Ghaziabad: डॉयल-112 के महिला कर्मचारियों ने हड़ताल का फैसला किया है, जिसका सबब उनकी मांगों के पूरे नहीं होने का आरोप है। यह हड़ताल एक योजना के तहत काम करने वाले कर्मचारियों के लिए वेतन वृद्धि की मांग के बाद आई है।
क्या है मुश्किल?
इस मामले की शुरुआत उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुई थी, जहां डॉयल-112 के संविदा कर्मचारियों ने वेतन वृद्धि की मांग की और हड़ताल पर चली गई थी। इसके परिणामस्वरूप, गाजियाबाद के डॉयल-112 कर्मचारियों ने भी इस आंदोलन में शामिल हो गए हैं। गाजियाबाद के डॉयल-112 में लगभग 60 महिला कर्मचारी काम कर रही हैं, और इन कर्मचारियों की हड़ताल से सेवा में भी प्रभाव पड़ रहा है। इस डॉयल-112 कंट्रोल रूम में हर दिन एक कर्मचारी पर लगभग 400 से 500 कॉल आती है, और इस हड़ताल के चलते सेवा में कठिनाइयाँ उत्पन्न हो रही हैं।
महिला कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें कम से कम 18,000 रुपये का मासिक वेतन दिया जाए, जो उन्हें अपने काम के लिए उचित मानती हैं। वे इसके अलावा यह भी आरोप लगा रही हैं कि गाजियाबाद कमिश्नरेट की तरफ से हड़ताल को समाप्त करने की धमकियां दी जा रही हैं, लेकिन महिला कर्मचारियों का कहना है कि जब तक मांग पूरी नहीं होगी, तब तक वे अपने हको प्राप्त करने के लिए सड़कों पर हड़ताल पर रहेंगी।
इस मामले में महिला कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें उनके पूर्व अनुबंध की शर्तों के हिसाब से उचित वेतन और अन्य लाभ मिलने चाहिए, जो कि उन्हें अब तक नहीं मिले हैं। पिछले 5 सालों से ये महिलाएँ डॉयल-112 के लिए काम कर रही थीं और उन्हें मासिक वेतन के रूप में 10,000 रुपये दिए जा रहे थे। यहां तक कि 3 नवंबर को एमडीएसएल टेक महिंद्रा के साथ उत्तर प्रदेश सरकार का अनुबंध समाप्त हो गया था, जिसके बाद एक नई कंपनी वीविंग ने इसका टेंडर ले लिया। लेकिन महिला कर्मचारियों का आरोप है कि वीविंग ने उनके साथ कोई नया एग्रीमेंट नहीं किया और मनमाने ढंग से कर्मचारियों से काम ले रही है। इसके परिणामस्वरूप, सभी कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने का फैसला किया है।
क्या होगा समझौता
इस पूरे मामले के परिप्रेक्ष्य में, यह जरूरी है कि सरकार और कंपनियों के बीच समझौता हो, ताकि डॉयल-112 के महिला कर्मचारियों को उनके उचित अधिकार और लाभ मिल सकें। इसके बिना, इस हड़ताल का प्रभाव आम लोगों पर भी हो रहा है, जो अपनी सुरक्षा के लिए डॉयल-112 पर निर्भर हैं।
आखिरकार, इस मामले में महिला कर्मचारियों का मानवाना और संविदा कर्मचारियों के अधिकारों का सम्मान करना महत्वपूर्ण है, और सरकार को इसे समझने और समाधान करने का संदेश मिल चुका है। इन महिला कर्मचारियों की मांगें और आरोप इस बात का प्रमाण है कि महिलाएँ अपने अधिकारों की रक्षा के लिए तैयार हैं, और वे इस लड़ाई को जारी रखेंगी जब तक उनके मांगों को पूरा नहीं किया जाता। समाज में महिलाओं का सामाजिक और आर्थिक समर्थन महत्वपूर्ण है, और इस मामले में उनके संघर्ष को सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा सकता है। उनकी मांगों को सुनने के बाद, सरकार और कंपनियों को समझने की आवश्यकता है कि महिलाओं को उनके काम के लिए उचित वेतन और अन्य लाभ मिलने चाहिए, जो उनके पूर्व अनुबंध के तहत दिए जाने चाहिए।
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