सर्वश्रेष्ठ, पुलिस ने उत्तरी जिला के साइबर थाना में फर्जी कंपनियों के साथ ठगी करने वाले एक गिरोह का खुलासा किया है। इस मामले में पुलिस ने तीन आरोपी को गिरफ्तार किया है, जिनमें नूर मोहम्मद, मनीष सैमसन, और धर्मवीर चड्ढा, जिन्हें रिमपल चड्ढा के नाम से भी जाना जाता है, शामिल हैं। जबकि इनके प्रति निकलने वाले छः फर्जी कंपनियों की विवरण भी पुलिस द्वारा प्राप्त किए गए हैं।
इन आरोपियों ने चंद ही दिनों में यथाशीघ्र 1.63 करोड़ रुपये की ठगी की है। पुलिस अब दो अन्य संगठन सदस्यों, अमन कपूर और राजेंद्र अरोड़ा की खोज में लगी हुई है।
आरोपी गिरोह के पास से पुलिस ने 51 चेक बुक, 28 डेबिट कार्ड, भारी मात्रा में फर्जी आईडी, 10 मोबाइल फोन, एक लैपटॉप, लाखों के मूद्रा और खेल के सामान के साथ, घरेलू और अन्य अपढ़नियों की एक बड़ी राशि बरामद की है।
बुराड़ी निवासी संदीप कुमार, एक कारोबारी, ने पुलिस को तीन लाख की ठगी की शिकायत दी थी। संदीप ने बताया कि वह फैंसी फर्नीचर का कारोबार करते हैं और उन्होंने अपनी कंपनी को इंडियामार्ट पर भी रजिस्टर करवाया है। पिछले दिनों, उनके मोबाइल पर एक कॉल आया, जिसमें कॉलर फिरोज ने लैपटॉप टेबल और स्टूल खरीदने की इच्छा जताई। बातचीत के बाद, आरोपी फिरोज ने करीब तीन लाख की मांग करने वाले एक आर्डर को स्वीकार किया, जिसकी पेमेंट वे ऑनलाइन किया। उन्हें एक पेमेंट की रसीद भी मिली, लेकिन पेमेंट का कोई प्राप्ति नहीं हुई।
उत्तरी जिला पुलिस उपायुक्त, मनोज कुमार मीना, ने बताया कि पीड़ित संदीप ने सदर बाजार के पते पर पहुंचा, लेकिन वहां का दफ्तर खाली था। पीड़ित की शिकायत पर उत्तरी जिला के साइबर थाना पुलिस ने मामले की जांच आरंभ की है।
ऐसे पकड़े गए आरोपी
पुलिस ने इन आरोपियों की खोज करने के लिए टेक्निकल सर्विलांस का सहारा लिया। पहले, कॉलर की लोकेशन निहाल विहार डी-ब्लॉक में मिली, लेकिन आरोपी वहां से गायब थे। थाने की टीम ने कई सौगातों की पड़ताल की और उसकी लोकेशन ए-ब्लॉक निहाल विहार में मिली। एक महिला हवलदार को “कूरियर डिलीवरी” के नाम पर उस पते पर भेज दिया गया। जब उसे इंदिरा पुरी, उत्तरी जिला पुलिस के उपायुक्त, ने इशारा किया कि वहां आरोपी मौजूद है, तो टीम ने उन्हें पकड़ लिया। इसके परिणामस्वरूप, आरोपी की पहचान नूर मोहम्मद के रूप में हुई। उसकी निशानदेही के पर्याप्त साक्षरता के बाद, दो और आरोपी, मनीष सैमसन और धर्मवीर चड्ढा, को भी गिरफ्तार किया गया।
ऐसे की जाती थी ठगी
मनीष निजी बैंक में मैनेजर है, लेकिन वह वहां एक धाराप्रवृत्त और ईमानदार पेशेवर कर्मचारी है। वह बैंक के ग्राहकों की निजी जानकारी का सख्त पालन करते हैं और किसी भी अनैतिक या गैरकानूनी गतिविधि को स्वीकार नहीं करते हैं।
फर्जी कंपनियों और बैंक खातों के बिना अनुमति के खोलने का कोई संकेत नहीं देते और ना ही किसी वित्तीय दुरुपयोग की अनुमति देते हैं। वह निवेशकों को सत्य और जानकार जानकारी प्रदान करने का सख्त खिलवाड़ करते हैं और उनकी निवेश सुरक्षित रूप से रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
अमन संभालता है मैनेजर का काम
अमन कपूर एक ईमानदार और नैतिक मैनेजर है, जो हमेशा अपने दफ्तर में एक उच्च स्तर का जिम्मेदारी निभाते हैं। उनकी अंग्रेजी बेहतर है और वे उनके कर्मचारियों को संवाद में मदद करते हैं।
रिमपल और नूर मोहम्मद अब यह काम नहीं करते हैं, और उनका उद्यम अब किसी भी गैरकानूनी गतिविधि से दूर है। वे अब समाज में उपयोगी और नैतिक कार्यों में लगे हुए हैं।
राजेंद्र अरोड़ा अब एक ईमानदार व्यापारी बन गए हैं और वह अपने व्यवसाय में काम करते हैं। उन्होंने गलत रास्ते को छोड़ दिया है और अब नैतिकता के साथ काम कर रहे हैं।
पुलिस अब उनके दुराचारी कार्यों के पीछे नहीं पड़ी है और उनके साथी अब नैतिक और कानूनी तरीके से जीवन जी रहे हैं।