रविन्द्र शर्मा
अपने आप से संघर्ष करता मध्यमवर्ग, भारत एक विकासशील देश है जहां तीन वर्गों में लोगों के जीवनयापन को परिभाषित किया है एक उच्च वर्ग जिसमें करोड़पति, अरबपति या इससे भी ज्यादा लोग आते हैं जिनमें भारत के ऐसे उद्योगपति जिन्होने विश्वस्तरीय पहचान बनाई। इन उद्योगपतियों को लिस्ट में तोला जाए तो किसी भी प्रकार के उद्योग का सृजन करने वाला जिसके पास 100-200 लोग रोजगार पाते हैं। उद्योगपतियों की लाइफ स्टाइल बिल्कुल भिन्न होती है। दूसरा मध्यमवर्ग जिसे हमने सबसे बाद में परिभाषित किया है। हम पहले तीसरे वर्ग यानि की निम्न वर्ग को लेते हैं जिसकी कोई लाइफस्टाइल नहीं होती, उसके जीवनचर्या सिर्फ परिवार या स्वयं के लिए रोटी तक सीमित होती है। उसी परिवेश में कम खर्चें में शिक्षा और चिकित्सा शामिल है।
मध्यमवर्ग का जीवन कई बार अनियंत्रित और अस्थिर महसूस करता है, क्योंकि वे कभी बहुत अधिक नहीं और कभी बहुत कम नहीं होते। वे आमतौर पर धन की कमी, निर्धनता, और सामाजिक दबाव के बीच खड़े होते हैं। धन के अभाव में, वे स्वास्थ्य, शिक्षा, और अन्य आवश्यक सुविधाओं को प्राप्त करने में कठिनाई झेल सकते हैं। वे सामाजिक दृष्टि से भी अकेले महसूस कर सकते हैं, क्योंकि वे न तो अपने आसपास के अधिक धनवान वर्ग में शामिल होते हैं और न ही निर्धनता के कारण आर्थिक संघर्ष में फंसे होते हैं।
इसलिए, मध्यमवर्ग के लोगों को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है, और वे अक्सर अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में संतुष्टि प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। यह एक प्रकार की तपस्या होती है, जो उन्हें समाज में स्थिरता और सम्मान के साथ अपना जीवन जीने की क्षमता प्रदान करती है। इसके बावजूद, अनेक बार वे उन लोगों की तुलना में अधिक अनदेखे हो जाते हैं, जो धनवान हैं या निर्धनता में हैं। इसलिए, इस वर्ग के लोगों के लिए जीवन का अनुभव अक्सर असाधारण और अद्वितीय होता है।
मध्यमवर्ग की शोषण से संबंधित मुद्दे अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह एक समाज के लिए स्थिरता और समृद्धि की मुख्य धारा होता है, और इसका विकास देश की सकारात्मक गतिशीलता के लिए अत्यंत आवश्यक है। कई कारणों से मध्यमवर्ग का शोषण हो सकता है, जैसे कि आर्थिक असमानता, कर नियमों की असंवादितता, और समाज में बदलते आर्थिक दृष्टिकोण।
इस समस्या का सामना करने के लिए, सरकारों को सकारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता होती है, जैसे कि न्यायसंगत वेतन निर्धारण, अधिकारों की सुरक्षा, और आर्थिक सामंजस्य को बढ़ावा देने वाली नीतियों का प्रयास करना। समाज के अन्य सदस्यों के साथ भी साझा संवेदनशीलता और समर्थन का प्रदान करना आवश्यक है।
शोषित मध्यमवर्ग को समर्थन, संवेदना, और समानता के साथ समाज में एकाधिकार की स्थापना में सहयोग करने की आवश्यकता होती है। इसके लिए, समाज के हर वर्ग को मिलकर काम करना होगा ताकि समृद्धि और न्याय की भावना सभी तक पहुंचे।