सदस्यता अभियान में पुराने समाजवादियों को लेना ही होगा साथ
वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम)
गाजियाबाद। समाजवादी पार्टी एक बार फिर से पूरी उर्जा को समेटकर अभी से चुनावी रण में जुट गयी है। पार्टी के राष्टÑीय अध्यक्ष ने कहा कि जो चेहरे चुनाव लड़े हैं और फिर से चुनाव लड़ने में रिपीट होना चाहते हैं वो सारी डिफीट भूलकर चुनाव की तैयारी में लग जायें। समाजवादी पार्टी विधानसभा चुनावों के बाद अब अपने सदस्यता अभियान को गति दे रही है। समाजवादी पार्टी ने अब अपने सभी संगठन भंग कर दिये हैं और वो अपने कुनबा एक्सटेंशन प्रोग्राम में लगी है।
माना कि बूथ पर यूथ चाहिये होता है लेकिन किसी भी राजनीतिक दल का असली बल उसके अनुभवी नेता होते हैं। उन्हें मालूम होता है कि सियासत के कौन से ईयर में कौन सा गियर बदलना है। अनुभवी नेताओं की जरूरत ठीक उस तरह होती है जैसे अगर नींव कमजोर है तो कितनी भी नयी र्इंटे लगा लो लेकिन ईमारत मजबूत नही होती। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता इन दिनों डिस्टेंस मोड पर हैं। समाजवादी पार्टी के सदस्यता अभियान पर दो दिन पहले बैठक हुई और यहां पूर्व विधायक संजय गर्ग सहित दो अन्य पदाधिकारी भी आये। इस बैठक में सदस्यता अभियान की गति पर चर्चा होनी थी। सबसे बड़ी बात ये है कि एक लम्बे समय के बाद इस बैठक में गिनती के पुराने समाजवादी दिखाई दिये। अब सपा दफ्तर पर अभियान था तो जाहिराना तौर पर यहां रौनक थी। सपा के दोनों निवर्तमान जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष आये। यहां पर ये तस्वीर अपने आप में समाजवाद और वरिष्ठ समाजवादियों को समेटे हुए है। एक लम्बे समय के बाद समाजवादी कार्यालय पर निवर्तमान जिलाध्यक्ष राशिद मलिक के पीछे पूर्व जिलाध्यक्ष साजिद हुसैन नजर आये। एक दौर था जब समाजवादी पार्टी का ये सक्रिय चेहरा हर कार्यक्रम में अपनी मौजूदगी दर्ज कराता था। साजिद हुसैन डासना चेयरमैन भी रहे हैं और उन्हीं के साथ फोटो में वरिष्ठ सपा नेता रमेश यादव दिखाई दिये। राजदेवी चौधरी और मधु चौधरी भी यहां मौजूद थीं। सदस्यता अभियान के प्रभारी ने इन पुराने समाजवादियों को देखते ही बाकायदा इन्हें नाम से पुकारा। ये अहसास था कि प्रभारी भी पुराने समाजवादी हैं और उनकी निगाहें यहां पुराने समाजवादियों को ढूंढ रही हैं। उन्होंने पूछा भी कि पुराने समाजवादी कहां हैं। ये संदेश था कि नयी हवा और नयी सपा तो ठीक है लेकिन पुराने समाजवादी कहां हैं ये भी अब ध्यान रखा जाना चाहिए। पुराने चेहरों से ही कुनबे की पहचान होती है, शान होती है। समाजवादी पार्टी जब अपना परिवार बढा रही है तो उसे अपने पुराने समाजवादियों को भी साथ लेकर आना होगा।
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