गाजियाबाद (करंट क्राइम)। बड़े कार्यक्रम में अंदर की बातें कार्यक्रम समाप्त होने के बाद आती हैं। जिस तरह किसी विवाह में सारी रस्में पूरी हो जाने के बाद जब परिवार के लोग बैठते हैं तो हास्य-परिहास में पुराने किस्से बताये जाते हैं। ठीक वैसा ही भाजपा के कार्यक्रम में हुआ। जब भाजपा के राष्टÑीय के अध्यक्ष जेपी नड्डा चले गये तो भाजपाई एक साथ बैठे और फिर दोबारा से चाय और कचौड़ी का सिलसिला शुरू हुआ। कॉलेज के कमरे में भगवागढ़ के माननीय एक साथ थे। पूर्व राज्यमंत्री शहर विधायक अतुल गर्ग, मेयर सुनीता दयाल, मुरादनगर विधायक अजीत पाल त्यागी यहीं थे तो डिप्टी मेयर यानी निगम कार्यकारिणी उपाध्यक्ष राजीव शर्मा भी मौजूद थे और पूर्व निगम कार्यकारिणी उपाध्यक्ष प्रवीण चौधरी भी थे। अब जब भाजपाई एक साथ बैठे तो मन की बात जुबान पर आई। बातों का सिलसिला एक ऐसे मोड़ पर आया जब पुराने किस्सों से राजनीति का रस निकलकर एक निचोड़ पर आया। किसी ने किसी की जमकर तारीफ की तो किसी ने अपनी तारीफ से ही खुद को अनजान कर लिया। कहीं बातों में रंज दिखा तो कहीं बातों में तंज दिखा। करंट क्राइम ने जो कुछ देखा वो शब्द-ब-शब्द अपने पाठकों के लिए शब्दों में सहेजा।
जब मेयर सुनीता दयाल ने की पूर्व सांसद रमेश चंद तोमर की तारीफ
प्रशंसा वही होती है जो पीठ पीछे की जाये। चर्चा हो रही थी और अचानक रमेश चंद तोमर का नाम आया। कहानी फ्लैशबैक में गई तो मेयर सुनीता दयाल ने चार बार के सांसद रहे रमेश चंद तोमर की तारीफ करते हुए कहा कि जनता से कनैक्टिविटी के मामले में उनका कोई जवाब नहीं। चार बार सांसद रहे और जनता से पूरा टच रहा और सबसे खास बात ये है कि मोदीनगर से लेकर हापुड़ तक उन्हें एक एक कार्यकर्ता का नाम याद था। कभी भी हापुड़ या मोदीनगर जाते तो कार्यकर्ताओं से मिलना वो कभी नहीं भूलते। अब सुनीता दयाल ये तारीफ कर रहीं थी या आज के माहौल को लेकर तुलना कर रही थी। ये वो बेहतर जानती हैं लेकिन ऐसा जरूर लग रहा था कि पुरानी अनुभवी नेता होने के नाते वो ये समझाना चाह रहीं हो कि जनप्रतिनिधियों को कनैक्टिविटी जरूर रखनी चाहिए।
जब जीडीए का जिक्र आते ही कड़वा हो गया जुबान का स्वाद
चर्चा चल रही थी और इस चर्चा के बीच विकास का केन्द्र बिन्दु माना जाना वाले महकमा जीडीए आ गया। अचानक ऐसा लगा जैसे जीडीए का जिक्र होते ही भगवा माननीयों की जुबान का स्वाद कड़वा हो गया। क्योंकि हाल-ए-दिल कहने वाले भी और हाल-ए-दिल सुनाने वाले भी एक साथ मौजूद थे। यहां पहली चर्चा जीडीए के गेट को लेकर चली। पास सिस्टम को लेकर चली और वीआईपी कल्चर को लेकर चली। कहा गया कि जीडीए विकास नहीं कर रहा है कोई नई योजना नहीं है लेकिन वो ध्वस्त जरूर कर रहा है। अवैध कॉलोनियां बसी तो किसकी सहमति से बसीं। यहां पर मामला इन्दिरापुरम हैंडओवर-टेकओवर का उठा। निगम कार्यकारिणी उपाध्यक्ष राजीव शर्मा ने यहां अपनी बात रखी और कहा कि हाईराईज कॉलोनी से चोरी छिपे कूड़ा निगम क्षेत्र में डाला जा रहा है। अवैध कॉलोनियों के बसने का ठीकरा भी फोड़ा गया और यहां माननीयों के निशाने पर अधिकारी रहे।
सतेन्द्र चौधरी किस भाजपाई को दिखते हैं और किसे नहीं दिखते
फुरसत से बैठे भाजपाई जब जिक्र कर रहे थे तो यहां फ्रिक सतेन्द्र चौधरी को लेकर हुई। सतेन्द्र चौधरी पुराने भाजपार्इं है, अध्यक्ष रहे हैं। अब उनके नाम का शोर उतना नहीं सुनाई देता। इस महफिल में सतेन्द्र चौधरी नहीं थे और यहां पूर्व निगम कार्यकारिणी उपाध्यक्ष प्रवीण चौधरी ने शहर विधायक अतुल गर्ग से पूछा कि आजकल सतेन्द्र चौधरी कहां है, दिखते नहीं। तो अतुल गर्ग ने कहा कि वो आपको दिखते हैं हमें नहीं दिखते। यही सवाल जब विधायक अजीत पाल त्यागी से हुआ तो उन्होंने कहा कि आप दोनों के खास हैं और इतना सुनते ही अतुल गर्ग और प्रवीण चौधरी ने सतेन्द्र चौधरी को संकट मोचक बताया। दिखने और ना दिखने से लेकर संकट मोचक बताते ही चर्चा में मेयर सुनीता दयाल की एन्ट्री हुई। अब लहजे में तंज था और दिखने-ना दिखने का रंज था। मेयर ने कहा कि अरे वाह! कैसी बातें कर रहे हैं हमारे कुछ साथी नहीं चाहते कि उनको बढ़ाने वाला कोई आगे बढ़े।
बोले अतुल गर्ग जो कुछ भी हुआ वो सुनील शर्मा के नेतृत्व में हुआ
भगवागढ़ में बहुत कुछ घटा है और इस घटे हुए को लेकर दिलों में बहुत कुछ जमा है। बहरहाल जब एक साथ बैठे थे तो हास्य परिहास के अंदाज में अतुल गर्ग ने कहा कि मैं जिस समय सरकार में मंत्री बना तो मैंने शपथ लेने के बाद अपने सभी विधायकों को फोन पर अनुरोध कर दारूल शफा बुला लिया। यहां एक प्रस्ताव रखा कि सुनील शर्मा हमारे वरिष्ठ नेता हैं और वहीं गाजियाबाद विधायक दल के नेता बनाये जायें। प्रस्ताव तत्काल प्रभाव से सर्वसम्मति से पारित हो गया और हम सभी ने सुनील शर्मा को अपना नेता माना। लिहाजा अब जो कुछ भी घटा है और जो कुछ भी हुआ है वो सब विधायक सुनील शर्मा के नेतृत्व में हुआ है। हम सभी ने उनके नेतृत्व में ही किया है।
बाक्स- मोबाईल दिखाते हुए फोटो
मेयर ने कहा मुझे नहीं पता अतुल गर्ग ने कब की मेरी तारीफ
आजकल व्हाट्सऐप से बधाई और तारीफ करने का दौर है। लेकिन हर कोई मैसेज नहीं पढ़ता है और कई बार आपकी तारीफ भी बेकार हो जाती है। जब कैला भट्टा वाले बुल्डोजर को लेकर मेयर की तारीफ हो रही थी तो यहां करंट क्राइम का सवाल था कि कैला भट्टा जैसे स्थान पर मेयर ने खुद खड़े होकर कार्यवाही करायी है। इस पर विधायक अजीत पाल त्यागी ने तारीफ की तो अतुल गर्ग ने अपनी तारीफ का सबूत मोबाईल फोन में दिखाया। बोले मैंने तो उसी दिन व्हाट्सऐप पर मेयर सुनीता दयाल की तारीफ कर दी थी। यहां पर करंट क्राइम ने जब मेयर से पूछा कि विधायक अतुल गर्ग तो आपकी तारीफ पहले ही कर चुके हैं तो अब तक खामोश बैठीं मेयर सुनीता दयाल ने कहा कि मैंने तो व्हाट्सऐप मैसेज देखा ही नहीं। खैर विधायक अतुल गर्ग ने तारीफ की थी ये बात मेयर सुनीता दयाल को सबूत के साथ पता तो चल गई।
अगर बैठ गये एक साथ तो फिर कोई नहीं बैठेगा एक दूसरे के साथ
बात हास्य परिहास की हो रही थी और चर्चा ये चली कि सांसद से लेकर विधायक, पार्षद से लेकर मेयर और जिला पंचायत अध्यक्ष से लेकर एमएलसी तक सब भाजपा के हैं। फिर भी गाजियाबाद में विकास के विजन को लेकर ये सब एक साथ क्यों नहीं बैठते। अब इतना सुनते ही संगठन के एक पदाधिकारी ने जो कहा वो सुनने लायक था। उन्होंने कहा कि अभी तो फिर भी एक दूसरे के साथ बैठ रहे हैं लेकिन अगर सब एक साथ बैठ लिये तो फिर ऐसा ना हो कि कोई भी एक दूसरे के साथ बैठेगा ही नहीं। इतना सुनते ही हसीं का ठहाका एक साथ गूंजा। हालांकि यहां पर जिक्र फिर से विकास वाले विभाग का हुआ और ये कहा गया कि यदि जनप्रतिनिधि एकजुट रहेंगे तो यहां दबाव बना सकते हैं। बात जब जीडीए पर धरना देने की आई तो विधायक अतुल गर्ग ने कहा कि मैं भी धरने पर बैठूंगा लेकिन शर्त ये है कि उन्हें भी धरने पर बैठना होगा। अब इस (उन्हें) में कौन से बड़े जनप्रतिनिधि हैं ये समझने वाले समझ गये थे।