Ghaziabad: गाजियाबाद पुलिस ने अपराध की रोकथाम और कानून का पालन करने के लिए कड़ी कदमबद्धता दिखाते हुए 21 आरोपियों पर गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई की है। इसमें प्रमुख नाम ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के नेता का सामना किया जा रहा है, जिसे 6 माह के लिए तड़ीपार किया गया है। नेता को लोकसभा चुनाव के बाद ही जिले में प्रवेश मिलेगा।
नए कदम
गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट द्वारा अपराध पर नियंत्रण के लिए गुंडा एक्ट और जिलाबदर की कार्रवाई में नए कदमों की ओर बढ़ते हुए, लोनी थाना क्षेत्र में रहने वाले महताब अली पर 6 माह के लिए तड़ीपार का आदान-प्रदान किया गया है। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, एआईएमआईएम पार्टी के गाजियाबाद जिलाध्यक्ष महताब अली पर लोनी थाने में गंभीर धाराओं के छह मुकदमे दर्ज हैं, जिसके चलते पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद ने यह कार्रवाई की है।
क्या है गुंडा एक्ट
एडिशनल सीपी गाजियाबाद दिनेश कुमार पी. की कोर्ट ने निर्णय देते हुए कुल 21 लोगों को 6 माह के लिए गुंडा एक्ट के तहत निरुद्ध किया है, जिसमें लोनी थाना क्षेत्र के निवासी और एआईएमआईएम के गाजियाबाद जिलाध्यक्ष महताब अली भी शामिल हैं। महताब अली को पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान काफी सक्रिय देखा गया था और उन पर महामारी एक्ट के तहत भी एक मुकदमा दर्ज किया गया था। पुलिस ने उन्हें जिलाबदर करते हुए 6 माह के लिए जिले की सीमाओं में प्रवेश नहीं करने की चेतावनी दी है।
हुई कार्रवाई
गाजियाबाद पुलिस ने अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई में और भी कदम बढ़ाते हुए, नेता को तड़ीपार किए जाने का निर्णय एक ताजगीपूर्वक घोषित किया गया है। इसके परिणामस्वरूप, एआईएमआईएम पार्टी के नेता को विधायक चुनावों के बाद ही जिले में प्रवेश करने का अधिकार मिलेगा। पुलिस ने यह कदम उठाते हुए कहा है कि इस कार्रवाई का उद्देश्य अपराधियों के खिलाफ सख्त स्टैंड लेना और समाज में इंसानियत के नाम पर बदलाव लाना है। नेता को गिरफ्तार करने का एक सकारात्मक कदम उठाया जा रहा है ताकि उनके द्वारा चलाए गए अवैध गतिविधियों को रोका जा सके और समाज को एक सुरक्षित माहौल प्रदान किया जा सके।
पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद के एक प्रमुख अधिकारी ने बताया कि नेता को जिलाबदर करने का निर्णय ताजगीपूर्वक लिया गया है, और उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। इसके साथ ही, विभाग ने और अपराधियों के खिलाफ भी ठोस कदम उठाए हैं ताकि इस तरह की गतिविधियों को पूरी तरह से नियंत्रित किया जा सके। पुलिस के इस कदम से सामाजिक रूप से जिम्मेदारी लेने का संकेत मिल रहा है, जिससे लोगों के बीच सुरक्षित और विशेषज्ञ वातावरण की रचना की जा सकेगी। इससे आम जनता में विश्वास बढ़ेगा और उन्हें यह आश्वासन मिलेगा कि पुलिस सशक्त है और अपराधियों के खिलाफ सख्ती से निर्णय लेने के लिए तैयार है।