पन्ना खदानों की नीलामी के पहले यहां नये सिरे से ड्रोन सर्वे, टोपोग्राफी मैपिंग, जियोलाजिकल मैपिंग का कार्य चल रहा है और उम्मीद की जा रही है कि इस महीने के अंत तक भू-तात्विक सर्वेक्षण का कार्य पूरा कर लिया जायेगा। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि विभाग का प्रयास है कि सर्वे की ताजा रिपोर्ट के आधार पर आगामी मार्च तक पन्ना खदानों की ई-नीलामी करा ली जाये।
गुड़ाबांधा के जिस इलाके में पन्ना का भंडार है, वह जमशेदपुर से करीब 85 किमी दूर स्थित है। यहां पावड़ी, झारपोखरिया, पोखरडीहा बारुनमुठी, खरकुगोड़ा सहित 45 पहाड़ियां हैं। इनकी ऊंचाई एक हजार से 15 सौ फीट तक है। अनुमान है कि यहां लगभग 628 एकड़ भूमि इलाके में पन्ना मौजूद है। फिलहाल सर्वे टीम बहुटिया और चुड़िया पहाड़ इलाके में आधुनिक तकनीक से सर्वे में जुटी है। इसके पहले बारुनमुठी और हड़ियान पहाड़ परजीआई मैपिंग और सैंपलिंग का काम पूरा किया जा चुका है। सैंपल को रसायनिक जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा गया है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, पहले चरण में बारुनमुठी, हड़ियान, बहुटिया और चुड़ियापहाड़ में खदानों के दो ब्लॉक बनाकर इन्हें ई-नीलामी के जरिए लीज पर दिया जायेगा। अनुमान है कि इससे प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर कम से कम दस हजार लोगों को रोजगार मिल सकेगा। सरकार ने जो पॉलिसी तय की है, उसके अनुसार राज्य में लीज पर खदान चलाने वाली कंपनियों को 75 प्रतिशत पदों पर स्थानीय लोगों को नियुक्त करना होगा।
बता दें कि झारखंड सरकार ने माइनिंग सेक्टर से होने वाली आय को बढ़ाने के लिए बड़ी कार्ययोजना तैयार की है। इसके लिए सरकार ने झारखंड अन्वेषण एवं खनन निगम लिमिटेड (जेइएमसीएल) नामक कंपनी बनायी है। सरकार इसे एक हजार करोड़ की पूंजी वाली कंपनी के रूप में विकसित करेगी। यह कंपनी खनिज की खोज, उत्पादन और नीलामी आदि में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने लगभग चार महीने पहले खनन एवं भू-तत्व विभाग के अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक कर माइनिंग सर्विलांस सर्विस सिस्टम डेवलप करने का निर्देश दिया था।
पूर्वी सिंहभूम के गुड़ाबांधा इलाके में पन्ना की अवैध खुदाई पिछले दस साल से हो रही है। बहरहाल, अब खदानों की आधिकारिक तौर पर बंदोबस्ती की प्रक्रिया शुरू होने से राज्य सरकार को राजस्व और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार की उम्मीद बढ़ी है।