ना चाहत से कुछ होने वाला है ना बगावत से कुछ होने वाला है
भगवा दिलजले की तमन्ना है कि काश ऐसा हो जाये कि इस बार फूल ही ना खिले। वो पब्लिक के बीच रह रह कर नब्ज टटोलता हैं ंऔर जुबान को साध कर ही बोलता है। फूल वालों के यहां कई हैं जिनके मन में शूल चुभ रहे हैं। लेकिन दिक्कत ये है कि कुछ भी बोलने का मतलब कैरियर पर ब्रेक लगना है। पुराने भाजपाई हैं लेकिन जब कोई आसपास ना हो तो दिल की बात जुबान पर आई। कहा कि हम तो चाहते हैं कि इस बार बड़ा उलटफेर हो जाये। बातों ही बातों में डॉली की तारीफ की और कहा कि हमारी तो तमन्ना है कि वो ही जीत जाये। फिर तलवार वालों की नाराजगी की बात कही और इसे सुनने के बाद फूल वाले ने ही उन्हे रियलटी से अवगत कराते हुये जो बात कही वो सुनने लायक थी। उन्होने कहा कि नई हवा है की नई भाजपा है। इसमें ना तो दिलजलो की चाहत से कुछ होने वाला हैं और ना ही चार कमल वालों की बगावत से कुछ होने वाला है
क्या बाकी हैं अभी गाजियाबाद टॉवर पर फ्लैग लगाने का स्वैग
वैसे तो गाजियाबाद में कई चुनावी टोटके अब पिट चुके हैं और नई सियासत के नये फेस आ गये हैं। एक दौर था जब अम्बेडकर रोड का जीत वाला ठिया चुनावों से भी पहले बुक हो जाता था। इस ठिये से राजनाथ सिंह भी चुनाव लड़े और सुरेश बसंल भी विधायक बने। लेकिन अब ये टोटका फेल हो गया है और कविनगर राजनगर से जनरल वीके सिंह चुनाव जीते और नवयुग मार्किट से अतुल गर्ग। पहले कहते थे कि यहां बेटियों की विदाई के साथ घर से सियासत विदा हो जाती हैं और उदाहरण के लिये सुरेंद्र गोयल और रमेश चंद तोमर का नाम लिया जाता था। मगर ये मिथक भी टूटा और सुनीता दयाल तो मेयर ही तब बनी जब बेटी ब्याह कर विदा हो गई। मेयर वाली चेयर से हटते ही वाली बात भी अब पुरानी हो गई। सब स्वस्थ रहें सब सकुशल रहें और सभी की पालिटिक्स जिंदाबाद रहें वो भी आबाद रहें की कामना के साथ जिक्र उस इमारत का हुया जिसे गाजियाबाद टॉवर कहते हैं। कहा जाता है कि यहां जितनी हाईट पर जिसने भी चुनाव में अपने झंडे लगाये वो उतनी ही निचाई पर आकर रूका। सुना है कि कोई यहां अपना झंडा नही लगाता है जो झंडा लगाता है वो चुनाव हार जाता है।
बोले भाजपा के संत भाजपा ने बनाया मायावती को चार बार सीएम
वैसे तो फूल वालों ने राम,भगवा वस्त्र,और साधु संत पर अपना कापी राइट मान लिया है और कोई अपोज करे तो उससे जुबानी फाईट करते हैं। लेकिन अब तो कमाल ये हो गया कि कमल वाले कह रहे हैं कि मायावती चार बार सीएम ही भाजपा के सहयोग से बनी हैं। वो भाजपा के दलित संत हैं और भाजपाई संत बता रहे हैं कि मायावती को फोर टाईम सीएम बनाने का श्रेय भाजपा को जाता है। पहले उन्होने तीन बार लिखा लेकिन फिर वो खुद को करेक्ट किया और कहा कि तीन बार नही चार बार अगर मायावती मुख्यमंत्री बनी तो ये भाजपा का ही सहयोग था। अम्बेडकर पार्क में मंच का पंच भी भाजपाई हैं क्योकि इसमे दस लाख की निधि राज्यसभा सासंद के कोटे से लगी है।