षेत्रीय अध्यक्ष इनमें से किसी चेहरे को कोई प्रभार सौंपेगे।
महानगर अध्यक्ष को एक्स होते ही मिलता है क्षेत्र में पद
(करंट क्राइम)। यदि भाजपा की परिपाटी को देखें तो यहां अध्यक्ष पद से एक्स होने के बाद क्षेत्रीय टीम में जरूर पद मिलता है। अशोक मोंगा जब महानगर अध्यक्ष पद से हटे तो उन्हें क्षेत्रीय टीम में स्थान मिला। इसी तरह अजय शर्मा को जब लव जिहाद प्रकरण में अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी तो लौटने के बाद उन्हें क्षेत्रीय मंत्री बनाया गया। मानसिंह गोस्वामी अध्यक्ष पद से जब एक्स हुए तो उन्हें भी क्षेत्रीय टीम में स्थान मिला।