नन्द किशोर उपाध्याय
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। मंगलवार को मेयर सुनीता दयाल ने निरीक्षण के दौरान औद्योगिक क्षेत्र पुलिस चौकी पर वर्ष 2020 से खड़ी रोड स्वीपिंग मशीन को देखा था। जानकारी के बाद पता चला कि यह मशीन एक प्रार्थना पत्र देकर आसानी से छूट सकती थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से करोड़ों रुपए की मशीन पुलिस चौकी पर खड़े-खड़े कबाड़ में तब्दील हो गई। जिसके बाद मेयर का पारा हाई हो गया और स्वास्थ्य विभाग को आड़े हाथ लिया। बुधवार को मेयर सुनीता दयाल के निर्देश पर नगर निगम प्रशासन द्वारा रोड स्वीपिंग मशीन को पुलिस चौकी से छुड़वाने के लिए डीसीपी सिटी जोन निपुण अग्रवाल को पत्र लिखा गया। साथ ही मेयर ने बताया कि अधिकारियों की लापरवाही और पूरे प्रकरण के बारे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी पत्र लिखा जाएगा।
मेयर सुनीता दयाल ने बताया कि वर्ष 2020 में इस रोड स्वीपिंग मशीन से एक एक्सीडेंट हुआ था। इस दुर्घटना में स्कूटी चालक की मृत्यु हो गई थी। जिसके बाद मशीन को पुलिस चौकी पर खड़ा कर लिया गया था। जबकि कुछ दिन बाद ही यह मशीन आसानी से पुलिस चौकी से छुड़ाई जा सकती थी। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण करोड़ों रुपए की मशीन चौकी पर खड़े-खड़े कबाड़ में तब्दील हो गई। मेयर ने बताया कि रोड स्वीपिंग मशीन को चला रहे आरोपी ड्राईवर की भी मृत्यु हो चुकी है और करीब डेढ़ वर्ष पूर्व दुर्घटना का यह केस भी खत्म हो गया है और एफआर लग गई है। उसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग के लापरवाह अधिकारियों ने करोड़ों रुपए की मशीन की कोई भी सुध नहीं ली। मेयर ने स्वास्थ्य विभाग को आड़े हाथों लेते हुए कई गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि निगम के अधिकारी जनता के पैसों को दोनों हाथों से लुटाने में लगे हुए है। उनका प्रयास महंगी-महंगी मशीनें खरीदने का रहता है, जबकि हकीकत यह है कि इन मशीनों की कोई आवश्यकता नहीं है।
6 इंच का गड्ढा काम होने तक हो जाता है 2 फुट का
मेयर सुनीता दयाल का कहना है कि जो गड्ढा आज 6 इंच का है तब उस पर निगम द्वारा ध्यान नहीं दिया जाता है। उसके बाद जब ध्यान दिया जाता है तो टेंडर करके वर्क आॅर्डर जारी होने तक वो 6 इंच का गड्ढा 2 फुट का हो जाता है। यदि नगर निगम प्रशासन गड्ढे होने की शिकायत मिलते ही कार्य शुरु कर दें और बिना टेंडर निकाले ही निगम प्रशासन काम कर दें तो काम आसानी से और कम खर्चे में हो जाएगा। लेकिन गड्ढा भरने के लिए भी टेंडर निकाल कर ठेकेदार को आॅबलाइज करने का कार्य किया जाता है। जिसका सीधा मतलब सभी को समझ आता है।
नई मशीनें खरीद कर उन्हें कबाड़ बनाये जाने का काम कर रहा है निगम प्रशासन: सुनीता दयाल
(करंट क्राइम)। 12 सितंबर को करंट क्राइम ने नगर निगम ने गड्ढे में डाली गड्ढा भरने वाली 50 लाख की मशीन शीर्षक के साथ समाचार प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया था। दरअसल, नगर निगम ने नगरायुक्त महेंद्र सिंह तंवर के कार्यकाल के दौरान गड्ढा भरने के लिए करीब 50 लाख रुपए खर्च करके आॅटोमैटिक पॉटहोल पेचिंग मशीन खरीदी थी। इस मशीन से शहर भर के गड्ढे बिना किसी परेशानी के आसानी से भरे जा सकते है, उस मशीन को नगर निगम ने वर्षों से कविनगर जोन में खड़ा कर रखा है। इस मशीन की खासियत यह है कि यह मशीन घंटों का काम मिनटों में कर देती है और गड्ढा भी बखूबी तरीके से भरा जाता है। हालांकि यह बात अलग है कि नगर निगम के पास फिलहाल इस आॅटोमैटिक पॉटहोल पेचिंग मशीन में प्रयोग होने वाला मैटेरियल भी उपलब्ध नहीं है। आॅटोमैटिक पॉटहोल पेचिंग मशीन को लेकर मेयर सुनीता दयाल का कहना है कि निगम अधिकारियों का कहना है कि इस मशीन का प्रयोग बेहद खर्चीला साबित होता है। जितने खर्चे से पूरी सड़क बन सकती है उतने खर्चे में इस मशीन से कुछ गड्ढे ही भरे जा सकते है। जिस पर मेयर सुनीता दयाल का कहना है कि जब इस मशीन से गड्ढा भरना इतना महंगा सौदा साबित हो रहा था तो इस मशीन को खरीदने की ही क्या आवश्यकता थी। कुल मिलाकर नगर निगम प्रशासन द्वारा बेमतलब की मशीनें खरीद कर उन्हें कबाड़ बनाने का काम किया जा रहा है। मेयर सुनीता दयाल ने अपने शब्दों पर जोर देते हुए कहा कि नगर निगम प्रशासन नई मशीनें और गाड़ियां खरीदने पर ज्यादा फोकस रख रहा है।
कानपुर मेें 55 लाख की मशीन गाजियाबाद में हो गई 90 लाख की
(करंट क्राइम)। मेयर सुनीता दयाल का दावा है कि रोड पैचिंग मशीन गाजियाबाद नगर निगम द्वारा करीब 90 लाख रुपए की खरीदी गई थी। जबकि कानपुर नगर निगम ने यही मशीन लगभग 55 लाख रुपए की खरीदी थी। हालांकि वहां भी इस मशीन का उपयोग नहीं हो पा रहा है और वहां भी खड़ी ही है। गाजियाबाद नगर निगम ने शुरुआत में इस मशीन को खरीदने से मना कर दिया था। लेकिन उसके बाद भी 15वें वित्त आयोग की धनराशि से यह मशीन खरीदी गई। जबकि इसका मैटेरियल काफी महंगा आता है। ऐसे में नगर निगम ने यह सफेद हाथी खरीद कर कबाड़ बनाने के लिए खड़ा कर रखा है। मेयर का तो यहां तक कहना है कि जब इस मशीन से किये गये कार्यों की जानकारी मांगी गई तो जानकारी दी गई कि इस मशीन से कार्य कराया गया है। जबकि जमीनी स्तर पर इस मशीन से आज तक कोई भी काम नहीं हुआ है। इस मशीन से काम कराने की बात पूरी तरह फर्जी है। जिसके पूरे सबूत भी मौजूद है।
पांच रिफ्यूज्ड कॉम्पेक्टर मशीन खड़े-खड़े बन रही है कबाड़
(करंट क्राइम)। मेयर सुनीता दयाल ने बताया कि नगर निगम के पैट्रोल पंप पर दो नई रिफ्यूज्ड कॉम्पेक्टर मशीन और कविनगर नगर निगम जोनल कार्यालय में तीन रिफ्यूज्ड कॉम्पेक्टर मशीन खड़े-खड़े कबाड़ में तब्दील हो रही है। इन लाखों रुपयों की मशीनों पर निगम प्रशासन द्वारा कोई भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। वहीं औद्योगिक क्षेत्र पुलिस चौकी पर पिछले तीन वर्षों से करोड़ों रुपए की रोड स्वीपिंग मशीन कंडम हो चुकी है। ऐसे ही नगर निगम की न जाने कितनी गाड़ियां और ई-रिक्शे विजयनगर जोनल कार्यालय पर खड़े है। जिनकी बैटरियां और अन्य कीमती सामान भी निकाल लिया गया है। हालांकि जो गाड़ियां सरकार की नीतियों के हिसाब से अनुपयोगी हो गई है उनकी नीलामी होनी चाहिए। जिन गाड़ियों का अभी समय है उनका उपयोग किया जाए।
सिस्टम से बेहद खफा है मेयर
(करंट क्राइम)। मेयर सुनीता दयाल का कहना है कि नगर निगम के अधिकारियों से फाईल मांगने पर वह आना-कानी करते है और जब फाईल देते भी है तो उनमें से पेपर गायब कर दिये जाते है। ऐसा सिर्फ कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए किया जाता है। जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। एक जनप्रतिनिधि से अधिकारियों का इस तरह का व्यवहार सोचनीय विषय है।
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