Ghaziabad: यूपी के पिलखवा इलाके में आयोध्या के निवासी अनूप चौधरी की गिरफ्तारी के मामले में यूपी एसटीएफ ने कठिन कदम उठाए हैं। इसके बाद, गाजियाबाद में भी एक एफआईआर दर्ज कराया गया है। अनूप चौधरी के खिलाफ कई राज्यों में मुकदमे दर्ज हैं, और उत्तराखंड सरकार ने उसके ऊपर 15 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है। चौधरी की गिरफ्तारी के बाद, गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट और प्रशासन में लापरवाही की सूचना आने के बाद सरकारी विभागों में हलचल मच गई है। इसके पीछे का पूरा मामला क्या है, इस पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
फर्जी पहचान
गाजियाबाद कमिश्नरेट में तैनात वीवीआईपी सेल प्रभारी मयंक अरोड़ा ने कवि नगर थाने में एफआईआर दर्ज कराया है। इस एफआईआर में यह दावा किया जा रहा है कि अनूप चौधरी ने फर्जी लेटर का इस्तेमाल करके सरकारी गनर बनने का प्रयास किया था। अनूप चौधरी के बारे में जानकारी मिलती है, तो पता चलता है कि उन्होंने कई राज्यों में अपने ऊपर कई मुकदमे दर्ज करवाए हैं। इसके अलावा, उत्तराखंड सरकार ने उनके खिलाफ 15 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है। वे खुद को रेल मंत्रालय का सदस्य बताते थे और अपनी फर्जी ईमेल आईडी का इस्तेमाल करके गनर बनने का प्रयास करते थे।
काफी मुक़दमे दर्ज
चौधरी के खिलाफ दर्ज किए गए केसों की संख्या भी काफी अधिक है। उन्होंने अपने फर्जी रसूख के दम पर सरकारी गनर बनाने का प्रयास किया और इसके लिए फर्जी लेटर पैड का इस्तेमाल किया। वे अपने आप को भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश प्रभारी और फिल्म सेंसर बोर्ड के सदस्य के रूप में भी प्रस्तुत करते थे। अनूप चौधरी ने सात बार गाजियाबाद जिले से सरकारी गनर प्राप्त किया, जो विचारशीलों के बीच मांग का सबब बना है। उन्होंने अपने राजनीतिक इंटरव्यू और मीडिया द्वारा खुद को एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत किया और इसके लिए कई चैनलों पर दिन-रात चर्चा करते थे। अद्भुत तरीके से, उन्होंने अपने फर्जी छवि बनाई और सरकारी गनर होने का दावा किया, लेकिन यह सच्चाई उजागर होने के बाद व्यक्ति और समाज की नजरों में एक धोखाधड़ी और अपराधी के रूप में बदल गई।
अनूप चौधरी के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने पर, पाया गया कि उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान में अधिकाधिक केस दर्ज हैं। उनके ऊपर लगाए गए गंभीर आरोपों में शामिल हैं रंगदारी का आरोप भी है, जिसके चलते उनकी गिरफ्तारी की ज़रूरत पैदा हुई। उत्तराखंड पुलिस ने उनके ऊपर 15,000 रुपये का इनाम भी घोषित किया है, इस निर्णय से स्पष्ट हो जाता है कि उनकी गिरफ्तारी और उनके खिलाफ की जाने वाली चार्जेस कितने गंभीर हैं।
चौधरी के खिलाफ दर्ज किए गए कई मुकदमों में यह दावा किया जा रहा है कि उन्होंने अपनी सदस्यता का इस्तेमाल ब्राह्मण समुदाय के अधिकारों के लिए भी किया था, जिससे समुदाय के अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश प्रभारी के रूप में उनकी गिरफ्तारी की गुणवत्ता में और भी बढ़ोतरी हुई है। उत्तराखंड पुलिस के द्वारा उनके ऊपर लगाए गए आरोपों के तहत उन्होंने आरक्षित और विशेष रूप से प्रतिभागी वर्ग के लिए बनाई गई योजनाओं के अनुसरण में कई गुणवत्ता दोषी फैसले लिए थे। इसके परिणामस्वरूप, उनके खिलाफ एक बड़े विवाद का हिस्सा बने हैं और उनकी गिरफ्तारी ने इसके चारों ओर संवाद और विचारशीलता को भी बढ़ा दिया है।
अनूप चौधरी की गिरफ्तारी के साथ ही, उनके साथी और सहयोगी भी पुलिस द्वारा जांचते में शामिल किए गए हैं। इस घटना के परिणामस्वरूप, विभागीय अधिकारियों ने उनके संदर्भ में और भी बड़े अपराधों के संदर्भ में जांच के तहत आवश्यक कदम उठाने का आलंब दिखाया है।
इस घटना के समय, स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने सावधानी बरती है और सभी आवश्यक कदम उठाने का आलंब दिखाया है। गिरफ्तारी के बाद, यह मामला गंभीर तहत पर स्थायी रूप से दर्ज किया गया है और उनके बारे में जानकारी इकट्ठा की जा रही है। पुलिस द्वारा उठाए गए कदमों से जागरूक होकर, स्थानीय लोग भी सहयोग कर रहे हैं ताकि घटना के पीछे के सच्चाई का पता लगाया जा सके।