प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चंडीगढ़ स्थित फार्मास्युटिकल कंपनी से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत शुक्रवार को दिल्ली-NCR और पंजाब में लगभग एक दर्जन स्थानों पर नई तलाशी ली। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, विचाराधीन कंपनी पैराबोलिक ड्रग्स है और यह तलाशी एक कथित बैंक धोखाधड़ी से जुड़ी हुई है।
इस मामले से संबंधित शुरुआती तलाशी अक्टूबर में की गई थी। ED ने पहले पैराबोलिक ड्रग्स के प्रमोटरों, विनीत गुप्ता (54) और प्रणव गुप्ता (56) के साथ-साथ CA सुरजीत कुमार बंसल (74) को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत गिरफ्तार किया था। विनीत और प्रणव गुप्ता, जो सोनीपत में अशोक विश्वविद्यालय के सह-संस्थापक भी हैं, उन्होंने 2022 में विश्वविद्यालय में अपने पदों से इस्तीफा दे दिया।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने 2021 में उनके और कंपनी के खिलाफ एक मामला दर्ज किया था, जिसमें उन पर एक बैंक में 1,626 करोड़ रुपये की ऋण धोखाधड़ी में शामिल होने का आरोप लगाया गया था। ED ने अगले वर्ष जनवरी में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया। एजेंसी ने अक्टूबर में अदालत को सूचित किया कि गिरफ्तार निदेशक जाली दस्तावेजों के आधार पर ऋण हासिल करके बैंकों को धोखा देने में सक्रिय रूप से लगे हुए थे।
ED ने आरोप लगाया कि दोनों ने जानबूझकर ऋण निधि की प्रकृति को गलत तरीके से प्रस्तुत किया, उन्हें देनदारियों से संपत्ति में बदल दिया। उन पर अपने समूह की कंपनियों से जुड़े जटिल लेनदेन के माध्यम से धन की हेराफेरी और हेराफेरी करने का आरोप लगाया गया था। एजेंसी ने दावा किया कि ये कंपनियां उनके नियंत्रण में थीं।
ED के अनुसार, दोनों ने शेल कंपनियों का इस्तेमाल किया और प्राथमिक सुरक्षा के मूल्य को बढ़ा दिया, जिसके खिलाफ बैंक ने निकासी की अनुमति दी। एजेंसी ने दावा किया कि उनके निर्देश के तहत, पैराबोलिक ड्रग्स ने असंबद्ध वस्तुओं के लिए नकली चालान बनाए और शेल कंपनियों से प्रविष्टियां प्राप्त कीं। सुरजीत कुमार बंसल ने अपनी चार्टर्ड अकाउंटेंसी फर्म एस के बंसल एंड कंपनी के माध्यम से कथित तौर पर पैराबॉलिक ड्रग्स को गलत प्रमाण पत्र जारी किए, जिससे कंपनी को प्राप्त करने में सुविधा हुई।
ED ने तर्क दिया कि CBI की FIR के अनुसार, अवैध गतिविधियों और ऋण निधि के दुरुपयोग के कारण सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और अन्य संघ बैंकों को 1,626.7 करोड़ रुपये का गलत नुकसान हुआ। ED ने तीनों व्यक्तियों की रिमांड की मांग करते हुए ये विवरण अदालत में पेश किए। ताजा तलाशी से संकेत मिलता है कि प्रवर्तन एजेंसियां पैराबोलिक ड्रग्स और इसके प्रमोटरों से जुड़ी कथित वित्तीय अनियमितताओं की गहराई से जांच करने की कोशिश कर रही हैं। ED का लक्ष्य मनी ट्रेल का पता लगाना, धोखाधड़ी के माध्यम से अर्जित संभावित संपत्तियों की पहचान करना और मनी लॉन्ड्रिंग जांच में अपने मामले को और मजबूत करना है।