लखनऊ| उत्तर प्रदेश में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के निलंबित अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने नोएडा प्राधिकरण के निलंबित मुख्य इंजीनियर यादव सिंह मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच पर रोक लगाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) का विरोध किया है। (samajwadi party latest news hindi) मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भेजे अपने पत्र में अमिताभ ने कहा है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने उनकी पत्नी व सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर की जनहित याचिका पर 16 जुलाई को सीबीआई जांच के आदेश दिए थे, जिस पर कार्यवाही भी शुरू हो गई है।
अमिताभ ने अपने पत्र में लिखा है कि इसके बाद भी सरकार ने सिर्फ तकनीकी पहलुओं पर सीबीआई जांच रोकने के लिए एसएलपी दाखिल किया, जिसमें बड़े-बड़े अधिवक्ताओं पर लाखों रुपये खर्च होंगे और इससे राजकोष का अपव्यय होगा।
अमिताभ ने तत्काल इस प्रक्रिया को रोकने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर निकट भविष्य में ऐसी गैर-जरूरी याचिका को लेकर राजकोष का अपव्यय हुआ तो वह उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के लिए अदालत की शरण ले सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि यादव सिंह के मामले में शुरू हुई सीबीआई जांच पर अंतरिम रोक लगाने के लिए उप्र सरकार की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में एक एसएलपी दाखिल की गई है। याचिका के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय के सामने यह दलील दी गई है कि जब राज्य सरकार यादव सिंह मामले की न्यायिक जांच करवा रही है, फिर इसमें सीबीआई जांच कराने का क्या औचित्य है।
सीबीआई ने मंगलवार को ही यादव सिंह से जुड़े मामले में नोएडा, ग्रेटर नोएडा, आगरा, फिरोजाबाद और लखनऊ में एक साथ 14 स्थानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज को कब्जे में लिया गया था।
यादव सिंह की संपत्ति से जुड़े मामले में उच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। इसके बाद ही सीबीआई ने अपनी तरफ से कार्रवाई शुरू की थी।
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