13 आईपीएस अधिकारी, 22 पीपीएस अफसर और 6 हजार पुलिस कर्मियों के बीच तीन लड़कों की हत्या हो गई। तीनों का पहले अपहरण हुआ और उसके बाद हत्या हो गई। इन तीनों सनसनीखेज वारदातों की वजह से नोएडा पुलिस कमिश्नरेट सवालों के घेरे में है, लेकिन इन सवालों का जवाब देने के लिए कोई भी पुलिस अधिकारी तैयार नहीं है। जिसकी वजह से जनता में भारी आक्रोश पैदा हो गया है। लोगों का कहना है कि अगर पुलिस ठीक तरीके से कम करें तो हत्या जैसी संगीन वारदातों को रोका जा सकता है।
अपराधियों से नोएडा पुलिस डरती है
किसान नेता अतुल यादव का कहना है, “नोएडा पुलिस का रवैया एकदम घटिया हो गया है। किसानों के ऊपर 307 जैसी संगीत धारा लगाई जाती हैं और जो अपराध संगठित होकर करते हैं, उन पर ऐसी धारा नहीं लगाई जाती। लिहाजा, पुलिस ही अब अपराधियों से डरती है। अब ऐसे में अपराधियों के भीतर पुलिस को लेकर क्यों डर होगा, जो खुद डरपोक है।”
“मासूम बच्चे की क्या गलती“
किसान नेता पवन खटाना ने कहा, “चाहे कुछ भी हो लेकिन बच्चे की क्या गलती थी? बच्चों को न्याय मिलना चाहिए। कोई भी पुलिस अधिकारी मासूम बच्चे को अपना समझकर अगर न्याय देगा तो इससे अच्छा कुछ नहीं होगा। अपराधियों के खिलाफ सख्त एक्शन होना चाहिए।”
“नोएडा पुलिस में अब पहले जैसी बात नहीं“
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य संदीप नागर ने कहा, “कमिश्नर सिस्टम लागू होने के बाद जिले में बदलाव हुआ था, लेकिन अब पहले जैसी बात नहीं है। अपराध का ग्राफ काफी ज्यादा बढ़ता जा रहा है। दिनदहाड़े लूट जैसी संगीन वारदातें हो रही है और पुलिस कुछ भी नहीं कर पा रही। पुलिस में अब पहले जैसी बात नहीं रही है। अपराध के मामले में नोएडा नंबर वन बन गया है।”