सिटी वाले कैश पर कब देंगे ध्यान
पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम गाजियाबाद में सिटी जोन में कैश को लेकर ध्यान कब होगा, अब ऐसा सवाल हो रहा है। लगातार नदियापार वाली पुलिस लाखों की रिकवरी कर रही है, तो सिटी वाले साइलेंट हंै। वैसे अब पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम वाले सूत्र बता रहे हैं कि जितनी कैश की रोटेशन सिटी जोन और एक हाईवे वाले रास्ते से होती है, उतनी कहीं नहीं होती। पर क्या कारण है जो सिटी वाले कैश को लेकर कुछ काम नहीं कर पा रहे हैं। लोकसभा चुनाव में स्पेशल फ्लाइंग स्क्वायड की टीमें भी इन दिनों और रात में ड्यूटी दे रही है, पर सिटी में अभी इसका असर देखने को नहीं मिल रहा है। 6 थानाक्षेत्रों की बात की जाए तो केवल अभी एक ही सर्किल में कैश वाला क्राइम रोकने का काम हुआ है। इसके साथ ही इस बार अभी भारी मात्रा में सिटी की कोई कैश बरामदगी भी नहीं हुई है। सुनने में आ रहा है कि नदियापार के एसीपी साहब चेकिंग का ऐसा जाल बुन चुके हैं कि रोजाना उनके सर्किल में आचार संहिता वाला कैश के मामले ओपन हो रहे हैं। नदियापार की पुलिस ने पहले साहिबाबाद, शालीमार गार्डन के बाद लिंक रोड थाना पुलिस ने भी कैश को लेकर खुलासा कर दिया है। वहीं दिल्ली बॉर्डर से सटे खास थाने के टू- स्टार शांत है। तो दो प्रमुख थानों के थ्री-स्टार अभी अपने इलाके वाले साहब के एक्शन मोड में आने का वेट कर रहे हैं या वह अभी चुनावी चेकिंग को लेकर सीरियस नहीं हुए हैं, यह भी सवाल उठता है। इसी के साथ कमिश्नरेट वाले सिस्टम में सुनने में आ रहा है कि पहले चरण के मतदान के बाद कमिश्नरेट में कुछ और अधिकारियों को चुनाव की दृष्टिगत भेजा जाने वाला है। देखते हैं उसके बाद कमिश्नरेट की सूरत में और चुनावी एक्टिव मोड पुलिसिंग में कितना अंतर देखने को मिलता है। वैसे जिस तरह से नदियापार वाले कैश को लेकर कार्रवाई कर रहे हैं उससे सिटी वाले साहब व उनके सर्किल वाले एसीपी साहब लोग थोड़े अलर्ट आने वाले दिनों में हो सकते हैं। इसी के बीच जानकारी मिली है कि गोली वाली घटना के बाद एक साहब की टेंशन और बढ़ी है। इसी के साथ जो क्राइम वाली टीम पिछली लूट का खुलासा नहीं कर पाई थी उसके लिए फिर एक चैलेंज और आ गया है। वैसे जिस इलाके में घटना हुई है और वारदात कर हमलावर फरार हुए हैं, यह सिस्टम और सिस्टम में बैठे अधिकारियों के लिए भी एक सीख है कि चेकिंग रेलवे स्टेशन पर नहीं सड़कों पर हो।