गाजियाबाद (करंट क्राइम)। भगवागढ़ में चुनाव अभी दूर है लेकिन दावेदारी को लेकर इंटरनली माहौल पूरी तरह भरपूर है। कोई खुद को चुनावी दावेदारी से इतनी दूर दिखा रहा है कि इस चक्कर में वो अपनों से भी दूर हो जा रहा है। किसी के मन में अरमान हैं लेकिन वो पूरी तरह से शांत है। चुनावी दावेदारी को लेकर अगर चार माननीय एक साथ बैठ गये तो इसे लेकर भी फिर वो हुआ कि अनुशासन वाले ही भाजपा दफ्तर में आकर बैठे।
कोई खुलकर टिकट मांग रहा है और दावेदारी को लेकर यहां दूरियों की दास्तां है। राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल लोकसभा की दावेदारी कर चुके हैं। अभी तक भगवागढ़ में यह सिंगल दावेदारी चल रही थी लेकिन अब इस सिंगल दावेदारी में दूसरी यानी डबल दावेदारी का भगवा मिंगल आ गया है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने लोकसभा के लिए दावेदारी की है। ये नेता अनिल खेड़ा हैं। अनिल खेड़ा भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शुमार होते हैं। क्षेत्रीय टीम में पदाधिकारी रहे हैं और उन्हें भाजपा का समर्पित कार्यकर्ता कहा जाता है। उन्होंने लोकसभा को लेकर अपनी दावेदारी की है। करंट क्राइम से बातचीत में अनिल खेड़ा ने कहा कि अभी संगठन की टीम में स्थान बनाने के लिए मैंने कोई प्रयास नहीं किया है। फिर बात लोकसभा टिकट की चली तो अनिल खेड़ा ने कहा कि मैं पहले भी टिकट की दावेदारी कर चुका हूं और इस बार भी मेरा प्रयास लोकसभा टिकट के लिए रहेगा।
मैं कार्यकर्ता होने के नाते लोकसभा टिकट की दावेदारी करूंगा। लोकसभा टिकट मांगूगा। पार्टी का जो भी निर्णय होगा वो मुझे स्वीकार होगा लेकिन लोकसभा चुनाव में मेरा चेहरा भी एक दावेदार के रूप में होगा। मेरी कोशिश रहेगी कि पार्टी मेरे नाम पर विचार करे।
खुली कार में माला से लेकर धौलाना तक अनिल खेड़ा
अनिल खेड़ा पहले भी लोकसभा चुनाव की दावेदारी कर चुके हैं। खुली कार में सवार होकर वह दावेदार के रूप में भगवा कार्यालय गये थे। अपना बॉयोडाटा लोकसभा दावेदार के रूप में देकर आये थे। इतना ही नहीं अनिल खेड़ा ने जब दावेदारी की थी तो विधानसभा से लेकर लोकसभा के क्षेत्र में अनिल खेड़ा के नाम की दीवारें बोल उठी थीं। धौलाना में उनकी सक्रियता अचानक से बढ़ी थी। देहात की पंचायतों से लेकर वो गांव की चौपाल तक नजर आने लगे थे। धौलाना में विशेष रूप से वो खुद का एक राजनीतिक माहौल बनाने लगे थे। टिकट नहीं होने के बाद उन्होंने खुद को एक्टिविटी के स्पीडोमीटर से अलग किया। अब वो फिर से दावेदारी में हैं तो अभी दीवारें भी खामोश हैं और धौलाना में भी फिलहाल कोई खास जोश नहीं है।