जहा एक ओर भारत में बढ़ रहा भ्रष्टाचार है तो वही दूसरी तरफ हमारे अन्नदाता भी हमसे नाराज है, तभी आए दिन कोई न कोई स्ट्राइक लगती ही है। गौरतलब है कि हम जिस मामले की बात कर रहे है वो है दिल्ली-एनसीआर-नोएडा का। जहा बीते गुरुवार को किसानों ने पूरा दिल्ली एनसीआर जाम कर दिया था तो वही अब दिल्ली-नोएडा की सीमाओं पर किसानों के हुजूम से सड़कों पर वाहनों की रफ्तार पर भी असर पड़ा है।
13 फरवरी को लेकर किसानों की खास तयारी:
केंद्रीय मंत्री आश्वासन के बाद वापस आक्रोश से भरे किसान 13 फरवरी को दुबारा दिल्ली पर धरना देने की तयारी में है। बता दे की गुरुवार यानी 8 फरवरी को केंद्रीय मंत्रियों के साथ बातचीत के बाद हुई आपसी मध्यस्थता से भी जब कोई हल नहीं निकला तब किसानों ने सरकार को अपने इरादों से चैतन्य कर दिया था। किसानों का कहना है कि हमने सरकार को हमारी मांगों पर विचार करने का 12 फरवरी तक का आखरी मौका दिया था जो अब लगभग निकल चुका है मगर सरकार का उसपर कोई नतीजा नहीं आया।
क्या है किसानो की मांग
किसानों की सरकार से कुछ मुख्य मांगो में 10 प्रतिशत प्लॉट, लीजबैक मामलों का निस्तारण, युवाओं को स्थानीय कंपनियों में नौकरी, भूमिहीन किसानों को 40 मीटर के प्लॉट और क्योस्क में स्थानीय महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देना शामिल है। इन्हीं मांगों को लेकर हजारों की संख्या में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं।