एक साल के इंतजार के बाद भारतीय सेना को आकाशतीर प्रणाली मिल गई। यह प्रणाली दुश्मन देशों का काल मानी जा रही है। सीमा पर अतिक्रमण की हिमाकत करने वाले दुश्मनों पर इसकी पैनी नजर रहेगी। यह सिस्टम दुश्मन की हर चाल से देश को बचाएगा। वहीं दुश्मन देशों के विमानों को उड़ता ताबूत बना देने वाले रूस से भारत को एक अन्य खतरनाक हथियार भी मिल गया है। इससे भारत पहाड़ों में चीन को धूल चटा देगा। इन दोनों हथियारों पर जनप्रवाद की टीम का खास विश्लेषण।
अप्रैल महीने में भारतीय सेना की वायु रक्षा कोर को आकाशतीर परियोजना के तहत कमांड और कंट्रोल सिस्टम मिल गया। इस प्रणाली की मदद से देश की जमीन से लेकर आसमान तक की हिफाजत सेना के लिए आसान हो जाएगी। इसे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने विकसित किया है। रक्षा मंत्रालय ने पिछले बीईएल के साथ इस प्रणाली के विकास के लिए 1982 करोड़ रुपये का समझौता किया था।
दुश्मन देशों के लिए काल
आकाशतीर रॉकेट-मिसाइल सिस्टम्स दुश्मन देशों के लिए काल है। यह एक स्वचालित वायु रक्षा नियंत्रण और रिपोर्टिंग प्रणाली है। इसमें सेंसर व रडार का नेटवर्क है। यह दुश्मन के विमान, जेट, हेलिकॉप्टर, ड्रोन और मिसाइलों के बारे में तुरंत अलर्ट जारी करते हैं। इसके अलावा इस प्रणाली से मिले अलर्ट के आधार पर जमीन से लेकर हवा में मार करने वाली मिसाइलें और रॉकेट्स को जोड़ा जा सकता है। इसके अलर्ट सेना और वायुसेना दोनों को मिलेंगे। इससे दुश्मन के हमले के खिलाफ त्वरित प्रतिक्रिया देना आसान हो जाता है। आकाशतीर प्रणाली से कम ऊंचाई वाले इलाकों में हवाई जोखिमों की निगरानी में बेहद आसानी होगी।
भारतीय सेना के पास नेटवर्क
भारतीय वायुसेना के पास अपना एएफनेट यानी एयरफोर्स नेटवर्क है। इसे भारतीय सेना के भविष्य के इंटिग्रेटेड वॉर रूम का हिस्सा माना जा रहा है। जिसका इस्तेमाल तीनों सेनाएं मिलकर करेंगी। इस प्रणाली के तहत दुश्मन देशों की हरकतों का अलर्ट मिलते ही सबसे पहले जमीन से हमला किया जाएगा। अगर यह हमला असफल रहा, तो वायु सेना तुरंत मोर्चा संभाल लेगी। इसके अलावा इस प्रणाली का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि युद्ध के समय यह प्रणाली वायु सेना के विमानों और मिसाइलों को दुश्मन देश से बचाने में मददगार साबित होगी। इसके अलावा विवादित हवाई क्षेत्र में विमानों की सुरक्षा भी इसके जरिये की जा सकेगी।
बहुआयामी प्रोजेक्ट
यह प्रोजेक्ट बहुआयामी है। इससे कोस्ट गार्ड, कस्टम्स, जासूसी संस्थाएं, बंदरगाह अथॉरिटी, जहाजरानी मंत्रालय जैसे कई संस्थानों को फायदा होगा। जमीन पर सर्विलांस नेटवर्क रडार, स्पेस आधारित आॅटोमैटिक आईडेंटिफिकेशन सिस्टम के जरिए आसानी से सीमाओं पर नजर रखी जा सकेगी। सैन्य सूत्रों के अनुसार आकाशतीर का एक उल्लेखनीय पहलू गतिशीलता और लचीलेपन पर जोर है। हर चुनौतीपूर्ण स्थिति में इसके संचालन के लिए वाहन-आधारित और मोबाइल बनाए गए हैं। इससे जरूरत के हिसाब से एक से दूसरी जगह पर आसानी से ले जाया जा सकता है।
आकाशतीर की विशेषता
आकाशतीर नियंत्रण केंद्रों को शामिल करना भारतीय सेना द्वारा नए दौर के लिए किए जा रहे बदलावों की दिशा में प्रमुख मील के पत्थरों में से एक है। यह सिस्टम सेना के जटिल वायु रक्षा अभियानों की वर्तमान ही नहीं भविष्य की जरूरतों को भी पूरा करेगा।
आकाशतीर की विशेषता यह है कि सभी स्तरों पर रडार और संचार प्रणालियों को एक एकीकृत नेटवर्क में एक करके लक्ष्य की अभूतपूर्व स्तर की पहचान कर सजग नियंत्रण प्रदान करना है। इसकी त्वरित सटीकता शत्रुतापूर्ण लक्ष्यों पर तेजी से हमला करने में सक्षम है। यह सेना को एक मजबूत वायु रक्षा प्रणाली प्रदान करेगा जिससे वह संभावित हवाई खतरों से महत्वपूर्ण संपत्तियों, सैनिकों और बुनियादी ढांचे की बेहतर रक्षा कर सकेगी।
आकाशतीर प्रणाली एकीकरण सेना को विभिन्न रडार, नियंत्रण केंद्रों और जमीन-आधारित हथियार प्रणालियों के डेटा को मिलाकर अपने वायु रक्षा अभियानों को अनुकूलित करने की अनुमति देगा। यह केंद्रीकृत रणनीति अधिक प्रभावी निर्णय लेने और हवाई खतरों पर तेजी से प्रतिक्रिया करने की अनुमति देगी, जिससे भारत की समग्र रक्षा स्थिति को बढ़ावा मिलेगा।
आकाशतीर से विवादित हवाई क्षेत्र में मित्रवत विमानों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी और इनकी सुरक्षा का जोखिम कम होगा।