Ghaziabad: गाजियाबाद नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही के चलते भूमाफिया नगर निगम की ज़मीन पर अनवार्य रूप से कब्जा कर रहे हैं, और उन अधिकारियों को गहरी नींद में पाए जा रहे हैं। इस मुश्किल स्थिति के बावजूद, इन अधिकारियों के लिए इस बार एक्टिव महापौर ने आगे बढ़कर इस मुद्दे को सुलझाने का प्रयास किया है। महापौर सुनीता दयाल के निर्देश पर हाल ही में 730 वर्गमीटर क्षेत्र में कब्जा मुक्त करने का कार्य किया गया, और एक भूमाफिया के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया गया है।
कितनी भू है कब्ज़े में
यह पूरी स्थिति कैसे उत्पन्न हुई, इसे समझने के लिए हमें पूरी घटना को समाप्त से देखना होगा। एक बार फिर, महापौर के नेतृत्व में नगर निगम की भूमि को मुक्त कराने की कोशिशें की गईं, लेकिन भूमाफिया कई स्थानों पर निगम की ज़मीन पर कब्जा करते जा रहे हैं। अब तक, लगभग 1000 करोड़ की भूमि को महापौर ने कब्जा मुक्त कराया है, लेकिन यह लगता है कि यह अभी भी समस्याओं से जूझ रहा है।
नगर निगम ने लिया हाथ में
इसका एक नजरिया बनाते हैं, तो हम देखते हैं कि महापौर सुनीता दयाल ने यहां तक कहा कि उन्हें सूचना मिली है कि कुछ भूमाफिया फिर से नगर निगम की ज़मीन पर कब्जा कर रहे हैं, और इसके बाद उन्होंने सम्पत्ति अधिकारी को इस मुद्दे पर कड़ाई से काम करने के लिए निर्देश दिया है। इस पूरे मामले की एक बड़ी रूप से पॉजिटिव बात यह है कि इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर नगर निगम ने लिया है और निर्देशकों को बड़े साहस से इसमें कड़ी कार्रवाई करने के लिए प्रेरित किया है। महापौर ने सूचित किया कि एक भूमाफिया, जिसका नाम मोहमद आजाद है, कब्जा कर रहा था, और उसके खिलाफ सरकारी संपत्ति पर कब्जा करने का मुकदमा दर्ज किया जा रहा है।
कितने की है ज़मीन ?
महापौर का कहना है कि वह और उनकी पूरी टीम समय सिमित के बावजूद मौके पर पहुंचकर त्वरित क्रियावली की हैं और उस भूमि को पुनः कब्जा मुक्त करवा रही हैं। उन्होंने बताया कि इस घड़ी आवश्यक थी क्योंकि यह एक और उदाहरण था जब भूमाफिया निगम की ज़मीन का अनधिकृत कब्जा कर रहे थे। इस घड़ी, महापौर ने आलमा नगर स्थित खसरा नंबर 1330 की 730 वर्गमीटर भूमि पर कब्जा कर रहे भूमाफिया के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने के लिए निर्देश दिया है। उनका कहना है कि इस भूमि की कीमत लगभग 3 करोड़ रुपए है और उस पर पहले भी कब्जा किया गया था, जिसे उन्होंने नगर निगम के सहायक निरीक्षकों के साथ मिलकर दूर करवाया था।
इस नकारात्मक प्रवृत्ति के खिलाफ कड़ा स्टैंड लेने वाली अधिकारियों की ओर से यह एक जीत की ओर पहला कदम है। महापौर ने यह भी बताया है कि इसमें नागरिकों की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए नगर निगम एक्टिवली सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों का उपयोग कर रहा है, ताकि जनता इस समस्या के समाधान के लिए साथ मिल सके। इस विकल्प को देखते हुए लोगों को मिल रही सार्थक जानकारी के बावजूद, भूमाफिया का इस तरह से नगर निगम की सम्पत्ति पर कब्जा करना नकारात्मक संदेश है, जिसका मतलब उन्हें अधिक जागरूक होना चाहिए।
आखिरकार, इस प्रकार की घटनाएं दिखाती हैं कि लोगों को नगर निगम द्वारा उनकी सुरक्षा के लिए अधिक जिम्मेदारी मिलनी चाहिए ताकि ऐसे मुद्दों का सटीक समाधान किया जा सके और नगर निगम की ज़मीन पर कब्जा करने वाले भूमाफिया को भी इसके प्रति भरोसा हो कि वह यह कार्रवाई भुगतेंगे।