गाजियाबाद, करंट क्राइम। मैं एक और घटना आप सभी के साथ साझा कर रहा हूँ। एक दिन मैं गाजियाबाद में अपने घर पर लोगों से मिल रहा था।अपने समाज के कुछ लोगों का एक ग्रुप आया और उन्होंने अवगत कराया कि अमुक लड़के को पुलिस उठाकर ले गई है और छोड़ नहीं रही है। मैंने एसएसपी को फोन किया । उस समय बहुत सख्त शैलजा कांत मिश्र एसएसपी थे। मैंने उनसे पूछा कि अमुक लड़के को अमुक थाने की पुलिस घर से उठाकर ले गई है ,क्या मामला है ? एसएसपी ने उत्तर दिया कि गाजियाबाद में जो बिल्डर के बच्चे का सनसनीखेज अपहरण हुआ है। उस अपह्रत बच्चे को जिस गाड़ी से ले जाया गया है ,उस गाड़ी को ये चला रहा था। और एसएसपी ने अपने से कहा कि मैं यह मानने को तैयार नहीं हूं कि इसे यह मालूम न हो कि इस बच्चे का अपहरण करके ले जाया जा रहा है। मुझे भी उसकी गिरफ्तारी में कुछ गलत नहीं लगा और मैंने ठीक है कहकर फोन काट दिया। मैंने उस ग्रुप से कहा कि मैं इस मामले में कोई सिफारिश नहीं कर सकता। मैं पुलिस की कार्यवाही में कुछ भी गलत नहीं पाता हूँ। वे भड़क गए और मेरे विरुद्ध नारेबाजी करने लगे। उनमें एक रिटायर्ड अधिकारी भी थे जिनकी मैंने एक मामले में मदद भी की थी। उसमें जो नौजवान थे ,वह मुझे चेतावनी दे कर गए कि चुनाव में आएगा तब बताएंगे।
वह समय कैसा था जिस समय की घटना है ,अगर उसका उल्लेख न करूं तो बात अधूरी रह जायेगी। 1989 तक उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह जी की सरकार थी। अमेरिका से छपने वाली एक मैगजीन में एक लेख छपा था जिनमे दुनिया के तीन शहरों का उल्लेख था जिनमे अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। उनमें एक शहर का नाम गाजियाबाद था। अपहरण फिरौती लूट छिनैती की घटनाओं की बाढ़ थी। कभी कभी तो उस समय के डीएम और एसएसपी के बारे में भी चर्चा होती थी कि अपराधियों से उनका सम्पर्क है। दिल्ली से छपने वाले अखबारों में त्यागी गैंग के समाचार छपते थे। मेरे एक सजातीय मित्र ने बम्बई से टेलीफोन किया और कहा कि आज तो गजब हो गया। ट्रेन में दो यात्री आपस में चर्चा कर रहे थे कि ये त्यागी कौन होते ?
आजकल इनके बड़े समाचार आते हैं। तो दूसरे ने कहा कि ये पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जरायम पेशा कौम है। ऐसे समय में पार्टी ने मुझे गाजियाबाद से टिकट दिया और जनता के आशीर्वाद से जीत भी मिली । पार्टी ने सरकार में मंत्री का भी सम्मान दिया। न तो मैं बड़े बाप का बेटा था।न मेरे पास धन था। न मेरी कोई राजनैतिक विरासत थी । पिता जी खेत किसान थे। कभी पंचायत के सदस्य भी नहीं रहे। और गाजियाबाद जैसे शहर से विधायक चुने जाने का सौभाग्य मिला। उस समय तो सजातीय वोटरों की संख्या भी 10000- 15000 से अधिक नहीं रही होगी । समय बदला समाज के युवाओं ने पुरसार्थ दिखाया। समाज के बच्चे डॉक्टर इंजीनियर ,प्रोफेसर वकील वैज्ञानिक बन रहे हैं। अब तो समाज की लड़कियां भी आगे बढ़ रही हैं । न्यायपालिका तक मे अपना स्थान बना रहे हैं। इससे समाज के बारे में धारणा बदली है। समाज भी देश की उन्नति में अपना योगदान कर रहा है। समाज मे हमारे समाज के बारे में भी अच्छी शिष्ट समाज की धारणा बनी है।
मुझे डर लग रहा है कि अपने समाज केकुछ लोग जो नगण्य सी संख्या में हैं लेकिन समाज को फिर अंधी गली में धकेलने के काम कर रहे हैं। मुझे जब सबसे ज्यादा आश्चर्य तब हुआ जब एक नौजवान ने सोशल मीडिया में समाज के दो नेताओ के साथ साथ दो ऐसे लोगो को समाज का गौरव बताया जिनकी आपराधिक छवि है। मैं समाज के उन लोगों से जो समाज के बारे में अच्छा सोचते हैं ,समाज के बच्चों को आगे बढ़ते देखना चाहते हैं। उन्हें उचित मार्गदर्शन दें।
अपनी निष्क्रियता छोड़कर आगे बढ़ें और सही दिशा। दिखाए। उन्हें पानी से आधा भरा गिलास को आधा खाली देखने के बजाय आधा भरा देखने का संस्कार विकसित करें।