गाजियाबाद (करंट क्राइम)। गाजियाबाद नगर निगम में निरंतर कांग्रेस पार्षदों की संख्या कम होती जा रही है। कम होती संख्या अब वर्तमान में 12 तक पहुंच गई है। अभी हाल ही में हुए 2022 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के चार पार्षदों ने पार्टी को अलविदा कह दिया था और दूसरें दलों में शामिल हो गये थे। निरंतर नगर निगम के सदन में कम होती संख्या के बाद भी कांग्रेसी पार्षदों की एकजुटता कहीं पर भी नजर नहीं आती है। पार्टी संगठनों के कार्यक्रमों से पार्षद खुद को दूर रखते हैं वहीं धरना प्रदर्शनों में शामिल होने का तो कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है। हां इक्का दुक्का पार्षद को छोड़ दिया जाये तो अधिकांश ऐसे हैं जिन्होंने लंबे समय से कांग्रेसियों से संवाद तक कायम नहीं किया है। पार्टी में अब पार्षदों के इस व्यवाहर को लेकर चर्चाएं होने लगी हैं। पार्टी में चर्चा पुराने दौर को लेकर भी होती है जब कांग्रेस के पार्षद एकजुट रहा करते थे। पूर्व के पार्षदों में अमोल वशिष्ठ, चंद्रप्रकाश अरोड़ा आदि के नामों को बताया जाता है कि जब ये पार्षद हुआ करते थे तो सदन में कांग्रेसी पार्षदों की आवाजें गुंजती थी, लेकिन अब तो कांग्रेस के पार्षद एक दूसरे का मुंह तक देखना नहीं चाहते हैं।
बता दें कि कांग्रेस पार्षदों की संख्या निगम के सदन में अब 12 रह गई है। प्रमुख पार्षदों की बात की जाये तो जाकिर अली सैफी, अजय शर्मा, सतप्रकाश सत्तो,देवेंद्र कुमार गोयल, मनोज चौधरी, विकास खारी आदि हैं। इसके अलावा धरने प्रदर्शनों की बात की जाये तो कांग्रेस में एक दो छोड़ दिया जाये तो अधिकांश पार्षद पार्टी के धरने प्रदर्शनों से दूरियां बनाये रखते हैं। पार्टी में लंबे समय से कोई बैठक पार्षदों को लेकर नहीं हुई है, यदि बैठक का आयोजन भी हुआ है तो उसमें भी समस्त पार्षद मौजूद नहीं हुए हैं। अब एक बार फिर से निगम चुनाव सिर पर आ चुका है और पार्षदों का यह गैरजिम्मेदाराना रवैया पार्टी को नुकसान पहुंचा रहा है और पार्टी को अब अपनी नैया पार लगाने के लिए नई रणनीति पर काम करना होगा तभी निगम के सदन में कांग्रेस पार्षदों की संख्या में इजाफा हो सकेगा।
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