इजरायल और हमास के बीच जारी युद्ध में सोमवार को इजरायली सेना ने गाजा के सबसे बड़े जबालिया रिफ्यूजी कैंप पर हमला किया। इस हमले में हमास के एक महत्वपूर्ण कमांडर इब्राहिम बियारी सहित 50 लड़ाके मारे गए। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, जबालिया रिफ्यूजी कैंप जगह जगह 1.4 स्क्वायर किमी में फैला है।
इस हमले में करीब 50 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 150 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। इजरायल ने यह हमला किया इसलिए क्योंकि उन्हें हमास के हमले का बदला लेना था, जो 7 अक्टूबर को हुआ था। इजरायली सेना ने गाजा पर कई सप्ताहों तक हवाई बमबारी की। इस हमले में हमारे 9 सैनिक मारे गए हैं।
इजरायली सेना के इस हमले के बाद हमास ने इसे नकारा नहीं किया, लेकिन उन्होंने इसे इजरायली बहाना बताया क्योंकि वह अपने लोगों की हत्या कर रहे थे। पैलेस्टाइनियन स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, कम से कम 50 पैलेस्टाइनियन मारे गए और 150 से अधिक नागरिक घायल हो गए।
हमास के एक बयान में कहा गया है कि इस हमले में जबालिया में करीब 400 लोगों की मौत हो गई और घायल हुए, जहां 1948 में इजरायल के साथ हुए युद्धों के शरणार्थियों के परिवार रहते हैं। रिपोर्ट्स द्वारा संकेतित हताहत आंकड़ों की पुष्टि नहीं की गई है।
Over the past day, IDF troops operated in a Hamas terrorist stronghold in Jabaliya, northern Gaza.
The stronghold was used for training and execution of terrorism activities.
During the ground activity, the troops eliminated approx. 50 terrorists, as well as destroyed… pic.twitter.com/XMT7ZTZYKv
— Israel Defense Forces (@IDF) October 31, 2023
इस तंग घेरे द्वारा पैलेस्टाइनियन लोगों की जिंदगी पर भयंकर प्रभाव पड़ रहा है। इस युद्ध से वहां की स्थिति और भी अत्यधिक चुनौतीपूर्ण हो गई है। गाजा में रहनेवाले लोगों की आत्मा में भी गहरी चिंता और भय का माहौल बना हुआ है। यह जंग इन लोगों के लिए एक जीवन-मौत की जंग बन चुकी है, जिससे उन्हें निकलने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा है।
हमास के प्रति इजरायली सेना के हमले ने इस युद्ध को और भी उग्रवादी बना दिया है। इस युद्ध की उलझन में फंसे लोगों के लिए जिंदगी में आनेवाली चुनौतियों की कोई सीमा नहीं दिख रही है। यह संकेत देता है कि यह युद्ध जल्दी ही सुलझाने की संभावना कमजोर हो गई है और इसके परिणामस्वरूप संघर्ष जारी रहने की संकेतित आशंका बढ़ गई है।
इस घटना की चपेट में फंसे पैलेस्टाइनियन लोगों के लिए आज कल का हर दिन जैसे की जेल में काटा हुआ है। इस संघर्ष के बारे में जानकर हमें यह सोचने पर मजबूर किया जाता है कि इसमें जितने भी लोग सम्मिलित हैं, वह सभी इस भयंकर दांव पर क्यों खेल रहे हैं, जहां न कोई जीतने का सम्भावना है और न ही कोई जान बचाने की गारंटी है।