वरिष्ठ संवाददाता
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। जिन देवतुल्यों ने निगम चुनाव में टिकट ना मिलने पर पार्टी से बगावत करते हुए मोर्चा खोला था उन्हें पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। लेकिन बाहर निकाले गये ये बागी अब राजी हैं मगर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उन्हें लेने को तैयार नहीं है। कमाल ये है कि खुद भाजपा को हराने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगाने वाले भाजपाई अब अपनी एक्टिविटी से खुद को भाजपाई साबित करने पर लगे हैं। कोई बड़ा नेता आता है तो वहां मिलने पहुंच जाते हैं। फोटो खिंचवाते हैं और अपनी सोशल मीडिया प्रोफाईल में खुद को भाजपाई बताते हैं। भाजपा में असली बनाम नकली कार्यकर्ता को लेकर सोशल मीडिया पर जंग छिड़ गई। बृजविहार मंडल से ये शुरूआत हुई और मामला तब तूल पकड़ा जब भाजपा के राष्टÑीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के आने पर कुछ निष्कासित भाजपाई उनसे मिलने पहुंच गये। कुछ ऐसे भी थे जिन पर ये आरोप था कि उन्होंने चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ काम करते हुए कांग्रेस उम्मीदवार को चुनाव लड़वाया। यहां पर भाजपाईयों का कहना था कि जो चुनाव लड़े और बागी हैं वो यहां भगवा पटका पहन कर घूम रहे थे। केवल हर चीज हम ही क्यों देखें।भाजपा का संगठन और अन्य नेता भी तो इस बात को देखें और कम से कम राष्टÑीय अध्यक्ष के प्रोग्राम में तो ये नकली भाजपाई नहीं आने चाहिए। भूपेन्द्र अब भाजपा के पार्षद हैं और उन्होंने लिखा कि चुनाव में फिर यही लोग कांग्रेस को चुनाव लड़वायेंगे। मेरे चुनाव में भी कांग्रेस को चुनाव लड़वाया है।
बागी होकर चुनाव लड़े लेकिन वो खुद को बताते भाजपाई हैं
(करंट क्राइम) गाजियाबाद। नाराजगी भाजपाईयों की भाजपाईयों से है। जो नाराज होकर दूसरे चुनाव चिन्ह से चुनाव लड़े थे वो चुनाव भी हार गये और पार्टी ने उन्हें निष्कासित भी कर दिया। वो नाराज थे टिकट ना मिलने से और पार्टी हाईकमान नाराज हुआ खुले आम विरोध में जाकर चुनाव लडने से। लेकिन दिक्कत अब उन पार्षदों को है जो भाजपा के टिकट पर इन बागियों के चलते विकट स्थिति का सामना करते हुए चुनाव जीते। अब चुनाव लड़ने और चुनाव लड़वाने वाले भाजपाईयों का कहना है कि इन्हें लिया जाना हमारे साथ विश्वासघात होगा। दिक्कत इस बात को लेकर है कि जब ये निष्कासित है तो फिर क्यों खुद को भाजपाई बता रहे हैं। कोई अभी भी अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर मुख्यमंत्री के साथ फोटो लगा रहा है और कई बड़े भाजपा नेताओं से मिलने जा रहा है। भाजपा से निष्कासित एक पूर्व पार्षद रोजाना जनरल वीके सिंह के फोटो अपनी फेसबुक पर शेयर करते हैं। वो ये तर्क देते हैं कि हमारी आस्था भाजपा के साथ है। भले ही भाजपा हमसे कोई वास्ता रखे या ना रखे। मगर इस आस्था और वास्ता से वो भाजपाई नाराज हैं जिन्होंने बगावत के बीच चुनाव लड़ा और लड़वाया है।
पार्टी नेतृत्व ही कर दे स्पष्ट तो खत्म हो जाये दोनों ही पक्षों का कष्ट
(करंट क्राइम) गाजियाबाद। यदि पार्टी ने किसी को उसकी गतिविधियों के कारण निष्कासित कर दिया है तो पार्टी नेतृत्व चाहे तो पत्र लिखकर स्पष्ट कर सकता है कि भाजपा के कार्यक्रम में क्या ये लोग आ सकते हैं। क्या किसी भाजपा के सांसद, विधायक और मंत्री से इनकी मुलाकात हो सकती है। यदि पार्टी नेतृत्व ही स्पष्ट कर देगा तो फिर पार्टी के अंदर वाला भाजपाई और पार्टी के बाहर वाला भाजपाई दोनों ही समझ लेगें कि क्या करना है और क्या नहीं करना है। संगठन के पास भी गाईडलाईन रहेगी और उसे भी बागियों को मना करने में आसानी रहेगी।
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