कार वालों ने जब उधार को लेकर घेर लिया लोकसभा उम्मीदवार
चुनावी आंधी का असर कुछ ऐसा है कि खर्चे के टाइम पर पर्चे भरने वाले गांधी जेब से निकाल नही रहे हैं। सीन तो ये है कि वो किसी तरह एक एक दिन करके दिन निकाल रहे हैं। एक उम्मीदवार के चुनाव कार्यालय पर कुछ ज्यादा ही किल्लत चल रही हैं और अब प्रचार में लगे लोगो को लगने लगा है कि पहले अपना भुगतान लो बाद में कहीं नुकसान ना हो जाये। चुनाव प्रचार के लिये एक उम्मीदवार ने कई कार किराये पर ली है। अब कार वालों को प्रचार से क्या मतलब और वो चुनावी बाजार में तो कतई उधार नही देना चाहते। इधर उम्मीदवार का ब्रदर भुगतान के लिये कार वालों को नई डेट दे रहा था। कार वाले इस बात से अपसेट हो गये और उन्होने चुनाव कार्यालय पर ही उम्मीदवार को घेर लिया। सीधी बात नो भाषण वाले अंदाज में कह दिया नो प्रचार नो उम्मीदवार पहले चुकाओ हमारा उधार। सुना है कि फजीहत के बाद आधा भुगतान आॅन द स्पाट हुया, आधे भुगतान का वादा हुया तब जाकर तय हुया कि कार प्रचार में आयेगी।
हमें नही पता था कि वो पॉवर में आते ही हमें ही देगें करंट का झटका
वैसे तो ये होता है कि चुनाव पास हो तो कई फैसले समेट लिये जाते हैं लेकिन भगवा गढ़ में चुनाव पास हो तो सरकार वालों के नोटिस बाजार वालों के पास जरूर पहुंच जाते हैं। विधानसभा का चुनाव था तो दुकानो के नोटिस और लोकसभा का है तो फिर नोटिस। अपने अपने हिस्से का दुख फूल के फुल सपोर्टर ही सुना रहे थे और किस्से के हिस्से में फ्लावर वालों के फायर ब्रांड फेस की गली का किस्सा आ गया। किस्से में फूल वालों की गली और गली में रहने वालों का जनरेटर आ गया। बताया कि हम तो नेबर हैं मगर उसने तो हमारा भी फेवर ना किया। पूरे शहर में उसे हमारा ही जेनरेटर दिखाई दिया। आप तो दुकानों के नोटिस की बात कर रहे हो उसने तो हमारे घर पर भी नोटिस भिजवा दिया। हमें नही पता था कि भाई साहब वो पॉवर में आते ही सबसे पहले करंट का झटका हमें ही देगें। फ्लावर वालों की फायर में झुलसे इन फूल सपोर्टरों ने बताया कि हमें क्या पता था कि सारे रूल ये फूल वाले हमारें लिये ही लेकर आ जायेगें।
क्यों उठी है ये चर्चा शहर सीट से भरेगी भगवा ठाकुर लेडी पर्चा
कमल वालों के यहां कमाल इस लोकसभा चुनाव में हो रहा है। विधानसभा वाले लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। शहर वालों के जीतने का बहुत ही बेसब्री से इतंजार हो रहा है। चुनाव लोकसभा का और दावेदारी के चर्चे विधानसभा में चल रहे हैं। बड़े नेता आये हैं लोकसभा प्रचार के लिये और सिफारिश की पर्ची वार्ड उपचुनाव की मिल रही हैं। लोकसभा में ठाकुर नाराज हैं और चर्चा ये है कि शहर सीट से भगवा ठाकुर लेडी चुनाव वाला पर्चा भर सकती हैं। नई हवा की नई भाजपा में कुछ भी हो सकता है और जब दशकों से चली आ रही ठाकुर सीट पर सिटिंग ठाकुर को हटा कर वैश्य लाया जा सकता है तो ठाकुरों की नाराजगी के साथ साथ पूर्वांचल वर्ग को भी हिस्सेदारी मिल सकती हैं। अब ये किसी की आंखों में रखा गया ख्वाब भी हो सकता है,ये किसी को थमाया गया लॉलीपाप भी हो सकता हैं मगर धुंआ उठा है तो कहीं आग जरूर है।