Ghaziabad: अनिल चौधरी के आमरण अनशन के नौवें दिन, दिल्ली में पंचायत करने का फैसला, जनसंख्या समाधान फाउंडेशन की कोर कमेटी द्वारा बदल दिया गया है। इस बदलाव का कारण कमेटी ने दिपावली की वजह से पंचायत को स्थगित किया है। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं और आम लोगों को धरना स्थल पर उपस्थित रहने के लिए कहा है।
अनगिनत जगहों से आया सपोर्ट
अनिल चौधरी के आमरण अनशन के नौवें दिन में गाजियाबाद के लाजपत नगर में जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग के समर्थन में कई संगठन उपस्थित हैं। इस अनशन के 9 दिनों में झारखंड, बिहार, असम, त्रिपुरा, दिल्ली-एनसीआर और उत्तर प्रदेश के अनगिनत शहरों से लोग इस आंदोलन का समर्थन दिखा रहे हैं। उनका कहना है कि वे इस नियंत्रण कानून के खिलाफ उठे हुए हैं और इसके विरुद्ध जारी होने वाले आंदोलन में भाग लेंगे।
महापंचायत में इस आंदोलन को लगभग 150 संगठनों ने समर्थन दिया है और समर्थन की ओर बढ़ते जा रहे हैं। आज, कई स्थानीय संगठन, राष्ट्रीय व्यापार मंडल, अंतर्राष्ट्रीय बजरंगदल, और अन्य संगठन भी इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं।
किसान यूनियन (भानू) ने भी इस आंदोलन का समर्थन दिखाया है। संगठन के पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रमुख तरूण शुक्ला ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल चौधरी को फोन करके अपना समर्थन व्यक्त किया है। किसान यनियन (भानू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने भी ठाकुर सुखबीर सिंह के माध्यम से फोन करके अनिल चौधरी के साथ बात की और अपना समर्थन जताया। साथ ही, उन्होंने बताया कि वे अनशन स्थल पर आने का आयोजन बना रहे हैं जिसमें तीन-चार दिनों में पूरी टोली शामिल होगी।
प्रोत्साहन जारी
इस आंदोलन के द्वारा, अनिल चौधरी और उनके समर्थक जनसंख्या नियंत्रण कानून के खिलाफ अपनी मांग को बढ़ा रहे हैं। उनका कहना है कि वे इस कानून को रद्द करने के लिए आंदोलन जारी रखेंगे और इसके खिलाफ जन जागरूकता फैलाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वे देश के विभिन्न हिस्सों से लोगों को इस आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं और एक साथ मिलकर जनसंख्या नियंत्रण कानून के खिलाफ आंदोलन को मजबूती से समर्थन दें।
यह आंदोलन एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर उठा है, जिसका मुद्दा जनसंख्या नियंत्रण कानून है, जो समाज में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अधिकारों को प्रभावित कर सकता है। इसके बावजूद, कई लोग इसे एक विवादास्पद मुद्दा मानते हैं और इसके विरुद्ध समर्थन जताते हैं। यह आंदोलन गरीब और असमर्पित लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जो जनसंख्या नियंत्रण कानून के प्रति आपत्ति और चिंता व्यक्त करते हैं। वे मानते हैं कि इस कानून से उनके अधिकार और स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लग सकता है और उन्हें जनसंख्या नियंत्रण के तहत दबाव में आने का खतरा हो सकता है।
इस आंदोलन के माध्यम से, लोग सरकार से अपनी मांगों को सुनवाई करने की मांग कर रहे हैं और उन्हें जनसंख्या नियंत्रण कानून के प्रति उनकी चिंता को साझा करने का अवसर देने की आवश्यकता है। इसके अलावा, यह आंदोलन एक सामाजिक चरण की शुरुआत हो सकती है, जिसमें लोग अपने अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए सड़क पर उतरते हैं और सरकार से अपनी मांगों को पूरा करने की आवश्यकता होती है।
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