पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम गाजियाबाद में भले अभी रामलीला का मेला और मंचन शुरू नहीं हुआ हो लेकिन कमिश्नरेट के अधिकारियों में अभी से टेंशन बढ़ने शुरू हो गई है। पुलिस के सूत्र बता रहे हैं कि कमिश्नरेट के अलग-अलग जोन में होने वाली रामलीलाओं के स्थान का निरीक्षण करने से लेकर उनके पार्किंग स्थल का बारीकी से परीक्षण किया जा रहा है। कमिश्नरेट सिस्टम से पहले एक आईपीएस अधिकारी ऐसे थे जो जिले की हर प्रमुख रामलीला में पहुंचे थे। मंच पर सम्मान हुआ था और उन्होंने निरीक्षण भी किया था। अब कमिश्नरेट वाला सिस्टम है बड़े साहब खास मौके, आयोजन और स्थानों पर ही जाते हैं। देखना होगा कि किस-किस रामलीला मैदान पर जाते हैं या पूरा काम नंबर दो वाले साहब ही कर डालेंगे। पुलिस के सूत्र बता रहे हैं कि इस बार रामलीला मैदान के आसपास सबसे ज्यादा फोकस जाम और झपटमारी को लेकर रहने वाला है। सूत्र बता रहे हैं कि आयोजकों से उनके इलाके के एसीपी और एसएचओ लगातार तालमेल वाला पाठ पढ़ने का काम कर रहे हैं। इसी के साथ पार्किंग वालों की अभी से चूड़ी कसी जा रही हैं और मनचलो पर नजर रखने का भी प्लान बना शुरु हो गया है। कहा जा रहा है कि रामलीला से पहले प्रदेश में ट्रांसफर लीला भी हो सकती है। चर्चाएं हैं कि महाराज जी कार्यालय से लेकर नौवीं मंजिल तक कुछ क्लीयर नहीं हो पा रहा है कि किस आईपीएस अधिकारी पर कृपा होगी और कौन सजा का हकदार बन सकता है। वहीं आगामी चुनावों का मैनेजमेंट भी अधिकारियों की परफॉर्मेंस को प्रभावित कर सकता है। वहीं अगस्त माह के दौरान किसी भी कमिश्नरेट वाले शहर का नाम महाराज जी की लिस्ट में नहीं होना भी जमकर चर्चाओं का हिस्सा बना हुआ है। कुल मिलाकर अभी लगभग एक माह का समय राम की लीलाओें के मंचन में शेष है लेकिन इसबार जिस प्रकार से ऊपर से फरमान आ रहे हैं कि उससे कईयों की टेंशन बढ़ना लाजमी बताया जा रहा है। इसी के साथ सुनने में यह भी आ रहा है कि कमिश्नरेट की पहली रामलीला में कुछ नए प्रयोग अधिकारियों के स्तर से आगामी दिनों में नए आदेशों के रूप में देखने को मिल सकते हैं।
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