चंद्रमा की सतह को छूने का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। भारत के मून मिशन का लैंडर मॉड्यूल 23 अगस्त को शाम 6.04 बजे (18:04 बजे) चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को छूएगा। इसरो वैज्ञानिक जहां मिशन की सफलता को लेकर सकारात्मक हैं, वहीं विपरीत परिस्थितियों के लिए भी तैयार हैं। इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को कहा कि किसी भी प्रतिकूल कारक की स्थिति में चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल की लैंडिंग को 27 अगस्त तक के लिए टाला जा सकता है।
दुनिया भर में प्रार्थनाएं की जा रही हैं, क्योंकि विभिन्न धार्मिक संबद्धताओं के लोग भारत के मिशन की सफल लैंडिंग के लिए एकजुट हो रहे हैं। धार्मिक सीमाओं के बावजूद, लोग चंद्रयान-3 मिशन को अपना समर्थन देने के लिए एक साथ आ रहे हैं।
चंद्रयान-3 मिशन का लक्ष्य चंद्रमा के अज्ञात दक्षिणी ध्रुव पर अंतरिक्ष यान की सॉफ्ट लैंडिंग कराना है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका, पूर्ववर्ती सोवियत संघ और चीन के बाद यह उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करने वाला भारत चौथा देश बन जाएगा।
चंद्रयान-3 अपनी दिशा क्षैतिज से ऊर्ध्वाधर में बदल देगा, जो अंतरिक्ष यान की सॉफ्ट लैंडिंग से पहले एक महत्वपूर्ण कदम है। यहीं पर चंद्रयान-2 में दिक्कत देखने को मिली थी। चंद्रयान-3 लैंडर लगभग 2 मीटर लंबा है और इसका वजन 1,700 किलोग्राम (3,747.86 पाउंड) से थोड़ा अधिक है, जो लगभग एक SUV के बराबर है। इसे एक छोटे, 26 किलोग्राम के चंद्र रोवर को तैनात करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
यदि चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक उतरता है, तो इसके दो सप्ताह तक क्रियाशील रहने की उम्मीद है। भारतीय मून मिशन चंद्रमा की सतह की खनिज संरचना के स्पेक्ट्रोमीटर विश्लेषण सहित कई प्रयोगों को इस दौरान पूर्ण करेगा।