नई दिल्ली । संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का मुद्दा 1996 से चल रहा है, लेकिन तमाम अवरोधों के कारण अब तक यह संसद से पास नहीं हो सका। इस बार भी जब नरेंद्र मोदी सरकार ने संसद में ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ पेश कर दिया है, इस पर सबसे बड़ा हमला ओबीसी समुदाय की महिलाओं को अलग से आरक्षण दिए जाने को लेकर किया जा रहा है। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने इसी मुद्दे के सहारे केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की है।
इसी मुद्दे पर कभी एक नेता ने कहा था कि वे ऐसा कानून नहीं पास होने देंगे जिससे संसद में केवल ‘परकटी महिलाओं’ को ही प्रतिनिधित्व मिले। उनका इशारा उच्च वर्ण की महिलाओं के द्वारा महिला आरक्षण का पूरा लाभ उठा लेने से था। वे महिला आरक्षण में ओबीसी, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षण के अंदर आरक्षण दिए जाने की मांग कर रहे थे।
‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ का जो प्रारूप सामने आया है, उससे यह स्पष्ट हो गया है कि बिल में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए अलग इन वर्गों के लिए पहले से आरक्षित सीटों में से एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है। ओबीसी वर्ग की महिलाओं के लिए अलग से कोई कोटा नहीं निर्धारित किया गया है।
सोनिया ने भी उठाया ओबीसी का मुद्दा
इसे लेकर तमाम विपक्षी दल सरकार पर हमलावर हो गए हैं। सोनिया गांधी ने ओबीसी समुदाय की महिलाओं के लिए कोटा निर्धारित करने की मांग करते हुए बिल का समर्थन किया है। उन्होंने कहा है कि यह राजीव गांधी सरकार का लाया हुआ बिल है। उन्होंने पंचायती व्यवस्था में महिलाओं के लिए आरक्षण शुरू किया था। लेकिन उन्होंने महिला आरक्षण में पिछड़े, दलित, आदिवासी महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण दिए जाने की वकालत की।
राहुल गांधी ने लोकसभा में नारी शक्ति वंदन विधेयक पर कहा कि देश के पिछड़े वर्ग की महिलाओं को भी महिला आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को महिला आरक्षण तत्काल लागू करना चाहिए। इसके लिए जनगणना का पेंच फंसाकर मामले को देर करने का रास्ता तैयार कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को तुरंत आरक्षण देने में कोई बाधा नहीं है।
मुस्लिम महिलाओं के आरक्षण का मुद्दा
वहीं, असदुद्दीन ओवैसी ने यह कहकर इस बिल की मंशा पर प्रश्न खड़े किए हैं कि इस बिल में मुस्लिम महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण की व्यवस्था नहीं की गई है। ऐसे में संसद में मुस्लिम समुदाय की महिलाओं की बात नहीं उठाई जाएगी। हालांकि, भाजपा ने ओवैसी पर यह कहते हुए पलटवार किया है कि इस समय भी धार्मिक आधार पर कोई आरक्षण नहीं दिया गया है। संविधान में केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्गों के लिए लोकसभा में सीटों का आरक्षण दिया गया है। इसमें धार्मिक आधार पर कोई आरक्षण पहले भी नहीं दिया जा रहा है, इसलिए महिला आरक्षण में धार्मिक आधार पर आरक्षण की मांग करना अनुचित है।
हालांकि, महिलाओं के लिए आरक्षण का कानून लागू होने के बाद भी केवल 181 सीटों पर ही महिला आरक्षण लागू होगा। शेष 362 सीटों पर कोई भी दल मुसलमान सहित किसी भी समाज की महिलाओं को प्रत्याशी बनाने के लिए स्वतंत्र होगा। ऐसे में महिलाओं के आरक्षण में महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण की मांग करना अनुचित है।
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