विधानसभा चुनाव में कई पार्षदों ने बदल दिया अपना ठिकाना, ठिकाना बदले जाने के बाद सदन में कमजोर हुई कांग्रेस
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव हो या फिर अन्य चुनाव सभी में कांग्रेस का ग्र्राफ निरंतर गिरता जा रहा है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 7 सीटों से खिसकर 2 सीटों पर पहुंच गई और ऐसा ही गाजियाबाद नगर निगम में भी कांग्रेस कभी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी जो अब एक नंबर खिसकर तीसरें नंबर पर पहुंच गई है। पार्टी के जनपद में गिरते ग्राफ को दुरूस्त करने की दिशा में ना तो संगठन ही ध्यान दे रहा है और ना ही निगम के निर्वाचित पार्षद ही इस ओर कोई ध्यान दे रहे हैं। निगम के सदन में अब कांग्रेस की स्थिति कमजोर हुई है और कांग्रेस के पार्षदों में एकजुटता का अभाव भी साफतौर पर देखने को मिलता है।
बता दें कि नगर निगम में 2017 की बात की जाये तो नगर निगम के चुनाव में कांग्रेस के 15 उम्मीदवार जीत दर्ज कराकर निगम के सदन में पहुंचे थे। संख्या बल के हिसाब से कांग्रेस निगम में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी और तीसरें नंबर पर बसपा अपने 13 पार्षदों को लेकर थी। वहीं समाजवादी पार्टी के पांच पार्षद थे वहीं निर्दलीयों की संख्या भी दस की थी। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के चार पार्षदों ने पार्टी को टा-टा-बॉय बॉय कह दिया और दूसरें दलों में चले गये। अब निगम के सदन में कांग्रेस पार्षदों की संख्या-11 रह गई और एक पार्षद ने कांग्रेस में शामिल होना भी चाहा तो उस पर भी संगठनात्मक बवाल पैदा हो गया। अब कांग्रेस निगम के सदन में दो नंबर से खिसकर तीसरें नंबर पर पहुंच गई है। निगम के सदन में कांग्रेस की मजबूती कमजोर होती जा रही है और कांग्रेस पार्टी के नेता हैं कि इसमें सुधार करने के बजाये आपस में ही गुत्थम गुत्था करने में जुटे हुए हैं।