भागवत गीता का अध्याय 15 “पुरुषोत्तम योग” के छंद पंक्तियाँ मनुष्य के आत्मा और परमात्मा के बीच के संबंध को समझाते हैं। यहाँ इस अध्याय की प्रमुख बातें हैं:
1. वृक्ष की तरह जगत् को दृश्यमान और अदृश्य रूपों में विभाजित किया गया है। जगत् की मूल और शाखाएँ परमात्मा से ही उत्पन्न होती हैं।
2. आत्मा को जगत् के शाखाओं में संसार के विचार के साथ फंसा हुआ दिखाया गया है, जबकि परमात्मा को वह सर्वश्रेष्ठ परम प्राप्ति के लिए अपनाता है।
3. संसार के जड़-चेतन और अन्य तत्त्वों का वर्णन किया गया है और उनका सम्बंध अन्तकरण के साथ दिखाया गया है।
4. अन्तिम श्लोक में कहा गया है कि भक्ति के द्वारा ही आत्मा को परमात्मा की प्राप्ति होती है और उसका सार्थक जीवन होता है।
यह अध्याय आत्मा और परमात्मा के संबंध को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।