उत्तर प्रदेश पुलिस के एंटी करप्शन टीम ने शनिवार को बंथरा थाने की हरौनी चौकी प्रभारी (दारोगा) राहुल त्रिपाठी को घूस लेते पकड़ा, जिसके बाद एक उलटफेर के दृश्य का सामना करना पड़ा। इस मामले से उत्तर प्रदेश पुलिस की छवि पर धब्बा आया है।
मामले की शुरुआत इस तरह हुई, कुछ दिन पहले बंथरा थाने में एक युवती ने एक युवक के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज किया था। उसका आरोप था कि युवक ने होटल में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। मामले की जांच कर रहे थे बंथरा थाने की हरौनी चौकी के दारोगा राहुल त्रिपाठी।
इस मामले में दारोगा राहुल त्रिपाठी ने होटल मालिक को भी धमका दिया था। उसने होटल मालिक से 20 हजार रुपये की मांग की थी, जिसमें होटल मालिक ने पहले 10 हजार रुपये देने को राजी हुआ। इस मामले की जानकारी होटल मालिक ने एंटी करप्शन टीम को भी दे दी थी।
एंटी करप्शन टीम के अधिकारी डॉक्टर अर्चना सिंह के नेतृत्व में यह ऑपरेशन किया गया। होटल मालिक को 10 हजार रुपये देने की तलवार पर दारोगा राहुल त्रिपाठी ने रुपये लिए, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
इस मामले से सामाजिक न्याय की ओर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। लोगों में आश्चर्य और आत्मसम्मान का भाव है कि इस मामले में दारोगा को पकड़ा गया और उसका अनुसरण किया गया।
इसे ध्यान में रखते हुए, उत्तर प्रदेश पुलिस ने पिछले 10 महीनों में 24 घूसखोरों को पकड़ा है। इसमें राजस्व विभाग के 10 और पुलिस विभाग के 6 कर्मचारी शामिल हैं। जनवरी से अबतक, एंटी करप्शन टीम ने सरकारी विभाग में तैनात अधिकारी और कर्मचारियों समेत इन घूसखोरों को पकड़ा है।
14 जून को बक्शी का तालाब थाने में तैनात दारोगा प्रदीप कुमार पांडेय को भी एंटी करप्शन टीम ने 13 हजार रुपये की घूस लेते हुए गिरफ्तार किया था। यह घटना साफ साबित करती है कि उत्तर प्रदेश पुलिस का सख्त स्टैंड घूसखोरी के खिलाफ है, और वह इसे बर्दाश्त नहीं करेगी।
इस घटना से साफ है कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने घूसखोरों के खिलाफ बेनकाब होने का फैसला किया है, जो लोगों में विश्वास और आत्म-सम्मान बढ़ाएगा। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो सामाजिक न्याय और कानूनी प्रक्रिया के प्रति लोगों के विश्वास को बढ़ाएगा।