वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम)
गाजियाबाद। नगर निगम में सब कुछ सामान्य नहीं चल रहा है। यहां कई बार उन बातों को लेकर बात बन जाती है जिन बातों को संवाद के जरिए पहले से ही पूरा किया जा सकता था। सोमवार को नगर निगम में सफाई मित्रों को और सफाई नायकों को बेहतर काम के लिए प्रशस्ति पत्र दिये गये। लेकिन प्रशस्ति पत्र को लेकर विचित्र बात ये थी कि इसमें एक तरफ हस्ताक्षर थे और दूसरी तरफ के सिग्नेचर में मेयर ही नहीं थी। इन प्रशस्ति पत्रों पर केवल नगर आयुक्त के साईन थे। सूत्र बताते हैं कि प्रशस्ति पत्र पर मेयर के हस्ताक्षर नहीं थे और जब मेयर मंच पर पहुंची तो इस ओर ध्यान गया। लेकिन फिर मेयर ने हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। केवल चार महिला सफाई मित्रों के प्रशस्ति पत्र पर हस्ताक्षर किये। सूत्र बताते हैं कि इस बात से मेयर का मूड उखड़ गया और उन्होेंने विनम्र लहजे में यहां तक कह दिया कि यदि हस्ताक्षर कराने में दिक्कत थी तो मेयर को बुलाने की ही क्या जरूरत थी। बेहतर होता कि प्रशस्ति पत्र का मेयर का पदनाम और नाम लिखा ही नहीं जाता। मंच पर जाने के बाद और बात खुल जाने के बाद हस्ताक्षर कराने का औचित्य नहीं है। बाद में पता चला कि नगर आयुक्त कार्यालय से मेयर कार्यालय पर फोन गया था। यहां पर नगर आयुक्त कार्यालय की ओर से मेयर कार्यालय में तैनात उनके पीए से मेयर के डिजीटल सिग्नेचर मांगे गये थे। दुरूपयोग होने की संभावना के चलते मेयर कार्यालय से डिजिटल सिग्नेचर नहीं दिये गये और कहा गया कि प्रशस्ति पत्र पर मेयर स्वयं हस्ताक्षर कर देंगी, आप उन्हें यहा ले आयें। लेकिन कोई भी प्रशस्ति पत्र लेकर नहीं पहुंचा और फिर हस्ताक्षर नहीं हो पाये। बहरहाल इस कन्फ्यूजन के बीच लगभग 80 सफाई मित्रों और सफाई नायकों को बिना मेयर के हस्ताक्षर वाले प्रशस्ति पत्र मंच से दे दिये गये।
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