लखनऊ। राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौधरी लौटनराम निषाद ने कहा कि कुछ तंत्र हार्दिक पटेल जैसे लोगों को आगे कर आरक्षण व्यवस्था को खत्म करने की साजिश कर रहे हैं।(latest utter pradesh hindi news) उत्तर प्रदेश में 31 अक्टूबर को हार्दिक पटेल की जो रैली प्रस्तावित है, उसका कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि उप्र में जाट, गुर्जर व कुर्मी पहले से ही अन्य पिछड़ी जाति (ओबीसी) में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जब मंडल आयोग की सिफारिश के तहत अन्य पिछड़े वर्ग को सरकारी सेवाओं व शिक्षण संस्थानों में 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया तो उस समय पिछड़े वर्ग में 57 जातियां थीं, जो अब बढ़कर 79 हो गई हैं, लेकिन आरक्षण कोटा जस का तस ही है।
निषाद ने कहा कि पिछड़े वर्ग आरक्षण कोटा बढ़ाए बिना अन्य जातियों को शामिल करना सामाजिक न्याय प्रतिकूल है। मंडल आयोग के सदस्य एल.आर. नायक ने अपनी संस्तुति में कहा था कि पिछड़े वर्गो का दो वर्ग बनाकर मध्यवर्ती, कृषक जातियों को 12 प्रतिशत व कृषि मजदूर, पुश्तैनी पेशेवर व अत्यंत पिछड़ी जातियों 15 प्रतिशत अलग से आरक्षण देना जरूरी है, अन्यथा मध्यवर्ती जातियों अतिपिछड़ों का हिस्सा हड़प कर जाएगी।
निषाद ने कहा कि आए दिन नए-नए समुदायों द्वारा पिछड़े वर्ग में शामिल करने मांग उठती आ रही है और 1999 में अत्यंत ताकतवर व संपन्न जाट, बोक्कालिगा, लिंगायत, कुर्बा आदि जातियों को ओबीसी में शामिल कर लिया गया।
उन्होंने कहा कि इस समय गुजरात के पाटीदार समाज द्वारा ओबीसी में शामिल करने की मांग की जा रही है और पाटीदार अनामत आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल अन्य क्षेत्रों में भी जातीय आंदोलन व वर्गीय विवाद पैदा करने की साजिश कर रहे हैं। पाटीदार से ही संबंधित आंध्रप्रदेश के रेड्डी व खम्मा समुदाय भी ओबीसी में शामिल करने की मांग कर सकते हैं।
निषाद ने केंद्र सरकार से पिछड़े वर्ग की जनगणना को उजागर करने की मांग के साथ-साथ एससी, एसटी की भांति ओबीसी को भी शिक्षा व सेवायोजन में जनसंख्यानुपात में आरक्षण दिए जाने की मांग की है।
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