निकाय चुनाव में खाता तक नहीं खोल पाई थी पार्टी
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में रालोद जीरों से जरूर आठ सीटों तक पहुंच गई है और राज्यसभा के रूप में स्वयं राष्टÑीय अध्यक्ष जयंत चौधरी सदन में पहुंच गये हैं और पार्टी अब एक बार फिर से वेंटिलेटर से उठकर जमीनी स्तर पर जंग लड़ती हुई नजर आने लगी है। लेकिन जनपद गाजियाबाद में रालोद की बात की जायें तो रालोद 2017 से निरंतर जनपद में कमजोर हुआ है। वर्ष-2017 के निकाय चुनाव में रालोद नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत के चुनाव में खाता तक नहीं खोल सकी थी। वहीं जनपद के महानगर में बात करें तो आलम यह हो गया था कि रालोद आम आदमी पार्टी से भी पिछड़ गई थी। मेयर चुनाव में आप प्रत्याशी को जहां 13665 वोट प्राप्त हुए थे वहीं रालोद प्रत्याशी के पक्ष में केवल 9406 मत ही प्राप्त हुए। अब शीर्ष नेतृत्व को खुद की ओवरहालिंग के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए ताकि रालोद जनपद गाजियाबाद में मजबूत हो सके।
बता दें कि वर्ष-2017 के निगम चुनाव में रालोद और आम आदमी पार्टी ने भी मेयर प्रत्याशी उतारे थे। मेयर प्रत्याशी के रूप में रालोद की तरफ से कुसुम राघव उम्मीदवार थी वहीं आम आदमी पार्टी की तरफ से डाक्टर प्रगति त्यागी उम्मीदवार थी। मेयर चुनाव भाजपा की झोली में गया और दूसरे नंबर पर कांग्रेस और तीसरें नंबर पर बसपा व चौथे नंबर पर सपा के उम्मीदवार रहे। आम आदमी पार्टी और रालोद के बीच पांचवे व छटे नंबर का मुकाबला रहा।
पांचवे नंबर पर आप उम्मीदवार डाक्टर प्रगति त्यागी रही और उन्हें 13665 मत प्राप्त हुए वहीं रालोद उम्मीदवार कुसुम राघव को 9406 मत प्राप्त हुए। अब एक बार फिर से निकाय चुनाव सभी राजनैतिक दलों के ऊपर आ चुके हैं और ऐसे में यदि रालोद को अपना 2022 के रिजल्ट में सुधार लाना है तो एक सफल रणनीति तैयार करके आगे बढ़ना होगा तभी पार्टी जनपद गाजियाबाद में मजबूत हो सकेगी। नहीं तो जैसा हाल 2017 में हुआ था
उसका नाट्यरूपांत्रण 2022 में भी हो सकता है।