चुनाव अपनी दस्तक दे चुका है। चुनाव आयोग जब तारीख तय करेगा तब घोषणा हो जायेगी लेकिन सियासी माहौल पर गौर फरमायें तो यहां जो काम विपक्ष को करना है वो भाजपा कर रही है। भाजपा सरकार में रहते हुए अपने कार्यकर्ताओं के साथ सड़क पर है, वो लगातार वोटर तक संदेश पहुंचा रही है।
क्या मीडिया से छुपकर चुनावी तैयारी कर रहा है नीला हाथी
करंट क्राइम। बसपा के सामने लोकसभा चुनाव में एक बड़ी चुनौती खुद का राजनीतिक वजूद बचाने की है। उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने वाली और बड़ी राजनीतिक भूमिका निभाने वाली बसपा आज सदन में एक विधायक के दम पर है। सूबे की सत्ता से वो पहले ही 15 साल के लिए बाहर हो चुकी है। बसपा की मुखिया ट्वीट पालिटिक्स करती हैं और बसपा के नेता कभी भी पब्लिक के मुद्दो पर मैदान में नहीं आते हैं। कभी अपने कैडर कैम्प और बामसेफ जैसे कैडर वोट के दम पर सत्ता में आने की क्षमता वाला हाथी आज कहां है, सब देख रहे हैं। सवाल यही है कि क्या बसपा का हाथी मीडिया से छुपकर अपनी तैयारी कर रहा है। उसके नेता क्यों नहीं बता पा रहे हैं कि लोकसभा चुनाव को लेकर उसकी क्या
तैयारी है।
लोकसभा के चुनावी रण में कांग्रेस की तैयारियों वाली हुंकार
करंट क्राइम। कांग्रेस केन्द्र की सत्ता से पहले ही 10 साल के लिए बाहर है और आने वाले 5 साल में वो क्या करेगी, ये चुनाव बतायेगा। हिन्दीभाषी क्षेत्रों की सियासी नब्ज़ कहे जाने वाले यूपी में कांग्रेस मुद्दतों पहले ही सत्ता से बाहर हो गयी थी। उसने साईकिल वाली पार्टी से हाथ मिलाया और उसके हाथ में केवल 07 सीटें आयी। इस बार कांग्रेस अपने दम पर मैदान में उतरी और 07 सीटों में से 05 सीटें वो हाथ से गवां बैेठी और यूपी विधानसभा में वो 02 सीटों के साथ मौजूद है। चुनाव लड़ने की बेला में कांग्रेस के कई नेता आते हैं लेकिन चुनावी तैयारियों में उसके नेता कहां है, चुनावी तैयारियों में उसका संगठन कहां है, किसी को नहीं पता। कमेटी कागजों पर है और तैयारियां हवा में चल रही हैं। विधानसभा में कांग्रेस किसी भी सीट पर फाइट की भी स्थिति में नहीं थी। उसके सभी उम्मीदवार केवल चुनाव ही नहीं हारे बल्कि जमानत भी नहीं बचा सके।
लगातार सरक रही है भगवा गढ़ में समाजवादी जमीन
करंट क्राइम। यदि पुराने रिकॉर्ड को देखे तो यहां सपा के पास एक अच्छा खासा वोट बैंक रहा है। यहां मेयर चुनाव में जब दमयन्ती गोयल भाजपा के टिकट पर जीती तो यहां सपा की अंजुला नागपाल रनरअप रही। काटें की टक्कर में भाजपा के तेलूराम कम्बोज ने सपा के सुधन रावत को हराया। इसके बाद भगवा गढ़ में सपा की जमीन सरक रही है। सपा के टिकट पर फिर जो भी लड़ा वो चौथे स्थान पर आया। यहां भी सवाल यही है कि प्रदेश अध्यक्ष के कहने पर राष्टÑीय अध्यक्ष के निर्देश पर पार्टी दफ्तर में बैठकर पब्लिक की समस्याएं तो सुन लोगे लेकिन चुनाव में वोट कहां से लाओगे। साईकिल वाले दल में संगठन की चुनावी तैयारियां क्या हैं। वोटर लिस्ट को लेकर क्या काम चल रहा है। क्या सपा बूथ पर कोई लिस्ट बना रही है। इन सवालों का जवाब कागज़ी तो हो सकता है लेकिन कार्यकर्ताओं की मानें तो सबकुछ हवा-हवाई है। संगठन को यहां बहुत काम करना है। सपा को अपने दोनों नए युवा अध्यक्षों से उम्मीदें हैं। सपा के पास लीडर की भी एक टीम है, जरूरत केवल उसे संगठित होकर मैदान में आने की है।
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। भाजपा लोकसभा चुनाव की तैयारियों का आगाज़ भी कर चुकी है और विपक्ष अभी जागने वाले अंदाज में भी नहीं दिख रहा है। भाजपा तिरंगा अभियान चलाकर अपने कार्यकर्ताओं के साथ मतदाताओं के बीच है। भाजपा ने चुनावी रीढ़ यानी मतदाता सूची को अभी से अपने हिसाब से दुरूस्त कर लिया है। उसने अभियान चलाया है और उसके कार्यकर्ताओं ने इस अभियान में बकायदा केन्द्रों पर बैठकर मतदाता सूची में वोट बढ़वाये भी हैं और वोट कटवाये भी हैं। वो माटी-चावल लेकर गली-गली जनता के बीच हैं। वो एक्टीविटी का पूरा एक कलैण्डर लेकर चल रहे हैं। लगातार भाजपा अपने आयाम से, अपने अभियान से और अपने अलग-अलग प्रोग्राम से अपने सधे हुए लक्ष्य की तरफ बढ़ रही है। अब ऐसे में सवाल ये होता है कि अगर भाजपा अपनी चुनावी तैयारियों का आगाज़ कर चुकी है तो फिर विपक्ष कहां है। विपक्ष के नेता मुद्दो को लेकर जनता के बीच कहां है। विपक्ष के नेता अपने कार्यकर्ताओं के साथ कौन सी रणनीति पर काम कर रहे हैं।