चर्चा है संघ की एक बड़ी ईकाई ने ले लिया है भगवा लैटर वॉर पर गंभीर संज्ञान
वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम)
गाजियाबाद। भगवागढ़ का खिताब गाजियाबाद को ऐसे ही नहीं मिला है। यहां भाजपा के पास देवतुल्य कार्यकर्ताओं की एक पूरी फौज है। देश की सबसे बड़ी विधानसभा में देश का सबसे बड़ा विधानसभा जनादेश साहिबाबाद में भाजपा को मिला है। लोकसभा चुनाव में वो इतिहास रच चुकी है। मेयर सीट पर निगम के गठन से लेकर आजतक भाजपा ने अपना कब्जा बरकरार रखा है। नगर निगम के सदन में वो हाफ से भी ज्यादा हिस्से पर कब्जा कर सीन को साफ रखे हुए है। उसके एक केन्द्रीय मंत्री गाजियाबाद से लोकसभा सांसद हैं तो प्रदेश सरकार के स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री यहां से एमएलसी हैं।
एक एमएलसी इसी शहर से हैं और राज्यसभा सांसद भी गाजियाबाद में रहते हैं। भाजपा के राष्टÑीय अध्यक्ष रहते हुए राजनाथ सिंह इसी गाजियाबाद से लोकसभा सांसद रहे हैं। गाजियाबाद को भाजपा का अजेय दुर्ग माना जाता है। लेकिन इस दुर्ग में कुछ ऐसा हो गया कि भाजपा से लेकर संघ तक इसकी गूंज गयी है। भाजपा के राज्यसभा सांसद, भाजपा के एमएलसी, भाजपा के विधायक और संगठन के महानगर अध्यक्ष मिल बैठकर चाय पी रहे थे और खुद के लिए एक आचार संहिता बना रहे थे। लेकिन चाय का रायता तब फैला जब एक लैटर बाहर आ गया और लैटर के बाद मैटर गम्भीर हो गया। जब तक इस डैमेज को मैनेज करने का प्लान होता तब तक सीन में घमासान आ गया और एक पत्र फिर बाहर आ गया।
मामला राष्टÑ से लेकर प्रदेश तक पहुंचा और मंगलवार को फिर भाजपा का महानगर कार्यालय अनुशासन की पाठशाला बनता दिखा। यहां पर लोकसभा सांसद भी आये। अब वो क्यों आये ये नहीं पता लेकिन जब वो आये तो सबको इतना पता था कि प्रदेश मंत्री और महानगर प्रभारी अमित बाल्मीकि कॉलेज प्रकरण पर विधायकों से अलग अलग मिल रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि फिलहाल तूफान के बाद सन्नाटा है और जानकार इस बात पर निगाह रख रहे हैं कि क्या सन्नाटे के बाद तूफान आयेगा। चर्चा एक बार फिर अंदर से बाहर आयी है और सुना है कि संघ की एक बड़ी ईकाई ने इस पूरे मामले पर संज्ञान ले लिया है। यहां पर लैटर के मैटर को बेस मानकर अब उस फेस की तलाश है जो इस पूरे प्रकरण की सबसे खास बजह है। सूत्र बताते हैं कि संगठन के साथ साथ संघ ने भी इस पूरे मामले को अनुशासन हीनता से जोड़कर माना है। सूत्र बताते हैं कि मामला संघ के बड़े चेहरों तक पहुंचा है और गाजियाबाद में हुए इस घटनाक्रम के बाद पल पल की अपडेट संगठन से लेकर संघ वालों ने ली है। बताया तो यहां तक जाता है कि संघ के बड़े चेहरे इस पूरे घटनाक्रम को लेकर बेहद नाराज हैं। नाराजगी की वजह व्यक्तिगत नहीं बल्कि नीतिगत है और इस बात की पड़ताल हो रही है कि जो कुछ भी हुआ वो एक दिन का घटनाक्रम था या फिर इसके बीज पहले ही बो दिये गये थे। नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि पार्टी के प्रतिनिधियों की आपसी रार पहले अखबार तक क्यों पहुंच गयी। संगठन को टारगेट क्यों किया गया। अबसे पहले भी किन्हीं मामलों पर तकरार हुई है और बात लीक भी अखबार तक हुई है लेकिन ऐसा नहीं हुआ कि संगठन वालों को बाद में खबर हुई हो और अखबार वालों को पहले पता चला हो।