नई दिल्ली: वाराणसी कोर्ट ने शुक्रवार को काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित संपूर्ण ज्ञानवापी मस्जिद के “वैज्ञानिक सर्वेक्षण” की अनुमति दे दी है। अदालत ने अपने आदेश में ‘वुज़ुखाना’ क्षेत्र को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के “वैज्ञानिक सर्वेक्षण” की अनुमति दी, जिसे सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सील कर दिया गया था।
अदालत ने कहा कि सर्वेक्षण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा किया जाएगा। समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे विष्णु शंकर जैन ने कहा, “मुझे सूचित किया गया है कि मेरा आवेदन मंजूर कर लिया गया है और अदालत ने मुझे वाजू टैंक को छोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का एएसआई सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया है, जिसे सील कर दिया गया है।”
अदालत ने यह आदेश इस साल मई में चार महिला उपासकों द्वारा दायर एक आवेदन के जवाब में पारित किया, जिन्होंने दावा किया था कि ज्ञानवापी मस्जिद में एक प्राचीन हिंदू मंदिर के संकेत थे और उसको हिन्दुओ को दिया जाना चाहिए।
एक अन्य याचिका के माध्यम से, पांच महिलाओं ने परिसर के अंदर ‘श्रृंगार गौरी स्थल’ पर प्रार्थना करने की अनुमति मांगी थी। कोर्ट ने 14 जुलाई को इस मामले पर बहस पूरी कर ली थी।
मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा, “ASI सर्वेक्षण के लिए हमारा आवेदन स्वीकार कर लिया गया है। यह मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ है।”
मामले में पिछली सुनवाई के दौरान, मस्जिद समिति ने ASI सर्वेक्षण की मांग करने वाली हिंदू पक्ष की याचिका का विरोध किया था और वाराणसी अदालत में एक आवेदन प्रस्तुत किया था जिसमें कहा गया था कि न तो मुगल सम्राट औरंगजेब क्रूर था और न ही उसने वाराणसी में भगवान आदि विश्वेश्वर के किसी मंदिर को ध्वस्त किया था।
मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष की इस दलील का भी खंडन किया कि भगवान आदि विश्वेश्वर मंदिर पर एक मुस्लिम आक्रमणकारी ने हमला किया था और उसे नष्ट कर दिया था और राजा टोंडल मल ने 1580 ईस्वी में उसी स्थान पर मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था।
अब ASI के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के आधार पर जो तथ्य सामने आएंगे, उसी के आधार पर आगे का फैसला निर्भर करेगा।