इस बीच, बिहार सरकार ने ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों के मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर कवायद प्रारंभ कर दी है। इसके लिए ग्रामीण विकास विभाग ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दे दिए हैं। विभाग का मानना है कि अन्य राज्यों के अलावे शहरी क्षेत्रों से भी ग्रामीण क्षेत्रों में लोग लौट रहे हैं।
ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत वित्तीय वर्ष 2021-22 के 20 करोड़ मानव दिवस सृजन के लक्ष्य के विरुद्ध अब तक 11 करोड़ 83 लाख मानव दिवस का सृजन किया जा चुका है, जिसमें अनुसूचित जाति का 11.15 प्रतिशत एवं अनुसूचित जनजाति का 1.21 प्रतिशत भागीदारी है।
उन्होंने कहा कि अब तक एक साल में 100 कार्य दिवस पूर्ण करने वाले परिवारों की संख्या 7376 है जबकि 37 लाख 77 हजार मजदूरों को अब तक इस वित्तीय वर्ष में मनरेगा योजना से रोजगार दिया गया है।
इसमें दिव्यांग मजदूरों की संख्या 5676 है । मंत्री ने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में कुल 21 लाख 85 हजार 62 कार्य में से अब तक 10 लाख 70 हजार 364 योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं।
उन्होंने कहा कि पौधारोपण के अंतर्गत इस वित्तीय वर्ष में कुल 2 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसके तहत अब तक 1 करोड 51 लाख 71 हजार से ज्यादा पौधे लगाये जा चुके हैं।
उन्होंने बताया कि कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए शहरी क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराना एक चुनौती है जिसे ग्रामीण विकास विभाग अपनी मनरेगा योजना के माध्यम से पूरा करेगा।
उन्होंने बताया कि विभागीय अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के इच्छुक शत-प्रतिशत लोगों को मनरेगा योजना से रोजगार उपलब्ध करावें। इसमें शिथिलता बरतने वाले अधिकारियों, कर्मियों पर सख्तकार्रवाई की जायेगी।
कार्यस्थल पर कोरोना संबंधी सभी आवश्यक सावधानियों के अनुपालन को सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत हर इच्छुक मजदूरों को रोजगार मिलेगा।