लखनऊ। छात्रों की कमजोर आर्थिक स्थिति के मद्देनजर केंद्र व राज्य सरकार क्या उपाय कर रही है यह चिंता इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जताई है और उसकी लखनऊ बेंच ने दोनों सरकार से हाल ही छात्रों की योजनाओं को लेकर जवाब मांगा है। आर्थिक हालात के कारण फीस न भर पाने वाले छात्रों के चलने वाली योजनाओं को लेकर राज्य और केंद्र सरकार से सवाल किया है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि बहुत से छात्र ऐसे हैं जो परीक्षाओं में सफल हो जाते हैं। लेकिन कमजार आर्थिक स्थिति के कारण वे आगे की फीस जमा करवाने में असमर्थ रहते हैं।
ऐसे राज्य और केंद्र सरकार आर्थिक रूप से कमजोर मेधावी छात्रों के लिए क्या कर रही है? उनके लिए सरकार की क्या क्या योजनाएं हैं। उनके लिए किस निधि की व्यवस्था है? हाईकोर्ट लखनऊ बेंच के जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने छात्रा संस्कृति रंजन की याचिका पर सरकार से ये जवाब-तलब किया है। गौरतलब है कि छात्रा संस्कृति रंजन की मेधा से प्रभावित होकर 29 नवंबर को जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने उसे दाखिले की फीस भरने के लिए 15 हज़ार रुपए दिए थे। हाईकोर्ट ने जॉइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी और बीएचयू आईआईटी को संस्कृति रंजन को तीन दिन में दाखिला देने का आदेश भी दिया था।
हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में बीएचयू ने संस्कृति रंजन को दाखिला दिया था। सोमवार को कोर्ट में मुंबई की डॉक्टर सोनल चौहान ने संस्कृति रंजन की पढ़ाई का जिम्मा उठाने के लिए अर्ज़ी दी। कोर्ट में मौजूद छात्रा संस्कृति रंजन ने डॉक्टर सोनल चौहान का आभार जताया। छात्रा के लिए कोर्ट की ओर से नियुक्त किए गए वकील सर्वेश दुबे ने कोर्ट को बताया कि आईआईटी के बहुत सारे पूर्व छात्रों और हाईकोर्ट के वकीलों ने भी छात्रा की पढ़ाई का जिम्मा उठाने की इच्छा जताई है। कोर्ट ने भी ऐसे सभी लोगों की सराहना की। मामले की अगली सुनवाई हाईकोर्ट लखनऊ बेंच में 20 दिसंबर को।