यदि जीडीए और नगर निगम उपलब्ध करा दें 442 करोड़
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। आबादी के साथ बुनियादी जरूरतें भी बढ़ रही हैं और इनमें से एक सबसे बड़ी जरूरत पानी की है। दिल्ली से सटे गाजियाबाद में आबादी का अनुपात बढ़ा है और इसी अनुपात में पानी की जरूरत भी बढ़ी है। यहां पानी की जरूरत को कैसे मैनेज किया जायेगा, इसे लेकर जिलाधिकारी गाजियाबाद आरके सिंह ने कई विभागों को साथ लेकर बैठक की। इस बैठक में मुख्य विषय यही था कि ऊपरी गंगा नहर प्रणाली से गाजियाबाद नगर निगम को 100 क्यूसेक कच्चा जल उपलब्ध कराया जाये। यहां पर जल निगम के अधिक्षण अभियंता ने अवगत कराया कि 250 क्यूसेक पानी की जरूरत है और इस जरूरत के सापेक्ष सिंचाई विभाग ऊपरी गंगा नहर प्रणाली द्वारा 100 क्यूसेक जल उपलब्ध कराया जा सकता है। यहां पर जब डीएम राकेश कुमार सिंह ने जल की उपलब्धता को लेकर सवाल किया तो सिंचाई निर्माण खंड के अधिशासी अभियंता संजय सिंह जादौन ने बताया कि यह एक नीतिगत मामला है और इस पर शासन की अनुमति से ही जल उपलब्ध कराया जा सकता है। इसके लिए 442.38 करोड़ की परियोजना तैयार कर स्वीकृति के लिए भेजी गयी थी। परियोजना पर होने वाले इस खर्च को जीडीए तथा नगर निगम द्वारा किया जाना है। इन्हीं दोनो विभागों को इस परियोजना पर होने वाले इस खर्च को देना है। यदि जीडीए और नगर निगम इस धन की व्यवस्था कर देंगे तो ऊपरी गंग नहर प्रणाली से 100 क्यूसेक कच्चा जल गाजियाबाद को दिया जा सकता है।
अधिशासी अभियंता बोले हमने दिये थे सुझाव नहीं मिले आदेश
गाजियाबाद की आने वाली सबसे बड़ी जरूरत यहां का भू जल है। जल की आपूर्ति के लिए नहरों और अन्य साधनों से भी जल चाहिए। जल को लेकर बुधवार को कलेक्ट्रेट में डीएम की अध्यक्षता में बैठक हुई। इस बैठक में पानी की उपलब्धता को लेकर और पानी की बचत को लेकर सभी विभागों के अधिकारियों ने अपनी राय रखी। इस बैठक में सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता मेरठ नीरज कुमार लांबा ने बताया कि गंगा नहर प्रणाली के अंतर्गत नहरों की लाईनिंग करके पानी की बचत की जा सकती है। लेकिन उच्च अधिकारियों
द्वारा नहरों की लाईनिंग कराये जाने के विषय में कोई आदेश प्राप्त नहीं हुए हैं।