आरोप था कि 27 सितंबर को रामगढ़ ताल निरीक्षक जे.एन. सिंह, फलमंडी पुलिस चौकी प्रभारी उप-निरीक्षक अक्षय मिश्रा और विजय यादव के साथ-साथ तीन अन्य पुलिसकर्मी कथित रूप से होटल के कमरे में घुस गए थे, जहां मृतक व्यवसायी मनीष गुप्ता अपने दोस्तों के साथ थे।
पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर एक तर्क के बाद उनकी पिटाई की, इस दौरान गुप्ता की मौत हो गई। प्राथमिकी में नामजद सभी छह पुलिसकर्मी फिलहाल जेल में हैं।सीबीआई ने उत्तर प्रदेश सरकार के अनुरोध पर 2 नवंबर को मामला दर्ज किया था और 29 नवंबर को मामले की जांच अपने हाथ में ले ली थी। मृतक व्यवसायी की पत्नी की शिकायत पर 27 सितंबर को पूर्व में गोरखपुर जिले के रामगढ़ ताल थाने में एसएचओ और दो उप निरीक्षकों व अज्ञात पुलिस अधिकारियों सहित तीन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
आईएएनएस को 5 जनवरी को सूत्रों से पता चला था कि जांच में पुलिसकर्मियों द्वारा ‘शक्ति के अत्यधिक इस्तेमाल’ के सबूत मिले हैं। जांच की जानकारी रखने वाले एक सीबीआई अधिकारी ने कहा कि चोटों के पैटर्न और प्रकृति को जानने के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों द्वारा घटनाओं के क्रम की जांच की गई, जबकि सभी आरोपी पुलिसकर्मियों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड भी जांचे गए ताकि, यह पता चल सके कि उनका पीड़ित के साथ कोई पूर्व संबंध था या नहीं, लेकिन ऐसा लिंक नहीं मिला।
सीबीआई टीम गुप्ता के दोस्तों, प्रदीप चौहान और हरदीप चौहान को भी होटल ले गई और उनके बयानों से मेल खाने के लिए क्राइम सीन को रीक्रीएट किया गया, ताकि पता चल सके कि उस दिन कमरे के अंदर वास्तव में क्या हुआ था।
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