Ghaziabad: मुरादनगर में नगर निगम द्वारा कूड़ा डाले जाने पर बवाल नहीं थम रहा है, और अब ग्रामीणों ने वायु और जल प्रदूषण के खिलाफ राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) दिल्ली और उच्च न्यायालय की ओर मुद्दा उठाया है। गाजियाबाद नगर निगम के कूड़ा निस्तारण के अभाव के कारण मुरादनगर में कूड़ा डंपिंग की समस्या हो रही है, जिससे आसपास के कई गावों के लोग परेशान हो रहे हैं।
यहां की जनता वायु और जल प्रदूषण के कारण गंदगी और अन्य समस्याओं का सामना कर रही है, और उन्होंने गाजियाबाद नगर निगम के खिलाफ आंदोलन को तेज करने का निर्णय लिया है। इस मुद्दे को विकास संघर्ष समिति के नेतृत्व में 12 गांवों के ग्रामीण ने उठाया है, जिनमें कूड़ा डंप की समस्या सबसे अधिक है।
बढ़ता पदूषण
मुरादनगर में पाइप लाइन रोड के आसपास के क्षेत्रों में कूड़ा डंप की समस्या बढ़ती जा रही है, जिसके कारण गांवों के लोग गंदगी और वायु एवं जल प्रदूषण के कई प्रकार के प्रभावों का सामना कर रहे हैं। इस मुद्दे के समाधान के लिए ग्रामीणों ने राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) दिल्ली और उच्च न्यायालय का सहारा लिया है। उन्होंने गाजियाबाद नगर निगम को यहां की सड़कों पर कूड़ा डालने के बिना उचित व्यवस्था की ओर ध्यान देने की आवश्यकता को दरकिनार करने का आरोप लगाया है।
गाजियाबाद नगर निगम द्वारा कूड़ा निस्तारण की सही योजना और प्रयास की अभाव के कारण मुरादनगर में कूड़ा डंपिंग की समस्या उत्पन्न हुई है। इसके परिणामस्वरूप, वायु और जल प्रदूषण का भी बढ़ावा हो रहा है, और लोगों को जीवन में और भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। संघर्ष समिति के सचिव सलैक चंद ने बताया कि आपत्तियां दर्ज करने के बावजूद गाजियाबाद नगर निगम ने क्षेत्र में कूड़ा डंपिंग की प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई है। इसके परिणामस्वरूप, ग्रामीण अनेक बीमारियों का सामना कर रहे हैं और उनके परिवारों की मुश्किलें बढ़ रही हैं। संघर्ष समिति ने राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) और उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल की है, और उन्हें गाजियाबाद नगर निगम के खिलाफ विचार करने का आदिकार प्राप्त हो गया है।
कर रहे हैं अनदेखा
केंद्र और राज्य सरकार को इस मुद्दे पर ध्यान देने की आवश्यकता है, लेकिन वे इसे ध्यान में नहीं ले रहे हैं। इसके बाद, ग्रामीण पंचायत में इस मुद्दे के समाधान की रणनीति तय करेगी।यह मुद्दा विकास संघर्ष समिति के नेतृत्व में तेजी से उठाया जा रहा है, और ग्रामीण समुदाय को संघर्ष करने के लिए एकजुट किया जा रहा है। उन्होंने गाजियाबाद नगर निगम के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है, क्योंकि उन्हें यह समस्या गंवारी गई है और वे चाहते हैं कि उनके गांव के लोग एक स्वस्थ और साफ वातावरण में रहें। इस प्रक्रिया के दौरान, विकास संघर्ष समिति ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी इस मुद्दे पर ध्यान देने का आग्रह किया है, लेकिन इन्हें भी इस मुद्दे में उदासीन रवैया दिखाना पड़ रहा है।
इस परिस्थिति में, ग्रामीण पंचायत को इस मुद्दे के समाधान की तलाश में कठिनाइयों का सामना करना होगा, लेकिन वे इसे पूर्ण रूप से सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस प्रक्रिया में एनजीटी और उच्च न्यायालय का सहारा लेने के बाद, ग्रामीण समुदाय की आवाज को सुना जा रहा है, और वे उम्मीद हैं कि इस मुद्दे का समाधान जल्दी होगा। इस तरह के सांवादिक मुद्दों का समाधान ग्रामीण समुदायों के लिए महत्वपूर्ण है, और विकास संघर्ष समिति की पक्ष से इसे उठाना बेहद महत्वपूर्ण कदम है।