9 साल की लंबी सुनवाई के बाद आया फैसला
सनसनीखेज हत्याकांड में शामिल इकलौता हत्यारोपी राहुल करीब 9 साल से डासना जेल में बंद है
21 मई 2013 की वह सनसनीखेज घटना वाली रात आजतक भूली हो जब घंटा घर नई बस्ती मोहल्ले में रहने वाले बुजुग कारोबारी सतीश चंद गोयल व उनके पूरे परिवार की धारदार चाकू से गोदकर हत्या की गई थी। इस मामले में कारोबारी की पत्नी मंजू गोयल, पुत्र सचिन गोयल, पुत्रवधू रेखा गोयल और तीन पौत्र-पौत्री भी शामिल थे। इस मामले में लगभग 9 साल तक सुनवाई चली और 25 लोगों की गवाही हुई।
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। गाजियाबाद के लोगों को शायद ही 21 मई 2013 की वह सनसनीखेज घटना वाली रात आजतक भूली हो जब घंटा घर नई बस्ती मोहल्ले में रहने वाले बुजुग कारोबारी सतीश चंद गोयल व उनके पूरे परिवार की धारदार चाकू से गोदकर हत्या की गई थी। इस मामले में कारोबारी की पत्नी मंजू गोयल, पुत्र सचिन गोयल, पुत्रवधू रेखा गोयल और तीन पौत्र-पौत्री भी शामिल थे। इस मामले में लगभग 9 साल तक सुनवाई चली और 25 लोगों की गवाही हुई। शुरूआती जांच में पुलिस ने खुलासा किया था और फॉरेंसिक जांच से साफ हो गया था कि हत्याकांड में आरोपी राहुल के खिलाफ अहम सबूत मिले थे। दीवार पर मिले खून से सने हाथ के पंजे का निशान पूरे मामले में फॉरेंसिक रिपोर्ट के बाद महत्वपूर्ण सबूत बना था। सोमवार को जिला शासकीय अधिवक्ता राजेश चंद्र शर्मा ने बताया कि अदालत ने पुख्ता साक्ष्य, गवाही व फॉरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर सात हत्याकांड के मामले में कारोबारी के पूर्व चालक राहुल वर्मा को दोषी ठहराया है। उन्होंने बताया कि सनसनीखेज हत्याकांड में शामिल इकलौता हत्यारोपी राहुल करीब 9 साल से डासना जेल में बंद है। इस मामले में जिला पुलिस की कागजी तैयारी और फॉरेंसिक जांच टीम की बड़ी कामयाबी भी रही।
फैसला आते ही जमीन पर बैठ गया था आरोपी राहुल
सोमवार को जैसे ही पूरे मामले में सुनवाई के बाद मजिस्ट्रेट ने राहुल पर अपना फैसला सुनाया तो पूरा रुम साइलेंट था। हत्या का दोषी पाए जाने पर फांसी की सजा सुनाई गई तो हत्यारोपी राहुल जमीन पर बैठ गया और अपना सिर पकड़ चुका था। बता दें कि इस पूरे हत्याकांड का जब 2013 में खुलासा हुआ था तो खुलासे को लेकर भी कई तरह के रोचक तथ्य सामने आए थे जिसको लेकर पुलिस को कई दिनों तक जवाब देना पड़ा था। उस वक्त एक ही आरोपी द्वारा सात-सात लोगों की हत्या किए जाने की बात चर्चाओं का विषय बनी थीं।
एक ही चाकू से की थी सांस नली काटकर राहुल ने हत्या
पूरे मामले की लंबी सुनवाई और जांच-पड़ताल के बाद सोमवार को गाजियाबाद कोर्ट ने आरोपी राहुल जोकि मृतक सतीश चंद्र गोयल के परिवार का पूर्व चालक था उसे हत्या का दोषी करार दिया है। इस मामले में हत्यारोपी राहुल वर्मा पर सतीश चंद्र गोयल उनकी पत्नी मंजू गोयल, पुत्र सचिन गोयल, पुत्रवधू रेखा गोयल और 10 साल के पोते अमन और पोतियां मेघा व हनी की भी निर्मम हत्या करने का आरोप था। हत्यारोपी ने एक साथ तीन पीढ़ियों का कत्ल किया था, जिससे पूरा जिला इस सनसनीखेज हत्याकांड से हैरान रह गया था ।
हत्या के साथ लूट को भी दिया था अंजाम
अभियुक्त राहुल ने मृतक सतीश चंद गोयल के यहां लूट भी की थी। दरअसल सतीश चंद गोयल की किडनी ट्रांसप्लांट होनी थी इसीलिए घर में मोटा कैश रखा होने का शक हुआ था, यह जानकारी घटना से कुछ दिन पूर्व ही राहुल को लगी थी, जिसके बाद राहुल लगभग 15 दिनों के लिए फरार हो गया था। पुलिस ने इस मामले में मौके से फुटप्रिंट उठाए थे और एक सिगरेट का टुकड़ा मौके से मिला था। साथ ही घटनास्थल की दीवार पर अभियुक्त के हाथ के निशान खून से सने मिले थे। सिगरेट पर लगी लार का मिलान अभियुक्त की लार से हुआ था, अभियुक्त की खून से लथपथ टी-शर्ट भी बरामद हो गई थी जिस पर खून के निशान लगे हुए थे। इस मामले में पुलिस ने डीएनए कराते हुए मृतका मंजू और सचिन के रक्त सैंपल लिए थे राहुल से मिलान खा गए थे।
जांच करने वाली टीम रह गई थी दंग
21 मई 2013 को जब यह हत्याकांड हुआ था तो इस मामले में तात्कालिक एसएसपी नितिन तिवारी द्वारा घंटाघर कोतवाली प्रभारी लल्लू सिंह मौर्य को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था और यहां एसएचओ गोरखनाथ यादव को प्रभारी बनाकर पूरे मामले की जांच सौंपी गई थी। इस पूरे हत्याकांड की जांच में खास बात यह थी कि एडीजी, आईजी, डीआईजी से लेकर मेरठ, गाजियाबाद, हापुड़ और नोएडा के कई आईपीएस अधिकारी भी मौके पर पहुंचे थे। साथ ही गाजियाबाद की उन सभी तेजतर्रार टीमों को लगाया गया था जो उस वक्त क्राइम के खुलासे को लेकर जिले और जोन में जानी जाती थीं। इस मामले में इंस्पेक्टर अनिल कपरवान ने बाद में हत्याकांड के खुलासे की टीम बनाई थी और पूरे मामले का सफलता पूर्वक खुलासा हुआ था।
हत्या करने का तरीका एक जैसा : देवराज
पूरे मामले में गोयल परिवार के वकील देवराज ने कहा है कि सातों हत्या का तरीका एक था। हत्या में इस्तेमाल किया गया हथियार एक था और सभी को बेरहमी से मारा गया था। उन्होंने बताया कि यह उस वक्त का सबसे सनसनीखेज हत्याकांड था। इसमें व्यापारियों ,उद्यमियों और व्यापार मंडल ने कई दिनों तक घंटाघर कोतवाली थानाक्षेत्र में अलग-अलग जगह धरना प्रदर्शन किया था। पुलिस-प्रशासन अधिकारियों से लगातार प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकात भी की थी। इस मामले में लंबी जिरह करनी
पड़ी थी।
फैसले से संतुष्ट है मृतक के दामाद
इस मामले में सतीश चंद गोयल के दामाद सचिन मित्तल ने पूरे मामले में पैरवी की थी। उन्हीं के द्वारा एफआईआर दर्ज कराई गई थी। उन्होंने सोमवार को कोर्ट का फैसला आने के बाद कहा है कि लंबी लड़ाई लड़ी है। 9 साल 2 महीने का समय लगा है। उसके बाद उनको न्याय मिला है और यह उनके ससुर व उनके पूरे परिवार को सच्ची श्रद्धांजलि है।
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